प्राइमरी स्कूलों में जाकर दुर्दशा देखें अफसर : इलाहाबाद हाईकोर्ट चीफ जस्टिस का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निदेशक बेसिक शिक्षा को निर्देश दिया है कि वह प्राथमिकी विद्यालयों की दुर्दशा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के साथ मौके पर जाकर देखें। स्कूलों में यदि मूलभूत सुविधाओं का अभाव है तो उसे दूर किया जाए। मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चंद्रचूड की खंडपीठ ने यह आदेश विधि छात्रों के एक समूह प्रतीक्षा केशरवानी और अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। इन छात्रों की एक टीम ने जिले के दर्जन भर से अधिक स्कूलों में निरीक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राथमिक विद्यालयों की दशा बेहद खराब है। यह बिजली, पीने के पानी और सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को मध्याह्न का भोजन देने का कार्य भी ठीक से नहीं चल रहा है। स्कूलों में मेज और कुर्सियां भी नहीं हैं। 
याचिका में कहा गया है कि यह हालात निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 तथा सर्वशिक्षा अभियान लागू होने के बाद है। स्कूलों की दशा देखने से पता चलता है कि बेसिक शिक्षा विभाग अधिनियम को लागू करने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। खंडपीठ ने बेसिक शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया है कि वह छात्रों द्वारा बताए गए स्कूलों का बीएसए इलाहाबाद के साथ निरीक्षण करें। वहां की खामियों का जायजा लेने के बाद तत्काल उसे दूर करने का प्रबंध किया जाए। कोर्ट ने अधिकारियों से इसकी रिपोर्ट मांगी है जिसमें सुधार संबंधी शेड्यूल बताने को कहा गया है। सुनवाई की अगली तिथि छह अगस्त को बताने के लिए कहा है कि स्कूलों की दशा सुधारने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने निदेशक बेसिक शिक्षा और बीएसए इलाहाबाद को आगाह किया है कि आदेश के अनुपालन में कोई भी कोताही करने पर कोर्ट उनको व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार मानेगी। कोर्ट ने नगर निगम अधिकारियों को भी निर्देश दिया है कि जांच करने वाली टीम की मांग पर फौरन उनको सहायता उपलब्ध कराएं।


खबर साभार : अमर उजाला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद जिले के प्राइमरी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न होने की शिकायत पर निदेशक बेसिक शिक्षा उप्र लखनऊ को निर्देश दिया है कि वह जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को साथ लेकर स्कूलों का निरीक्षण करें और सुविधाएं उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने कहा है कि किसी निर्देश की अपेक्षा किए बगैर स्कूलों की हालत सुधारने के कदम उठाए जाएं। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से जवाबी हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि समयबद्ध तरीके से बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित बेसिक स्कूलों में जरूरी सुविधाएं दी जाएं। कोर्ट ने याचिका की अगली सुनवाई की तिथि छह अगस्त नियत करते हुए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि यदि निर्देशों के अनुसार कार्यवाही नहीं की जाती तो दोनों अधिकारियों की जवाबदेही होगी।

कोर्ट ने कहा कि स्कूलों में सभी जरूरी सुविधाएं हर हाल में उपलब्ध कराई जाएं। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता ने ह्यूमन राइट लॉ नेटवर्क से जुड़ी विधिक प्रशिक्षण ले रहे छात्रों ऐशानी सिंह, आयुषी कुमार, पल्लवी आदि छात्र-छात्रओं की जनहित याचिका पर दिया है। याचियों की एक टीम ने जिले के बेसिक स्कूलों का निरीक्षण किया और पाया कि विद्यालयों के भवन जर्जर हालत में हैं। बिजली, पानी, फर्नीचर आदि सुविधाएं नहीं हैं। शौचालय नहीं हैं, कहीं हैं भी तो उपयोग लायक नहीं है। याचियों ने रिपोर्ट तैयार कर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की तथा जिले के प्राइमरी स्कूलों की हालत में सुधार लाने के निर्देश दिए जाने की मांग की है।

खबर साभार : दैनिक जागरण

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प्राइमरी स्कूलों में जाकर दुर्दशा देखें अफसर : इलाहाबाद हाईकोर्ट चीफ जस्टिस का आदेश Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 6:08 AM Rating: 5

1 comment:

anupkshatriya said...

yah dasha har jilo ki h sab ji computer k anudeshak beje gaye per kya kisi ne bijali aur sudhh pani ki vyawastha ki h,,,,,,,hanpipe se v gande pani aate h gher se pani lekar jab teacher jate h to aise school me bachhho ka kay hoga sarkar apne bajat me har school me mdm bend ker k sabse pahle sudh ro water ki vyawasta kare uske bad smart class dene k liye projecter aur bijali fir dekhiye padai cctv camera laga k ....................

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