फेल न करने की पॉलिसी पर कानूनी राय ले रहा है मंत्रालय , ताकि आरटीई ऐक्ट में बदलाव की लंबे प्रोसेस से न गुजरना पड़े

नई दिल्ली : किसी भी स्टूडेंट को आठवीं क्लास तक फेल न करने की पॉलिसी यानी नो डिटेंशन पॉलिसी पर एचआरडी मिनिस्ट्री कानूनी राय ले रही है। मिनिस्ट्री चाहती है कि इसके लिए राइट टु एजुकेशन (आरटीई) एक्ट में बदलाव की लंबी प्रोसेस से न गुजरना पड़े। सूत्रों के मुताबिक मिनिस्ट्री ने इस संबंध में अटॉर्नी जनरल से राय मांगी थी, लेकिन उनकी तरफ से यह कहा गया है कि पहले नए मिनिस्टर से इस बारे में उनकी राय जान ली जाए।



जल्द होनी है मीटिंग :

 सूत्रों के मुताबिक कुछ महीने पहले मिनिस्ट्री की तरफ से अटॉर्नी जनरल से यह पूछा गया था कि क्या आरटीई एक्ट में बदलाव किए बिना भी नो डिटेंशन पॉलिसी को हटाया या इसमें बदलाव किया जा सकता है। एक्ट में बदलाव करने लिए अमेंडमेंट बिल को संसद के दोनों सदनों से पास करना होगा जिसमें काफी वक्त लग जाएगा। अब अटॉर्नी जनरल ने मिनिस्ट्री से कहा कि वह इस संबंध में पहले नए एचआरडी मिनिस्टर की राय जान लें। जब मिनिस्ट्री की तरफ से यह पूछा गया था उस वक्त एचआरडी मिनिस्टर स्मृति इरानी थीं और अब उनकी जगह प्रकाश जावड़ेकर हैं। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही एचआरडी मिनिस्ट्री के अधिकारियों और लॉ मिनिस्ट्री के अधिकारियों की इस संबंध में मीटिंग होनी है, जिसमें कानूनी पहलुओं पर चर्चा होगी। इसके बाद मिनिस्टर को ब्रीफ किया जाएगा और फिर अटॉर्नी जनरल की राय ली जा सकती है।



कई राज्य पॉलिसी के खिलाफ 

दिल्ली, पंजाब, जम्मू-कश्मीर सहित ज्यादातर राज्य नो डिटेंशन पॉलिसी के खिलाफ हैं। इनका कहना है कि इससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है और क्वॉलिटी पर असर पड़ रहा है। हालांकि गोवा, तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र इसके सपोर्ट में हैं। उनका तर्क है कि इससे ड्रॉप आउट रेट घटा है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी पर राय देने की लिए बनाई गई टीएसआर सुब्रमण्यम कमिटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि पांचवीं क्लास तक नो डिटेंशन पॉलिसी जारी रहनी चाहिए। इसके बाद छठी क्लास से स्टूडेंट को पास होने के लिए दो एक्ट्रा चांस दिए जाने चाहिए। 


एचआरडी मिनिस्ट्री की तरफ से पहले ही सभी राज्यों को कहा गया है कि भले ही नो डिटेंशन पॉलिसी लागू है लेकिन वे स्टूडेंट्स की सालाना परीक्षा लें ताकि उनकी प्रोग्रेस का आकलन हो सके। पंजाब के एजुकेशन मिनिस्टर दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि नो डिटेंशन पॉलिसी की वजह से स्टूडेंट्स कुछ सीख नहीं पा रहे थे, इसलिए हमने इस साल पंजाब में 5वीं और8वीं क्लास में एग्जाम लिया। हालांकि किसी को फेल नहीं किया, लेकिन एग्जाम लेने से यह पता चल गया कि बच्चे कितना सीख पा रहे हैं और टीचर कितना काम कर रहे हैं।

फेल न करने की पॉलिसी पर कानूनी राय ले रहा है मंत्रालय , ताकि आरटीई ऐक्ट में बदलाव की लंबे प्रोसेस से न गुजरना पड़े Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 7:07 AM Rating: 5

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