प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती : 50 लाख प्रत्यावेदन भेजे जाने का अनुमान : टीईटी ‘महायज्ञ’ में धन की ‘आहुति’
- 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रकरण
- तीन साल से चल रही प्रक्रिया अभी निष्कर्ष तक नहीं पहुंची
- बदलते नियमों ने हर बार अभ्यर्थियों की काटी जेब
- प्रघान डाकघर में फार्म जमा करने के लिए लगी अभ्यर्थियों की भीड़
इलाहाबाद : प्रदेश भर में टीईटी पास अभ्यर्थियों को शिक्षक बनाने की मैराथन प्रक्रिया चल रही है। भर्ती के लिए तीन साल से मानों ‘महायज्ञ’ चल रहा है इसमें समय-समय पर धन की ‘आहुतियां’ भी डाली जा रही हैं। कोर्ट के आदेश पर सरकार धन वापस तो कर नहीं पाई, लेकिन बेरोजगारों की जेब पर दनादन कैंची चलाती जा रही है।
प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए 2011 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) करवाई थी। सरकार ने 72825 शिक्षकों की भर्ती के लिए 30 नवंबर 2011 को सामान्य अभ्यर्थियों के लिए 500 एवं आरक्षित वर्ग के लिए 200 रुपये का शुल्क रखा था। सभी को पांच जनपदों में आवेदन करने की छूट थी। आवेदकों के विरोध और कोर्ट के आदेश पर मायावती सरकार ने अभ्यर्थियों को सभी जिलों में आवेदन की छूट दे दी। सरकार ने यह शर्त रखी कि किसी एक जनपद के को मूल मानकर उसके बैंक ड्राफ्ट की फोटो कापी के साथ अन्य जनपदों में आवेदन किया जाए।
सूबे में सरकार बदली तो कोर्ट के आदेश पर दिसंबर 2012 में दोबारा बेसिक शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर से विज्ञापन जारी हुआ। इसमें अभ्यर्थियों को मनचाहे जिले में आवेदन की छूट मिली। सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों ने कई जनपदों में आवेदन किया। तब सरकार ने पहले जमा हुए शुल्क वापसी के लिए आवेदन मंगाया। इसमें भी सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई। करीब 68 लाख आवेदनों में से महज 73 हजार आवेदकों को ही धन वापस मिल सका।
पुराना धन देने के बजाय सरकार ने जुलाई 2014 में फिर आवेदन मांगा कि जिसने अपना धन वापस ले लिया है वे नए सिरे से ड्राफ्ट जमा करें। ताज्जुब है कि सरकार निरंतर धन मांग रही है, लेकिन बेरोजगारों की जेब पर कतई तरस नहीं खा रही है। अभ्यर्थियों ने सरकार की यह मुराद भी जैसे-तैसे पूरी की है। साथ ही डाटा फीडिंग के दौरान आवेदन में हुई त्रुटियों को ठीक कराने के लिए फिर सभी जिलों में आवेदन भेजा जा रहा है। इसमें लगभग सभी अभ्यर्थी जद में आ रहे हैं। धन, समय दोनों खर्च हो रहा है। हजारों अभ्यर्थी व अभिभावक परेशान हैं। डाकघर और डायट में चक्कर काट रहे हैं। तमाम जिलों में आवेदन भेजने के लिए भोर से ही लाइन लगा रहे हैं। यह तो भर्ती का शुरुआती चरण है अभी और कितनी जगह लाइन लगानी होगी और कितना धन लुटाना होगा तय नहीं है।
प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए 2011 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) करवाई थी। सरकार ने 72825 शिक्षकों की भर्ती के लिए 30 नवंबर 2011 को सामान्य अभ्यर्थियों के लिए 500 एवं आरक्षित वर्ग के लिए 200 रुपये का शुल्क रखा था। सभी को पांच जनपदों में आवेदन करने की छूट थी। आवेदकों के विरोध और कोर्ट के आदेश पर मायावती सरकार ने अभ्यर्थियों को सभी जिलों में आवेदन की छूट दे दी। सरकार ने यह शर्त रखी कि किसी एक जनपद के को मूल मानकर उसके बैंक ड्राफ्ट की फोटो कापी के साथ अन्य जनपदों में आवेदन किया जाए।
सूबे में सरकार बदली तो कोर्ट के आदेश पर दिसंबर 2012 में दोबारा बेसिक शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर से विज्ञापन जारी हुआ। इसमें अभ्यर्थियों को मनचाहे जिले में आवेदन की छूट मिली। सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों ने कई जनपदों में आवेदन किया। तब सरकार ने पहले जमा हुए शुल्क वापसी के लिए आवेदन मंगाया। इसमें भी सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई। करीब 68 लाख आवेदनों में से महज 73 हजार आवेदकों को ही धन वापस मिल सका।
पुराना धन देने के बजाय सरकार ने जुलाई 2014 में फिर आवेदन मांगा कि जिसने अपना धन वापस ले लिया है वे नए सिरे से ड्राफ्ट जमा करें। ताज्जुब है कि सरकार निरंतर धन मांग रही है, लेकिन बेरोजगारों की जेब पर कतई तरस नहीं खा रही है। अभ्यर्थियों ने सरकार की यह मुराद भी जैसे-तैसे पूरी की है। साथ ही डाटा फीडिंग के दौरान आवेदन में हुई त्रुटियों को ठीक कराने के लिए फिर सभी जिलों में आवेदन भेजा जा रहा है। इसमें लगभग सभी अभ्यर्थी जद में आ रहे हैं। धन, समय दोनों खर्च हो रहा है। हजारों अभ्यर्थी व अभिभावक परेशान हैं। डाकघर और डायट में चक्कर काट रहे हैं। तमाम जिलों में आवेदन भेजने के लिए भोर से ही लाइन लगा रहे हैं। यह तो भर्ती का शुरुआती चरण है अभी और कितनी जगह लाइन लगानी होगी और कितना धन लुटाना होगा तय नहीं है।
खबर साभार : दैनिक जागरण
राकेश और सौरव ही नहीं, टीईटी शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन करने वाले ज्यादातर अभ्यर्थियों का यही हाल है। इन अभ्यर्थियों का दावा है कि आवेदन करते समय उन्होंने कोई गलती नहीं की थी। अपने तर्क के पक्ष में वे आवेदन फॉर्म की फोटो कॉपी दिखाते हैं, जिसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं है। इसके बावजूद प्रत्यावेदन भेजना पड़ रहा है। एक प्रत्यावेदन भेजने में अभ्यर्थियों को औसतन 54-55 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। अभ्यर्थियों ने चूंकि कई-कई जिलों से आवेदन कर रखा है, ऐसे में एक-एक अभ्यर्थी को 2000 से 2500 रुपये की चपत लग रही है। प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए पूरे प्रदेश में 69 लाख आवेदन फॉर्म आए, जिनमें ज्यादातर में गड़बड़ियां हैं। अगर 50 लाख प्रत्यावेदन भी भेजे गए तो अभ्यर्थियों को 25 करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगेगी।
बेसिक शिक्षा बोर्ड की वेबसाइट न खुलने के कारण पहले चार दिनों तक अपनी मेरिट देखने के लिए परेशान रहे अभ्यर्थियों को अब डाकघरों मे धक्के खाने पड़ रहे हैं। सबसे बड़ी मुसीबत बेरोजगारी में प्रत्यावेदन भेजने के लिए पैसे की व्यवस्था करना है। एक प्रत्यावेदन भेजने के लिए अभ्यर्थी को सबसे पहले संशोधन फॉर्म वेबसाइट से डाउनलोड करना होता है। साइबर कैफे में इसके लिए आम तौर पर 10 रुपये लगते हैं। प्रत्यावेदन के साथ अभ्यर्थियों को हाईस्कूल के प्रमाणपत्र, फोटो आईडी और टीईटी के प्रमाणपत्र की फोटो कॉपी भी भेजनी है, इसमें तीन रुपये का खर्च आ रहा है। इन्हें भेेजने के लिए दो रुपये को लिफाफा लगता है। अभ्यर्थियों को 15 जुलाई से पहले अपना प्रत्यावेदन किसी भी सूरत में संबंधित डायट पर पहुंचाना है। ऐसे में वे स्पीड पोस्ट से प्रत्यावेदन भेज रहे हैं। लिफाफे का भार ज्यादा होने के कारण स्पीड पोस्ट से प्रत्यावेदन भेजने पर 39 रुपये का डाक टिकट लगाना पड़ रहा है। इस तरह एक प्रत्यावेदन पर कम से कम 54 रुपये खर्च आ रहा है। नौकरी का सवाल है, इसलिए एक-एक अभ्यर्थी प्रत्यावेदन भेजने में दो-दो हजार रुपये खर्च कर रहा है।
केस-1
प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती-2011 के लिए राकेश कुमार ने 50 जिलों से आवेदन किया था। मेरिट सूची जारी हुई तो 50 में से 46 आवेदनों में किसी न किसी तरह की गड़बड़ी थी। राकेश का दावा है कि उनके आवेदन पत्र में कोई कमी नहीं थी। अब मजबूरी में हर जगह गलती सुधरवाने के लिए प्रत्यावेदन भेजने में उन्हें करीब 2500 रुपये खर्च करने पड़े।
केस-2
सौरव कुमार ने प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए वर्ष 2011 में 44 जिलों से आवेदन किया था। चार जगह से उनका आवेदन वापस आ गया था। छह जिलों में उनका नाम नहीं दिख रहा। बाकी बचे 34 जिलों में कोई न कोई गड़बड़ी है। ऐसे में उन्हें 40 जगह प्रत्यावेदन भेजना पड़ रहा है। इसमें दो हजार रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा।
प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती : 50 लाख प्रत्यावेदन भेजे जाने का अनुमान : टीईटी ‘महायज्ञ’ में धन की ‘आहुति’
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
4:53 AM
Rating:
2 comments:
kab tak adhyapakon ke antarjanpadiy sthantaran kiye jayenge?
kab tak adhyapakon ke antarjanpadiy sthantaran kiye jayenge? please jankari ho to jaroor share kare
Post a Comment