मनमानी : बीईओ के बाद अब बाबू भी बने महकमे के लिए परेशानी का सबब, मनमुताबिक तबादला न होने से नहीं मान रहे आदेश
इलाहाबाद : शिक्षा निदेशालय में इन दिनों अजीब नजारा है। एक ओर शिक्षक अपना मनमाफिक तबादला कराने के लिए परिक्रमा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जिनका तबादला कर दिया है वे आदेश मानने को तैयार नहीं हैं। शिक्षा महकमे के अफसरों के लिए खंड शिक्षा अधिकारी पहले से ही परेशानी का सबब बने थे, अब इसमें बाबुओं का नाम भी जुड़ गया है। सारी समस्या की वजह मन मुताबिक जगह पर तबादला न होना है। बड़ी संख्या में ऐसे बाबू एवं खंड शिक्षा अधिकारी हैं जो तबादले पर जाना ही नहीं चाहते हैं।
शासन की नीति के अनुरूप भले ही तबादला प्रक्रिया बंद हो चुकी है, लेकिन जिनके स्थानांतरण किए जा चुके हैं उनके रवैये से विभागीय अफसर खासे परेशान हैं। एक ही मंडल में दस साल से जमे खंड शिक्षा अधिकारियों का दूसरे मंडल में स्थानांतरण हुआ है, लेकिन दो तिहाई ने अब तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। उन्हें शासन एवं निदेशालय के अफसरों ने अल्टीमेटम जारी कर दिया है।
बेसिक शिक्षा के अपर निदेशक विनय कुमार पांडेय ने राजकीय कालेजों एवं जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालयों में वर्षो से कार्यरत लिपिकों का तबादला किया है। सूत्र बताते हैं कि करीब 160 बाबू इधर से उधर हुए हैं लेकिन अधिकांश आदेश निरस्त कराने या फिर उसमें संशोधन कराने को प्रयासरत हैं। खंड शिक्षा अधिकारियों से अधिक सिफारिशें बाबुओं के पक्ष में आ रही है। प्रदेश सरकार के कई मंत्री एवं विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि लगातार पत्र लिख रहे हैं, फोन कर रहे हैं। कई नेताओं ने खुद निदेशालय आकर तबादला आदेश में बदलाव करने की सिफारिश की है।
इससे व्यवस्था में हुए बड़े बदलाव की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है। हालांकि अब तक किसी बाबू का तबादला न तो निरस्त हुआ है और न ही उसमें संशोधन किया गया है। तबादला आदेश में बदलाव न होने की एक वजह यह भी है कि अब संशोधन प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा के स्तर से ही होगा, लेकिन तबादला आदेश का अनुपालन न होने से जुलाई के महीने में कालेजों एवं दफ्तरों का कामकाज जरूर प्रभावित हो रहा है। जिनका स्थानांतरण हुआ है वह न तो खुद काम कर रहे हैं और न ही दूसरों को कार्यभार सौंप रहे हैं। तैयारी है कि बाबुओं पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश अगले हफ्ते जारी होने के आसार हैं।
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