'एक देश-एक कोर्स' की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इनकार किया
'एक देश-एक कोर्स' की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इनकार किया
देश भर में 6-14 साल के आयु के सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा और एक जैसे पाठ्यक्रम की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. एक राष्ट्र-एक बोर्ड की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये नीतिगत मामला है और इस अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती है.
नई दिल्ली : देश भर में 6-14 साल के आयु के सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा और एक जैसे पाठ्यक्रम की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. एक राष्ट्र-एक बोर्ड की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये नीतिगत मामला है और इस अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता पर निर्भर है कि वह अपनी शिकायतों पर सरकार से संपर्क कर सकते हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे छात्रों पर पहले से ही भारी स्कूल बैग का बोझ है. आप और अधिक पुस्तकों को जोड़कर उनके बोझ को क्यों बढ़ाना चाहते हैं. आप चाहते हैं कि अदालत सारे बोर्डों को एक बोर्ड में विलय कर दें. ये काम अदालत का नहीं है.
बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एडुकेशन बोर्ड और सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एडुकेशन का विलय करके एक देश एक शिक्षा बोर्ड स्थापित करने की व्यावहारिकता पर ध्यान देने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया कि केंद्र और राज्यों ने अनुच्छेद 21-ए (स्वतंत्र और अनिवार्य शिक्षा) की भावना के अनुरूप समान शिक्षा प्रणाली को लागू करने के लिए उचित कदम नहीं उठाया है. साथ ही यह भी कहा गया कि अनुच्छेद 21-ए के तहत बच्चे तब तक अपने मौलिक अधिकार का उपयोग नहीं कर सकते हैं जब तक कि केंद्र और राज्य मूल्य आधारित समान शिक्षा प्रदान नहीं करते. सामाजिक-आर्थिक समानता और न्याय प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि सभी प्राथमिक स्कूलों में पाठ्यक्रम समान हो चाहे वह प्रबंधन, स्थानीय निकाय, केंद्र या राज्य सरकार द्वारा चलाया जाता हो.
'एक देश-एक कोर्स' की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इनकार किया
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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5:41 AM
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