स्कूल में मिड डे मील एक भी बच्चा नहीं खा रहा लेकिन शिक्षक तैनात, डेढ़ दर्जन जिलों में आईं ऑडिट आपत्तियों पर मांगा गया बीएसए से जवाब

स्कूल में मिड डे मील एक भी बच्चा नहीं खा रहा लेकिन शिक्षक तैनात, डेढ़ दर्जन जिलों में आईं ऑडिट आपत्तियों पर मांगा गया बीएसए से जवाब

 

स्कूल में मिड डे मील एक भी बच्चा नहीं खा रहा लेकिन शिक्षक तैनात हैं। उन्हें 38 लाख रुपये का भुगतान भी एक साल में कर दिया गया। वहीं स्कूल में शिक्षक नहीं लेकिन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तैनात हैं। कई स्कूल गांव में हैं लेकिन मकान भत्ते का भुगतान शहरी दर से किया गया।


बरेली के इन मामलों में 50 लाख रुपये से ज्यादा धनराशि खर्च की गई। ये केवल उदाहरण भर हैं, जिनमें सरकारी बजट का दुरुपयोग किया गया। बेसिक शिक्षा विभाग में कई ऐसे मामले हैं जिन पर ऑडिट में आपत्तियां उठीं। स्थानीय निधि लेखा परीक्षा के वार्षिक प्रतिवेदन (2017-18) में उठाई गई इन आपत्तियों पर अब बेसिक शिक्षा अधिकारियों से जवाब मांगा गया है। वित्त विभाग ने बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र लिख कर कहा है कि स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा प्रतिवेदन की जांच संबंधी कमेटी जल्द ही इस पर विचार करेगी। लिहाजा सभी बीएसए को व्याख्यात्मक टिप्पणी देनी है। 


सरकारी प्राइमरी स्कूलों में नामांकित बच्चों और मिड डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या अलग-अलग होती है।इस समय लगभग 1.80 करोड़ बच्चे पंजीकृत हैं लेकिन एमडीएम केवल 1.09 करोड़ बच्चे ही खाते हैं। शिक्षकों की तैनाती भी एमडीएम के आधार पर होती है। लिहाजा ऐसे स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती स्पष्ट तौर पर सरकारी धन का दुरुपयोग है। वहीं कई स्कूल ग्रामीण क्षेत्र के हैं लेकिन शिक्षकों को शहरी दर से मकान भत्ता दिया गया है।


डेढ़ दर्जन जिलों ने दर्ज की आपत्ति
आपत्तियां गोण्डा, बिजनौर, कानपुर नगर, गाजियाबाद, मेरठ, बरेली, शाहजहांपुर, आगरा, रायबरेली,आजमगढ़,
संत कबीर नगर, बहराइच, महोबा , वाराणसी से आई हैं।
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