टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई उत्तर प्रदेश सरकार, शिक्षकों को राहत दिलाने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल

टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई उत्तर प्रदेश सरकार, शिक्षकों को राहत दिलाने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल


🔵 1 सितंबर के निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने आठवीं तक के शिक्षकों के लिए अनिवार्य कर दी थी टीईटी

🔵 2 वर्ष में में टीईटी उत्तीर्ण करने का आदेश दिया है शीर्ष कोर्ट ने


🔴 आठवीं कक्षा तक के शिक्षकों की चिंता का मुख्यमंत्री योगी ने लिया संज्ञान, याचिका दाखिल करने को कहा था

🔴 योगी ने कहा, प्रशिक्षण प्राप्त अनुभवी शिक्षकों की योग्यता व सेवा को नजर अंदाज करना उचित नहीं

🔴 सरकार शिक्षकों को प्रशिक्षण देती है, बच्चों की पढ़ाई में पुराने शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका, उनका है सम्मान

🔴 सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी उत्तीर्ण नहीं करने वाले शिक्षकों को बर्खास्त करने और प्रोन्नति न देने का दिया था आदेश

🔵 1.5 लाख शिक्षक प्रदेश में बिना टीईटी की योग्यता के नियुक्त किए गए हैं

 
लखनऊबेसिक शिक्षा विभाग के सेवारत शिक्षकों को टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) की अनिवार्यता से राहत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा कदम उठाया। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में दिए गए आदेश पर शीर्ष अदालत में रिव्यू पिटीशन (पुनर्विचार याचिका) दाखिल की है। कोर्ट ने बीती एक सितंबर को अपने एक आदेश के जरिये कक्षा आठ तक के विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया है। इससे पहले से सेवारत बिना टीईटी पास शिक्षक नौकरी जाने के डर से सदमे में हैं। हाल ही में दो शिक्षकों की मौत के बाद उनके स्वजन ने मानसिक आघात के कारण मौत का आरोप लगाया था। ऐसे में सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से अपने निर्णय पर पुनर्विचार का आग्रह करने के लिए याचिका दाखिल करने को कहा।


मुख्यमंत्री योगी का मानना है कि प्रदेश में पहले से कार्यरत शिक्षक लंबे समय से शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा हैं और बच्चों को पढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सरकार समय-समय पर उन्हें प्रशिक्षण देती रही है ताकि वे बदलते समय और शिक्षा प्रणाली की जरूरतों के अनुरूप शिक्षण कार्य कर सकें। ऐसे में उनकी वर्षों की सेवा और अनुभव को दरकिनार करना उचित नहीं है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षकों की योग्यता और अनुभव का सम्मान करती है। उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा में राज्य का पक्ष मजबूती से रखा जाए, ताकि सेवारत शिक्षकों को राहत मिल सके। सरकार का प्रयास रहेगा कि शिक्षक निश्चिंत होकर बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दें और उनकी सेवाओं का सम्मान बना रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आठवीं तक के शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी सेवा में निरंतरता और पदोन्नति के अवसर प्रभावित होंगे। इससे लाखों सेवारत शिक्षकों के सामने भविष्य को लेकर संशय पैदा हो गया। उनका मानना है कि वर्षों की सेवा और अनुभव के बावजूद एक परीक्षा के आधार पर अयोग्य करार दिया गया, तो यह उनके भविष्य और आजीविका पर संकट ला सकता है। 

प्रदेश में करीब डेढ़ लाख शिक्षक ऐसे हैं जो बगैर टीईटी के नियुक्त हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार जिन शिक्षकों की शेष सेवा अवधि पांच वर्ष से कम है, यदि वह टीईटी नहीं पास करते तो उन्हें पदोन्नति के अवसर बिना ही कार्यकाल पूरा करना होगा। जिनकी शेष सेवा अवधि पांच वर्षों से अधिक है, उन्हें पदोन्नति व सेवा में निरंतरता के लिए दो वर्ष में टीईटी पास करना होगा।


सरकार शिक्षकों के हित के लिए प्रतिबद्धः संदीप सिंह

लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने सीएम की ट्वीट को रि-ट्वीट करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग के सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता से संबंधित उच्चतम न्यायालय के आदेश पर रिवीजन दाखिल करने का विभाग को निर्देश दिया गया है। प्रदेश के शिक्षकों ने अपनी निष्ठा और सेवाभाव से न केवल ज्ञान का प्रसार किया है, बल्कि पीढ़ियों को संस्कारित कर राष्ट्र निर्माण की आधारशिला को मजबूत किया है। हमारे शिक्षकों का अनुभव और उनकी योग्यता शिक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण में काफी महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश सरकार शिक्षकों के हित संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।


टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई उत्तर प्रदेश सरकार, शिक्षकों को राहत दिलाने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 7:16 AM Rating: 5

No comments:

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.