अब शिक्षा महकमे के अफसरों की बर्खास्तगी की बारी, दागी अफसरों में मचा हड़कंप, प्रदेश के 175 अफसरों में 75 पर जांच लंबित
इलाहाबाद : अब शिक्षा महकमे के अफसरों की बर्खास्तगी की बारी आ गई है। शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश भर में नियुक्त ‘ख’ वर्गीय सभी 175 अफसरों का ब्योरा पहले ही शासन को भेज चुका है। शासन तीन नवंबर से अफसरों की स्क्रीनिंग करेगा और दागी अफसरों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति या फिर अन्य बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इससे अफसरों में हड़कंप है।
■ प्रदेश के 175 ‘ख’ वर्गीय अफसरों में करीब 75 पर जांचे लंबित
■ शासन कल से शुरू करेगा स्क्रीनिंग, उसके बाद होगी कार्रवाई
प्रदेश सरकार 50 साल की आयु पूरी कर चुके उन अफसरों की अनिवार्य सेवानिवृत्त कर रही है, जिन पर गंभीर आरोप हैं और इधर कई वषों से जांचें चल रही हैं। हाल में ही लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं की स्Rीनिंग शासन स्तर पर चल रही है। इसके बाद शिक्षा विभाग की बारी है। शिक्षा निदेशालय को शासन से अवगत कराया गया है कि महकमे के ‘ख’ वर्गीय अफसरों की स्Rीनिंग तीन नवंबर से होगी। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते में अनिवार्य सेवानिवृत्त या फिर बर्खास्त करने तक की कार्रवाई हो सकती है।
ज्ञात हो कि इस संवर्ग में बेसिक शिक्षा अधिकारी और राजकीय इंटरमीडिएट कालेजों के प्रधानाचार्य आदि आते हैं। ऐसे कुल अफसरों की तादाद प्रदेश में 175 है। उनमें से करीब 75 से अधिक अफसरों पर विभागीय जांचें चल रही हैं। इनमें से कई पर गंभीर आरोप हैं और वषों से उसकी जांच विभाग में लंबित है। अब शासन यह तय करेगा कि आखिर कार्रवाई किस पर की जाए।
प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग के कुछ अफसरों पर पिछले महीनों में कड़ी कार्रवाई की है। बलिया में तैनात रहे रमेश सिंह को बर्खास्त किया जा चुका है। वहीं, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के पूर्व कार्यवाहक सचिव संजय सिंह पर भी यही कार्रवाई हुई है। यही नहीं एक अफसर को बर्खास्त करने का प्रकरण इन दिनों उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग में लंबित है।
अभी ‘क’ वर्गीय अफसरों पर चुप्पी : शिक्षा विभाग में ‘क’ वर्षीय अफसर भी बड़ी संख्या में तैनात हैं। उनकी भी पूरी रिपोर्ट निदेशालय से मांगी जा चुकी है लेकिन, उनकी अभी स्Rीनिंग होने की तारीख तय नहीं हुई है।
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