शासन ने मौलिक नियुक्ति के लिए आदेश जारी करने में किया विलंब, आचार संहिता ने रोका रास्ता, कोर्ट के हस्तक्षेप पर राह हुई आसान, साथियों से जूनियर हो गए प्रशिक्षु शिक्षक
शिक्षा परिषद के विद्यालयों में याचियों को आखिरकार मौलिक नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। शासन की लेटलतीफी और आचार संहिता के कारण याची अपने साथियों से जूनियर जरूर हो गए हैं। माना जा रहा है कि होली के पहले तक सभी को नियुक्ति मिल जाएगी। इसी बीच उनके मामले में शीर्ष कोर्ट में सुनवाई भी होने वाली है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक के रूप में नियुक्ति पाने के लिए तमाम युवाओं ने न्यायालय में याचिका दाखिल कर रखी थी। सात दिसंबर, 2015 को शीर्ष कोर्ट ने निर्देश दिया था कि यदि याचिका करने वाले युवा शिक्षक बनने की अर्हता रखते हैं तो उन्हें तैनाती दी जाए। कोर्ट में उस समय याचिका करने वालों की संख्या 1100 बताई गई थी। इसके अनुपालन में परिषद ने फरवरी, 2016 में 862 युवाओं को तदर्थ शिक्षक के रूप में तैनाती दे दी थी, क्योंकि तब तक इतने ही आवेदन प्राप्त हो सके थे। इन्हें प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011 के रूप में नियुक्ति मिली थी।
उनका प्रशिक्षण पूरा होने के बाद बीते 9 एवं 10 सितंबर को परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने परीक्षा कराई और उसका परिणाम बीते छह अक्टूबर को जारी किया गया। इसमें 839 प्रशिक्षु शिक्षक सफल भी हो गए, लेकिन उन्हें मौलिक नियुक्ति नहीं दी गई। अधिकारियों का कहना था कि विशेष अनुज्ञा याचिका के तहत नियुक्त 839 शिक्षकों का प्रकरण अभी शीर्ष कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए उन्हें सहायक अध्यापक पद पर तैनात करने के लिए शासन से अगला आदेश मिलने पर कार्यवाही की जाएगी।
प्रशिक्षु शिक्षक इसके विरोध में कई दिनों तक शिक्षा निदेशालय में धरना प्रदर्शन करते रहे। शासन ने बीते तीन जनवरी को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया, लेकिन अगले ही दिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के कारण बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने मौलिक नियुक्ति देने से इन्कार कर दिया।
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