'कमीशनखोरी की वजह से लेट हो रहीं बच्चों की किताबें' विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा ने लगाए गंभीर और सनसनीखेज आरोप
लखनऊ: शिक्षा विभाग में नए आईएएस अफसर आए हैं। जब तक उनको कमीशन नहीं मिल जाता, तब तक टेंडर फाइनल नहीं होता। उनकी कमीशनखोरी की वजह से ही प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों को किताबें नहीं बंटी हैं। यह गंभीर आरोप विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा ने लगाए। उन्होंने कहा कि ऐसी कई शिकायतें उन्हें मिली हैं। इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को गंभीर बताया और सदन से वॉकआउट किया।
विधान परिषद में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में सत्र के पांच महीने बीत जाने के बावजूद बच्चों को किताबें न मिलने का मुद्दा कांग्रेस के दिनेश प्रताप सिंह और दीपक सिंह ने उठाया। उन्होंने कहा कि विभाग में भ्रष्टाचार की वजह से बच्चों को किताबें नहीं मिल पाईं। तिमाही परीक्षाएं भी बिना किताबों के हो गईं। इसी सवाल से संबद्ध करते हुए ओम प्रकाश शर्मा ने शिक्षा विभाग में आए आईएएस अफसर पर गंभीर आरोप लगाए।
इस पर अहमद हसन ने बताया कि कोर्ट के आदेश के तहत ही पूरी टेंडर प्रक्रिया हुई है। गड़बड़ी करने वाले प्रकाशकों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज कराई गई। कई टेंडर भी रद किए गए हैं। उन्होंने भी यह माना कि छपाई के धंधे में कई लोग गड़बड़ करते हैं, लेकिन इसका सरकार से काई लेना-देना नहीं है। बच्चों को जब तक नई किताबें नहीं मिलीं, तब तक पुरानी किताबें दे दी गई थीं।
विधान परिषद में नेता सदन अहमद हसन ने कहा कि प्राथमिक से जूनियर हाईस्कूल तक के बच्चों की पुस्तकों का अभी तक पूरा वितरण नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अभी तक 75 जिलों में 2 करोड़ पुस्तकों का वितरण किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कहीं पर पुस्तकों के वितरण में गड़बड़ी की कोई शिकायत मिली, तो वह सख्त कार्रवाई करेंगे। लेकिन सरकार के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये।इसके पूर्व कांग्रेस सदस्य दिनेश प्रताप सिंह ने नियम 105 के तहत सरकार से पुस्तक वितरण पर सदन की कार्यवाही रोककर र्चचा कराये जाने की मांग की। दिनेश का कहना था कि परिषदीय स्कूलों में सत्र शुरू होने के पांच माह बाद बच्चों को त्रैमासिक परीक्षा होने के बाद भी सरकार द्वारा अभी तक किताबें वितरित नहीं की गयीं।
प्रदेश में लगभग 13 करोड़ किताबें वितरित की जानी हैं, लेकिन उसके सापेक्ष अब तक सिर्फ कक्षा एक की हिन्दी की किताब ही बंट पायी है। कक्षा सात की गणित की किताब भी कुछ ही जिलों में स्कूलों तक पहुंची है। सरकार को एक से आठ तक के करीब पौने दो करोड़ बच्चों को मुफ्त किताब देनी हैं। पुस्तकों की छपाई के नाम पर बड़े पैमाने पर खेल चल रहा है। लेकिन अभी तक 2 फीसद ही किताबें वितरित की जा सकी हैं।
इसी क्रम में कांग्रेस के ही दीपक सिंह ने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग में पुस्तकों की छपाई के टेंडर में बड़ा खेल खेला जा रहा है। बार-बार टेंडर निकाल कर बढ़े दाम पर किसी विदेशी कंपनी को टेण्डर देने से करोड़ों का अंतर है, जिससे यह प्रतीत होता है कि अपने चहेतों को टेंडर देने का काम किया जा रहा है।इसी क्रम में शिक्षक दल के ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि उनके भी संज्ञान में आया है कि एक आईएएस अफसर शिक्षा विभाग में तैनात हैं और जब तक उनका कमीशन नहीं मिल जाता, तब तक वह कोई भी फाइल आगे नहीं बढ़ाते हैं। श्री शर्मा ने कहा कि वह जानते हैं कि इसमें सरकार का कोई लेना- देना नहीं है और न ही सरकार की मंशा पर कोई प्रश्न है। लेकिन अभी तक पुस्तकों का वितरण न हो पाना विभागीय प्रक्रिया की कमी को बता रहा है।
इसी के जवाब में नेता सदन अहमद हसन ने कहा कि टेण्डर में यदि एक सप्ताह विलम्ब होगा, तो 1 फीसद, 2 सप्ताह विलम्ब होने पर 3 फीसद और 3 सप्ताह विलम्ब होने पर 5 फीसद और इससे ज्यादा विलम्ब होने पर 15 फीसद कटौती और संबंधित फर्म को ब्लैक लिस्ट किये जाने की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि कहीं से भी यदि किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत मिली, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। नेता सदन के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।
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