👉4 और 22 मार्च को बच्चों को खिलाई जाएगी पेट के कीड़े मारने की दवा
👉एक से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को खिलाई जाएगी दवा
👉मॉप अप दिवस चार से 22 मार्च को
👉कार्यक्रम स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से संचालित किया जाएगा। 28 फरवरी से 18 मार्च राउंड में
👉उत्तर प्रदेश में 57190022 बच्चों को कृमि मुक्त करने का लक्ष्य है।
लखनऊ। पेट के कीड़े एक बहुत बड़ी जनस्वास्थ्य समस्या है। यूपी में 1 से 19 वर्ष के बच्चों में पेट के कीड़ों की व्यापकता लगभग 76 प्रतिशत है। बच्चों में कृमि संक्रमण साफ-सफाई न होने और संक्रमित दूषित मिट्टी के कारण हो रहा है। ये बात एनएचएम यूपी के मिशन निदेशक आलोक कुमार ने एक प्रेस वार्ता में कही।उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्त दिवस प्रदेश में 1 से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को कृमि मुक्त करने का एक अच्छा अवसर प्रदान कर रहा है। प्रदेश में पहली बार 10 फरवरी 2016 को 24 जनपदों में 8240036 बच्चों को कृमि मुक्त किया गया था। वहीं सितंबर 2016 में प्रदेश के 49 जनपदों में 12824054 बच्चों को कृमि मुक्त किया गया। प्रदेश के शेष अन्य जनपदों में फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत फाइलेरिया नियंत्रण दवा के साथ टेबलेट एल्बेंडाजोल खिलाई जाती है। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से 28 फरवरी 2017 एवं 18 मार्च 2017 को प्रदेश के चिन्हित 57 जनपदों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस दो चरणों में मनाया जा रहा है। कृमि मुक्ति दिवस के बाद 4 मार्च और 22 मार्च 2017 को माप दिवस आयोजित किया जाना है। जिससे जो बच्चे राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 28 फरवरी व 18 मार्च 2017 को दवाई नहीं खा पाएं हैं। उन्हें मॉप अप दिवस 4 व 22 मार्च के दिन यह दवाई खिलाई जा सके।
कृमि संक्रमण से बच्चों का शारीरिक एवं बौद्धिक विकास बाधित होता है। उनके पोषण एवं हीमोग्लोबिन स्तर पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। जिससे स्कूल स्थिति भी प्रभावित होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में एक से 14 वर्ष की आयु के 22 करोड़ बच्चे आंतों के कृमियों के संक्रमण के जोखिम में है। ये कृमि जो पोषक तत्व बच्चों के शरीर के लिए जरूरी होते हैं। उन्हें खा जाते हैं। जिससे बच्चों में रक्त की कमी, कुपोषण और शरीर का विकास रुक जानी जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं।
No comments:
Post a Comment