17 शिक्षकों को मिला राज्य पुरस्कार
- शिक्षा को रोजगार से जोड़ना अच्छा पर व्यापार से जोड़ना गलत
- 17 शिक्षकों को मिला राज्य पुरस्कार
सदियों से चला आ रहा गुरुजनों का सम्मान आज समाज में ऐसे ही नहीं बाकी है। लेकिन आज शिक्षक के मायने बदलते जा रहे हैं। कई बार ऐसी बाते सुनने में आती हैं, जो शिक्षक वर्ग को शर्मसार करती हैं। इन परिस्थतियों को हर हाल में बदलना होगा। यह बात राज्यमंत्री बेसिक शिक्षा के योगेश प्रताप ने शुक्रवार को उप्र आवास एवं विकास परिषद में आयोजित शिक्षकों के सम्मान समारोह के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि शिक्षा को रोजगार से जोड़ना अच्छी बात है, लेकिन इसे व्यापार से जोड़ना सही नहीं। सपा सरकार में ही एक लाख 70 हजार शिक्षा मित्रों का अध्यापक बनने का रास्ता साफ हुआ। लोगों का कहना था कि तीन हजार पाने वाले शिक्षा मित्रों को 10 से 12 हजार रुपए वेतन फिक्स कर दिया जाए, लेकिन मुख्मंत्री ऐसी सभी सुझावों को दरकिनार करते हुए सभी शिक्षा मित्रों को समान अध्यापक की तरह वेतन दिए जाने पर मोहर लगा दी। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी ने कहा कि समाज को बेहतर रूप देना शिक्षकों का दायित्व तो है, लेकिन समाज के दूसरे वर्गो को भी इसमें आगे आना होगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक बेसिक महेंद्र सिंह राणा ने कहा कि शिक्षा को हर स्तर पर बढ़ाते रहना होगा।
राज्य पुरस्कार 2013 के लिए इस बार 17 शिक्षक चयनित हुए हैं। इनमें याकूब
अली गहलोत सत्यवीर सिंह और मधुबाला मेरठ से, जवाहर लाल संतकबीर नगर,
मुजफ्फरनगर से पुरस्कार पाने वालों में सईदुद्दीन और जय चंद्र सिंह पुंडीर
शामिल हैं। जबकि उन्नाव से देव कृष्ण तिवारी, बरेली से कंचन कनौजिया व
द्वारिका प्रसाद, गोरखपुर से राजकुमारी शर्मा, सिद्धार्थनगर से
हरीरामविश्वकर्मा, मेरठ से, रामप्रताप चौधरी संतकबीर नगर से, हेतराम गंगवार
शहाजहांपुर से, प्रुम्न प्रसाद चित्रकूट से, सतीश कुमार सहारनपुर से,
रुराज सिंह बघेल कन्नौज से और गाजीपुर के सूर्यदेव राय भी सम्मानित किए गए।
17 शिक्षकों को मिला राज्य पुरस्कार
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
8:33 PM
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