RTE पोर्टल पर बंद दिखाए जा रहे स्कूलों के सत्यापन के आदेश

RTE पोर्टल पर बंद दिखाए जा रहे स्कूलों के सत्यापन के आदेश


लखनऊ। प्रदेश सरकार ने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) पोर्टल पर बंद दिखाए जा रहे स्कूलों के सत्यापन का आदेश जारी कर दिया है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों से 24 मई तक सत्यापन करवाकर रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।


राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक रिपोर्ट के जरिये प्राइवेट स्कूलों द्वारा आरटीई के अंतर्गत गरीब बच्चों का दाखिला लेने से बचने के हथकंडे का खुलासा किया था। आयोग ने आरटीई पोर्टल पर लखनऊ में बंद दिखाए जा रहे स्कूलों का संज्ञान लिया था। आयोग ने कहा था कि बंद दिखाए जा रहे कई विद्यालय अभी भी संचालित हैं। इसकी वजह से आरटीई के दायरे वाली छात्र-छात्राओं को आवंटित विद्यालयों में प्रवेश के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। 


आयोग ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को पोर्टल पर बंद दिखाए जा रहे समस्त स्कूलों का स्थलीय जांच कराकर रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा था। बाद की पड़ताल में खुलासा हुआ कि प्रदेश के करीब एक लाख निजी स्कूलों में से पोर्टल पर करीब 60 हजार ही हैं। करीब 40 हजार ने पंजीकरण ही नहीं कराया है। 


महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पोर्टल पर बंद दिखाए जा रहे स्कूलों की सूची भेजी है। उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारियों से बंद दिखाए जा रहे समस्त स्कूलों का स्थलीय सत्यापन कराने और आरटीई पोर्टल पर सही स्थिति प्रदर्शित कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने इस आदेश को सभी जिलों के डीएम, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी, बेसिक शिक्षा निदेशक व समस्त बेसिक शिक्षा के समस्त सहायक शिक्षा निदेशकों को भेजा है।



आरटीई : प्रदेश में एक लाख निजी स्कूल, पोर्टल पर 60 हजार, विभाग ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पत्र पर शुरू की समीक्षा



लखनऊ। अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (आरटीई) के तहत स्कूलों के रजिस्ट्रेशन में जिला स्तर पर कमियां मिली हैं। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पत्र मिलने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग की प्राथमिक समीक्षा में यह सामने आया है कि कई स्कूल दो बार पोर्टल पर दर्ज हैं, तो कई इससे छूटे हुए हैं। प्रदेश में करीब 40 हजार स्कूलों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन ही नहीं है। अब इसे लेकर पूरे प्रदेश की समीक्षा कराने का निर्णय लिया गया है।


समाचार पत्रों ने आरटीई दाखिले से बचने के लिए पोर्टल पर दर्ज तमाम विद्यालयों को बंद दिखाए जाने का खुलासा किया था। इस संबंध में राज्य बाल संरक्षण आयोग ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को पत्र लिखा था। खबर छपने के बाद आयोग के पत्र पर कार्यवाही शुरू हो गई है। प्रथम दृष्टया कई खामियां मिली हैं। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को गए पत्र की प्रति महानिदेशक स्कूल शिक्षा को भी भेजी गई थी।


कई स्कूल दो बार दर्ज, कई इससे छूटे, सत्यापन कराने का फैसला

आयोग ने कहा है कि लखनऊ में कई स्कूल वेबसाइट पर बंद दिखा रहे हैं, जबकि उसमें से कुछ विद्यालय अभी भी चल रहे हैं। इसके बाद विभाग ने इसकी समीक्षा शुरू कराई तो विभिन्न खुलासे होने शुरू हो गए। प्रारंभिक पड़ताल में पता चला कि लखनऊ में ही 100 से अधिक स्कूल दो बार दर्ज हैं। इतना ही नहीं इसमें एडेड कॉलेजों को भी मैप किया गया है। जबकि वह आरटीई में शामिल नहीं है।


सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ कि प्रदेश में निजी स्कूलों की संख्या लगभग एक लाख है और उनमें लगभग 60 हजार ही पोर्टल पर दर्ज हैं। जिला स्तर पर निजी स्कूलों की पोर्टल पर मैपिंग कराने की जिम्मेदारी बीएसए की है। उनके स्तर से क्या कमियां रहीं, विभाग इसकी समीक्षा करेगा। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने कहा कि हम स्कूलों का सत्यापन करवा रहे हैं। जल्द ही इसके बारे में जानकारी दी जाएगी।



स्कूल बंद दिखाकर आरटीई दाखिले से बचने की कोशिश में निजी स्कूल, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को स्थलीय जांच कराने का आदेश


लखनऊ। प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा का स्कूल अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट) के अंतर्गत गरीब बच्चों को दाखिला देने से बचने के लिए नया रास्ता ढूढ़ लिया है। ऐसे कई स्कूलों को बंद दिखा दिया गया है, जो अभी भी संचालित हैं। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसका संज्ञान लिया है। आयोग ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को प्रदेश के समस्त जिलों में बंद दिखाए स्कूलों की जांच का आदेश दिया है।


प्रदेश के आरटीई पोर्टल पर राजधानी लखनऊ के 2053 विद्यालयों का ब्योरा उपलब्ध है। इनमें से शहरी क्षेत्र के 1692 विद्यालयों में से 220 को बंद दिखाया जा रहा है। आयोग से शिकायत की गई है कि बंद दिखाए जा रहे स्कूल संचालित हैं। ये गरीब बच्चों के प्रवेश से बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं। इसी तरह कानपुर नगर में 181, गाजियाबाद में 97, आगरा में 267, गौतमबुद्धनगर में 81, गोरखपुर में 142 व बरेली में 90 स्कूल बंद दिखाए जा रहे हैं। आयोग ने माना है कि बंद दिखाए जा रहे कई स्कूल अभी संचालित हैं। इसकी वजह से आरटीई के दायरे वाली छात्र- छात्राओं को आवंटित विद्यालयों में प्रवेश के लिए भटकना पड़ रहा है।


आयोग की सदस्य डा. शुचिता चतुर्वेदी ने लखनऊ की स्थिति का उल्लेख करते हुए प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को आरटीई की वेबसाइट पर बंद दिखाए जा रहे (स्कूल क्लोज्ड) समस्त विद्यालयों की स्थलीय जांच कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने ऐसे स्कूलों की सही स्थिति को वेबसाइट प्रदर्शित कराने को कहा है। डा. चतुर्वेदी ने प्रमुख सचिव को की गई कार्रवाई की जानकारी एक सप्ताह में आयोग को उपलब्ध कराने को कहा है, ताकि बच्चों का नियमानुसार प्रवेश हो सके।



फीस और कापी-किताब का खर्च देती है सरकार

 प्रदेश सरकार आरटीई में दाखिला पाने वाले अलाभित समूह व दुर्बल आय वर्ग के छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकों, अभ्यास पुस्तिकाओं, व यूनिफार्म के लिए प्रति विद्यार्थी 5000 रुपये देती है। स्कूलों को 450 रुपये प्रतिमाह की दर से 5400 रुपये वार्षिक भुगतान किया जाता है।


बाध्यकारी है आरटीई एक्ट

आरटीई एक्ट के तहत निजी स्कूलों को कक्षा की कुल सीटों का एक-चौथाई आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिये आरक्षित रखना अनिवार्य है। एक्ट के तहत प्री-नर्सरी व कक्षा एक में प्रवेश लिया जाता है। सरकार ने इस व्यवस्था को ठीक से लागू करने के लिए एक आरटीई-यूपी पोर्टल बनाया है। इस पर निजी स्कूलों को जुड़ना अनिवार्य है। इसी पोर्टल पर दर्ज तमाम स्कूल बंद बताए जा रहे हैं।
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