राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद बी0टी0सी0 (BTC) पूर्णकालिक सेवापूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम के नियम
प्रशिक्षण के नियम
बी0टी0सी0 प्रशिक्षण, पूर्णकालिक सेवापूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जो राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के प्राविधानों के अन्तर्गत संचालित किया जाता है। प्रशिक्षण की प्रभावी व्यवस्था हेतु योजना बद्ध कार्यवाही का प्रावधान है। प्रशिक्षण हेतु निम्नवत् नियम निर्धारित है। उक्त नियम जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से मान्यता के उपरान्त प्रदेश शासन से सम्बद्धता प्राप्त निजी संस्थानों में लागू होंगे।
- बी0टी0सी0 दो वर्षीय नियमित प्रशिक्षण है। बी0टी0सी0 प्रशिक्षण के प्रत्येक वर्ष में दो सेमेस्टर निर्धारित है, जिनकी अवधि 6-6 माह है।
- प्रत्येक समेस्टर में न्यूनतम 120 प्रशिक्षण कार्यदिवस निर्धारित है। निर्धारित प्रषिक्षण दिवस में परीक्षा एवं प्रवेश की अवधि सम्मिलित नहीं है।
- प्रशिक्षण अनावासीय है।
- प्रत्येक संस्थान निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए अपने संस्थान की एक अनुषासन व्यवस्था तैयार करेंगें।
- प्रत्येक कार्य दिवस की अवधि प्रातः 10ः00 से सायं 5ः00 बजे तक है, जिसमे 30 मिनट का भोजनावकाश निर्धारित किया जायेगा।
- संस्थान द्वारा एक अनुशासन समिति का गठन किया जायेगा।
- समय से आगमन- प्रस्थान संस्थान में शिष्ट आचरण, प्रशिक्षण कक्ष में निर्देशानुसार कार्यवाही, प्रार्थना सभा, कक्षा-शिक्षण एवं अन्य निदिष्ट कार्य में अनुशासित आचरण करना प्रत्येक प्रशिक्षु हेतु आवश्यक है।
- प्रत्येक संस्थान निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए अपने संस्थान के प्रषिक्षुओं हेतु गणवेष एवं इस हेतु आवष्यक नियम निर्धारित करेंगें।
- प्रशिक्षु को प्रशिक्षण अवधि में निम्नवत् अवकाश दिया जा सकता है।
- प्रषिक्षु को आकस्मिक परिस्थितियों की दषा में प्रत्येक सेमेस्टर में 10 दिन का अवकाश दिया जा सकता है। इस अवकाश हेतु प्रशिक्षु को ससमय प्रार्थना पत्र कक्षाध्यापक/कक्षाध्यापिका के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। कक्षाध्यापक/ कक्षाध्यापिका द्वारा उपस्थिति पंजिका में संबंधित प्रशिक्षु के नाम के सम्मुख उक्त अवकाश की प्रविष्टि की जायेगी तथा इस आशय का रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाएगा ।
- गम्भीर बीमारी अथवा अन्य किसी अपरिहार्य कारण से अनुपस्थिति होने की दशा में प्रशिक्षु को अधिकतम 20 दिन का विशेष अवकाश, प्राचार्य डायट की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा प्रशिक्षु के प्रार्थना पत्र पर सम्यक विचारोपरान्त दिया जा सकता है। चिकित्सा प्रमाण पत्र जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होना अनिवार्य है, अन्य अपरिहार्य कारणों की दषा में शपथ पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
उपस्थिति
प्रत्येक सेमेस्टर में प्रशिक्षु को न्यूनतम 75 प्रतिशत प्रशिक्षण कार्यदिवसों में उपस्थिति होना अनिवार्य है। 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति होने पर प्रशिक्षु संदर्भित सेमेस्टर की परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो सकेगा।
5. पुनः नामांकन
- यदि प्रशिक्षु बिना किसी सूचना के 6 दिन तक लगातार अनुपस्थित रहता है तो इसकी सूचना संबधित प्रशिक्षु के माता-पिता/अभिभावक को पंजीकृत डाक/स्पीड पोस्ट/ई-मेल के माध्यम से भेजी जायेगी। संस्थान द्वारा जारी पत्र में निर्धारित/उल्लिखित तिथि (जो कि 10 दिन होगी) तक उपस्थित न होने पर प्रशिक्षु को प्रशिक्षण से पृथक कर दिया जायेगा तथा प्रशिक्षण से पृथक किये जाने की सूचना संबंधित प्रशिक्षु को पंजीकृत डाक/ स्पीडपोस्ट/ई-मेल के माध्यम से प्रेषित की जायेगी।
- सामान्यतः किसी भी दशा में प्रशिक्षु के पुनः प्रवेश की व्यवस्था नहीं है।
- किसी सेमेस्टर में 75 प्रतिशत प्रशिक्षण दिवसों मंे उपस्थिति पूर्ण न होने पर सम्बन्धित प्रशिक्षु को उस सेमेस्टर की परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं दी जायेगी।
- इस स्थिति में प्रशिक्षु को अगले बैच के उसी सेमेस्टर में पुनः प्रवेश का एक अवसर प्रदान किया जायेगा। पुनः प्रवेश की दशा में प्रशिक्षु द्वारा निर्धारित पुनः प्रवेश शुल्क देना होगा। यह सुविधा प्रशिक्षु को बी0टी0सी0 प्रशिक्षण के दौरान केवल एक बार दी जायेगी।
6. परीक्षा
- बी0टी0सी0 का प्रशिक्षण पाठ्यक्र्रम 4 सेमेस्टर में विभाजित होगा। प्रत्येक सेमेस्टर की सेमेस्टर अवधि पूर्ण होने पर प्रशिक्षु का मूल्यांकन, परीक्षा नियामक प्राधिकारी, उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद द्वारा निर्धारित प्रक्रिया अनुसार किया जायेगा।
- प्रत्येक सेमेस्टर की अवधि 6 माह है। 6 माह की अवधि पूर्ण होने के बाद अगले सेमेस्टर की कक्षाएं सम्बन्धित संस्थान द्वारा स्वतः प्रारम्भ कर दी जायेंगी।
- परीक्षा संस्था शैक्षिक विषयों एवं शैक्षिक गतिविधियों के मूल्यांकन की प्रक्रिया निम्न बिन्दुओं को दृष्टिगत रखते हुए निर्धारित की जायेगी।
- प्रत्येक सेमेस्टर में प्रशिक्षु का मूल्यांकन लिखित परीक्षा, यूनिट टेस्ट, प्रोजेक्ट/मॉडल, इन्टर्नशिप के माध्यम से किया जायेगा।
- किसी भी सेमेस्टर में उत्तीर्ण होने के लिये प्रशिक्षु को प्रत्येक विषय के वाह्य मूल्यंाकन में 50 प्रतिशत अंक तथा आंतरिक मूल्यांकन में 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। प्राप्त अंको के आधार पर प्रशिक्षुओं को ग्रेड दिये जायेगें।
- संस्थान द्वारा प्रत्येक प्रशिक्षु की प्रोफाइल तैयार की जायेगी, जिसमें छात्र के दैनिक व्यवहार, आचरण, अनुशासन एवं नियमों के आधार पर विस्तृत टिप्पणी
विषय शिक्षक, कक्षा शिक्षक एवं प्रधानाध्यापक (इन्टर्नशिप के विद्यालय) द्वारा की जायेगी तथा आंतरिक मूल्यांकन के समय उक्त टिप्पणी को संज्ञान में लिया जा सकता है।
- प्रत्येक प्रश्नपत्र में आंतरिक मूल्यांकन के 50 प्रतिशत अंक होंगे, जिसमें 20 प्रतिशत अंक प्रोजेक्ट तथा सत्रीय कार्य हेतु तथा 30 प्रतिशत अंक विषयों की आन्तरिक लिखित परीक्षा (यूनिट टेस्ट-प्रति माह एक तथा सेमेस्टर में तीन होंगे।) के लिए निर्धारित है।
- उक्त के अतिरिक्त प्रत्येक समेस्टर में 200 अंक इन्टर्नशिप के होंगे, जिनमें से 100 अंक सम्बन्धित विद्यालय (इन्टर्नशिप हेतु आवंटित) के प्रधानाध्यापक द्वारा दिये जायेंगे तथा 100 अंक सम्बन्धित संस्था द्वारा दिये जायेंगे। आंतरिक एवं वाह्य मूल्यांकन कक्षा अवलोकन (पूर्व ज्ञान के सम्बन्ध में), पाठ योजना तैयार करने, शिक्षण विधि, टी0एल0एम0 प्रयोग, मूल्यांकन प्रपत्र (छात्रों का), रिमेडियल शिक्षण हेतु अपनायी गयी विधि एवं अनुशासन के आधार पर किया जायेगा।
- आंतरिक मूल्यांकन में अर्जित अंकों के आधार पर प्रशिक्षुओं को ग्रेडिंग प्रदान की जायेगी, जिसमें यह ध्यान रखा जायेगा कि 40 प्रतिशत से अधिक तथा 20 प्रतिशत से कम प्रशिक्षुओं को एक ही ग्रेड न दिया जाये। यदि आंतरिक मूल्यांकन में अन्यथा स्थिति पायी जाती है, तो ऐसी संस्था का आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा नामित पैनल द्वारा किया जाएगा। इस प्रकार प्रशिक्षुओं को ए, बी, सी एवं डी ग्रेड दिया जा जायेगा, जिनका गुणांक क्रमशः 10, 8, 6, फेल होगा।
- वाह्य एवं आंतरिक परीक्षा में अर्जित किये गये अंकों/ग्रेड को एक ही अंकपत्र में अंकित किया जायेगा।
प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ सेमेस्टर में प्रत्येक सेमेस्टर की परीक्षा के उपरान्त अलग-अलग अंकपत्र दिये जायेंगे। चतुर्थ सेमेस्टर के अंकपत्र में पिछले तीनों सेमेस्टर की परीक्षा में प्राप्त विषयवार ग्रेड का भी अंकन किया जायेगा। चारों सेमेस्टरों के विषयवार ग्रेड के आधार पर प्रशिक्षु को ग्रेड प्रदान किया जायेगा।
प्रत्येक सेमेस्टर में विषयवार कम से कम एक प्रोजेक्ट का निर्माण, शोध करना और उसका प्रस्तुतीकरण। प्रोजेक्ट कार्य/टी0एल0एम0 का आंकलन/मुल्यांकन निम्नांकित बिन्दुओं के सापेक्ष किया जाएगा।
- प्रोजेक्ट- विषयवस्तु, प्रासंगिकता (कक्षा स्तर एवं विषय के अनुसार), प्रारूप, सामग्री संकलन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषणात्मक अध्ययन
- टी0एल0एम0- विषयवस्तु, प्रासंगिकता (कक्षा स्तर एवं विषय के अनुसार), परिवेशीय/टिकाऊ, उपयोगिता, विस्तार की स्थिति (उनसजपकपउमदेपवदंसद्ध (सम्बन्धित एवं अन्य विषयों में), विषयवस्तु के सापेक्ष प्रस्तुतीकरण
- इसी प्रकार प्रोजेक्ट कार्य के अन्तर्गत कराये जाने वाले अन्य कार्यों पर भी आंकलन के बिन्दु निर्धारित कर मूल्यांकन किया जाएगा।प्रत्येक सेमेस्टर में विषयवार कम से कम एक प्रोजेक्ट का निर्माण, शोध करना और उसका प्रस्तुतीकरण।
प्रोजेक्ट कार्य/टी0एल0एम0 का आंकलन/मुल्यांकन निम्नांकित बिन्दुओं के सापेक्ष किया जाएगा।
- प्रथम, द्धितीय एवं पंचम प्रश्न पत्र दो घण्टे के तथा शेष सभी प्रश्न पत्र एक घण्टे के वाह्रय मूल्यांकन हेतु निर्धारित है।
- वाह्रय मूल्यांकन में मात्र लिखित परीक्षा होगी, जबकि आन्तरिक मूल्यांकन में मौखिक एवं लिखित परीक्षा होगी।
- वाह्य एवं आंतरिक परीक्षा में नियमानुसार ग्रेड्स प्रदान किये जाएंगे।
7. समय सारिणी
प्रत्येक सेमेस्टर हेतु परीक्षा नियामक प्राधिकारी, उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद द्वारा सेमेस्टरवार परीक्षा संचालन हेतु सम्भावित समय सारिणी प्रसारित होगी, जिसके अनुसार समस्त संस्थानों द्वारा कार्यवाही सम्पादित की जायेगी।
8. परीक्षा शुल्क
मुल्यांकन शुल्क परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा नियत किया जायेगा। मुल्यांकन शुल्क की 50 प्रतिशत की धनराशि परीक्षा नियामक प्राधिकारी को सम्बधित संस्थानों द्वारा बाह्य परीक्षा कराने हेतु उपलब्ध करायी जायेगी तथा अवशेष 50 प्रतिशत की धनराशि प्रशिक्षु की आन्तरिक परीक्षा सम्बन्धी कार्यों के लिए डायट/संस्थान की परीक्षा निधि में रखी जायेगी।
9. परीक्षा फार्म
प्रत्येक सेमेस्टर हेतु सम्बन्धित संस्था के प्राचार्य द्वारा निर्धारित परीक्षा शुल्क प्रशिक्षुओं से लिया जायेगा, निर्धारित तिथि तक परीक्षा शुल्क जमा करने वाले प्रशिक्षुओं का विवरण परीक्षा संस्था को निर्धारित प्रारूप (नामावली) पर सॉफ्ट कॉपी
एवं हार्ड कॉपी में उपलबध करायी जायेगी। निजी संस्थानों द्वारा अपने संस्थान के प्रशिक्षुओं का विवरण परीक्षा संस्था को अपने जनपद की डायट के माध्यम से प्रेषित किया जायेगा।
10. अनुक्रमांक
प्रेषित नामावली के अनुक्रमांक कॉलम में परीक्षा संस्था द्वारा अनुक्रमांक आवंटित कर संस्थान को प्रवेश पत्र के साथ प्रेषित की जायेगी। निजी संस्थानों को यह डायट के माध्यम से प्राप्त होगी।
11. प्रवेश पत्र
प्रशिक्षु को प्रवेश पत्र के साथ आवश्यक निर्देश एवं सूचना संस्थान से परीक्षा पूर्व प्राप्त करनी होगी। निजी संस्थान को यह डायट के माध्यम से प्राप्त होगी।
12. अंक पत्र
परीक्षा संस्था द्वारा संस्थान को परीक्षाफल/अंकपत्र नामावली के विवरण के साथ प्रशिक्षुवार प्राप्त करायी जायेगी। निजी संस्थान को डायट के माध्यम से प्राप्त होगें। अंक पत्र खो जाने की दशा में प्रशिक्षु को निर्धारित प्रपत्र पर एक आवेदन सम्बन्धित प्राचार्य, डायट को देना होगा, आवेदन पत्र के साथ एक शपथ पत्र एवं शुल्क रूपये 250/- दिया जाना होगा।
13. प्रमाण पत्र
चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा के उपरान्त परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद द्वारा प्रमाण पत्र संस्थान को उपलब्ध करायें जायेंगे। निजी संस्थान को डायट के माध्यम से प्राप्त होगें। प्रमाण पत्र खो जाने की दशा में प्रशिक्षु को निर्धारित प्रपत्र पर एक आवेदन सम्बन्धित प्राचार्य, डायट को देना होगा, आवेदन पत्र के साथ एक शपथ पत्र एवं शुल्क रूपये 250/- दिया जाना होगा।
14. प्राप्तांक एवं श्रेणी
15. पुनः परीक्षा
प्रशिक्षु यदि अधिकतम किन्हीं दो विषयों की लिखित परीक्षा में अनुत्तीर्ण होता है तो उसे आगे आने वाले सेमेस्टर में पुनः लिखित परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति प्रदान की जायेगी, किन्तु यदि दो से अधिक विषयों में अनुत्तीर्ण होता है तो उसे पूरा सेमेस्टर दोबारा करना होगा। यदि प्रशिक्षु अधिकतम दो विषयों के लिखित में अनुत्तीर्ण एवं आन्तरिक मूलयांकन में डी ग्रेड
प्राप्त करता है तो उसे ऐसे विषय आने वाले सेमेस्टर में पुनः पढ़ने होंगे।
16. मूल्यांकन
- वाह्रय मूल्यांकन - परीक्षा संस्था द्वारा वाह्रय मूल्यांकन हेतु विषयवार लिखित परीक्षा ली जायेगी।
- आन्तरिक मूल्यांकन - संस्थान के स्तर पर नियत पैनल द्वारा, यूनिट टेस्ट, सत्रीय कार्य, प्रायोगिक कार्य, प्रोजेक्ट एवं परीक्षण के आधार पर किया जायेगा। आन्तरिक मूल्यांकन में लिखित एवं मौखिक दोनो प्रकार की परीक्षायें होंगी।
- दोनों मूल्यांकन के कुल योग से श्रेणी का निर्धारण होगा। आन्तरिक मूल्यांकन के अंक प्रशिक्षुवार नामांवली के अनुसार परीक्षा संस्था को लिखित परीक्षा के उपरान्त संस्थान द्वारा प्रेषित किये जायेंगे।
- लिखित परीक्षा में बहुविकल्पीय, अतिलघुत्तरीय (25 शब्दों तक), लघुत्तरीय प्रश्न (75 शब्दों तक) होंगे।
- यदि प्रषिक्षु किसी भी विषय की उत्तर पुस्तिका की स्क्रूटनी कराना चाहता है तो उसे परीक्षा परिणाम घोषित होने की तिथि से 30 दिनों के अन्दर सम्बन्धित डायट में अपना आवेदन प्रस्तुत करना होगा। प्रशिक्षु एक सेमेस्टर में अधिकतम दो विषयों की ही स्क्रूटनी करा सकता है।
- स्क्रूटनीष्शुल्क का निर्धारण ‘परीक्षा नियामक प्राधिकारी, उ0प्र0, इलाहाबाद‘ द्वारा किया जायेगा।
- किसी भी विषय की उत्तर-पुस्तिका की स्क्रूटनी केवल एक बार ही की जायेगी।
- कक्षा षिक्षण, प्रायोगिक परीक्षा के मूल्यांकन व आन्तरिक मूल्यांकन में स्क्रूटनी का प्रावधान नहीं होगा।
- किसी भी विषय की उत्तर पुस्तिका की स्क्रूटनी निम्नलिखित बिन्दुओं के अनुसार की जायेगी।
- यदि उत्तर-पुस्तिका के मूल्यांकन में किसी प्रष्न के उत्तर को अंक नहीं दिये गए हैं तो ऐसे प्रष्न के सही उत्तर को अंक देना होगा।
- यदि प्राप्तांकों के योग में त्रुटि है तो उसे संषोधित किया जायेगा।
- यदि स्क्रूटनी में प्राप्त संषोधित अंक पूर्व प्राप्ताकों से अधिक हों, तभी स्क्रूटनी को प्रभावी माना जायेगा अन्यथा की स्थिति में अंक यथावत रहेंगे।
18. स्क्रूटनी परीक्षा हेतु निर्धारित शुल्क सम्बन्धित प्राचार्य, डायट को निर्धारित आवेदन पत्र के साथ जमा किया जायेगा।
19. अभ्यर्थन (निरस्तीकरण)
प्रशिक्षुओं का बी0टी0सी0 में अभ्यर्थन निम्न कारणों से निरस्त किया जा सकता है।
1. प्रवेश के समय दी गयी गलत सूचना/अभिलेख के आधार पर।
2. उपस्थिति पूर्ण न होने की स्थिति में।
3. अनुशासन समिति द्वारा प्रतिकूल टिप्पणी किये जाने पर।
4. परीक्षा अवधि में अनुचित साधनों के प्रयोग पर।
5. किसी भी सेमेस्टर में दो बार एवं किसी भी विषय में तीन बार फेल होने पर।
6. बी0टी0सी0 प्रशिक्षण के दौरान किसी अन्य किसी संस्थागत/व्यक्तिगत पाठ्यक्रम/कोर्स में प्रतिभाग करने पर।
20. अपील
अभ्यर्थन निरस्त होने पर/बी0टी0सी0 प्रमाण पत्र रद्द किये जाने पर प्रशिक्षु द्वारा अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिन के अन्दर अपील प्रस्तुत की जा सकती है। अपील के निस्तारण के पूर्व प्रशिक्षु को सुनवाई का अवसर दिया जायेगा। अपीलीय प्राधिकारी निदेशक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, उ0प्र0, लखनऊ अथवा उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी होंगे। अपीलीय प्राधिकारी का निर्णय अंतिम होगा।
21. प्रशिक्षु का फीडबैक
- प्रशिक्षु से प्रत्येक सेमेस्टर के अन्तिम सप्ताह में उस सेमेस्टर में दिये गये विषयवार प्रशिक्षण के सम्बन्ध में फीडबैक निर्धारित प्रारूप पर लिया जाएगा, जिसमें कक्षा का वातावरण, शैक्षिक संसाधनों की उपलब्धता, विषयवस्तु, शिक्षण-विधियों, शिक्षक का व्यवहार, शिक्षक का ज्ञान आदि बिन्दु पर अभिमत लिया जाएगा।
- इसी प्रकार बी0टी0सी0 पाठ्यक्रम के अन्तिम सेमेस्टर की समाप्ति के समय संस्थान के सम्बन्ध में एक फीडबैक प्रशिक्षुओं से लिया जाएगा, जिसमें प्रशिक्षु संस्थान की भौतिक सुविधाओं (कक्षा-कक्ष, बाउण्ड्री, शौचालय, छात्रावास, कार्यालय, बैठक व्यवस्था आदि), प्रशासनिक व्यवस्थाओं (प्राचार्य/कार्यालय/कक्षाध्यापक/शिक्षकों के सहयोग की स्थिति आदि) एवं शैक्षिक संसाधनों की उपलब्धता की स्थिति पर अपना अभिमत निर्धारित प्रारूप पर देंगे।
प्रोजेक्ट कार्य/शिक्षण अधिगम सामग्री एवं मॉडल/यूनिट टेस्ट/इण्टर्नशिप में प्रयोग की जाने वाली सामग्री सम्बन्धित संस्थान द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी तथा यह सामग्री परीक्षा शुल्क के रूप में प्रशिक्षुओं से ली गयी धनराशि में से दी जाएगी। प्रोजेक्ट कार्य/शिक्षण अधिगम सामग्री एवं मॉडल/यूनिट टेस्ट/ इण्टर्नशिप के सभी कार्य विद्यालय/संस्थान में निधार्रित समय में पूर्ण करना होगा। घर से तैयार कर लाये गये शैक्षिक कार्यो का मुल्यांकन नही किया जायेगा।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद बी0टी0सी0 (BTC) पूर्णकालिक सेवापूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम के नियम
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
5:00 AM
Rating:
No comments:
Post a Comment