शिक्षकों की ट्रेनिंग में आईटी गायब, यूपी में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने में सूचना प्रौद्योगिकी हो रही नजरअंदाज, निजी कॉलेजों में परंपरागत प्रशिक्षण से हो रही खानापूरी
लखनऊ : भले ही दुनिया भर में पढ़ने-पढ़ाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी पर जोर दिया जा रहा हो लेकिन यूपी में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने में इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। यूपी के निजी बीटीसी कॉलेज परम्परागत तरीकों से ही शिक्षक तैयार हो रहे हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के ताजा सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है।
निजी बीटीसी कॉलेजों की गुणवत्ता पर हुए सर्वेक्षण में सामने आया है कि केवल 2.7 फीसदी कॉलेज ही ऐसे हैं जहां पढ़ाने के तरीकों (टीचर लर्निंग मैथड-टीएलएम ) में सूचना प्रौद्योगिकी का उत्कृष्ट इस्तेमाल हो रहा है। वहीं 31 फीसदी में स्थितियां संतोषजनक हैं। बाकी जगह सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल न के बराबर हो रहा है। यह हाल तब है जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तकनीक के हिमायती हैं। केन्द्र से लेकर राज्य सरकार तक पढ़ने-पढ़ाने के तरीके में तकनीक के इस्तेमाल करने पर बल दे रही है।
निजी कॉलेजों की गुणवत्ता को लेकर सरकार ने यह सर्वेक्षण करवाया है। इसमें उपलब्ध भौतिक संसाधन, कक्षा का माहौल, पढ़ाने के तरीका, कक्षा प्रबंधन आदि मानकों पर निजी कॉलेजों को परखा गया। ज्यादातर श्रेणियों में निजी कॉलेजों का प्रदर्शन संतोषजनक भर है। सर्वे में कहा गया है कि निजी कॉलेजों को अपने माहौल को पूरी तरह बदलने की जरूरत है। पढ़ाने से पहले शिक्षकों की तैयारी भी संतोषजनक ही है जिससे विद्यार्थियों तक पूरी जानकारी नहीं पहुंच रही है। ऐसे में जो शिक्षक तैयार हो रहे हैं वह आधी-अधूरी जानकारी रखते हैं।
सर्वे में 66 फीसदी पाया गया कि शिक्षक कक्षा में पढ़ाने से पहले पूरी तैयारी नहीं कर रहे हैं। यूपी में लगभग 1500 निजी बीटीसी कॉलेज हैं और ये कॉलेज पिछले पांच सालों में खुले हैं। 2011 में मात्र 67 निजी बीटीसी कॉलेज ही यूपी में थे।
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