पोलियो उन्मूलन में धन्यवाद उपेक्षा पर झलका शिक्षकों का दर्द : सोशल मीडिया/फेसबुक से मुख्यमंत्री को दर्ज करा रहे विरोध
अमर उजाला ब्यूरो फतेहपुर। पल्स पोलियो उन्मूलन में यूनीसेफ द्वारा सूबे के मुखिया को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया । मुखिया को सम्मानित करते दिखाए जाने वाले सरकारी विज्ञापन की धन्यवाद लिस्ट में किसी भी शिक्षक का नाम न देखकर जिले के शिक्षकों में भारी असंतोष है। शिक्षकों का कहना है कि पोलियो उन्मूलन अभियान को सफ ल बनाने उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होने के बाद भी सरकार ने सूची में उनका नाम नहीं शामिल किया। शिक्षक मुख्यमंत्री के ट्विटर पेज व फेसबुक पेज पर अपनी बात रख रहे हैं।
इस मुहिम में राज्य के लगभग हर जिले से शिक्षक सोशल मीडिया के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करा रहे है। इस मुद्दे को अमर उजाला ने भी प्राथमिक शिक्षकों का मन टटोलने की कोशिश की, तो प्रदेश के मुखिया द्वारा न याद किये जाने का दर्द उभर आया। पोलियो अभियान में चिकित्सकों के अलावा प्रत्येक रविवार को शिक्षकों ने नि:शुल्क समर्पण भाव से इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को सफल बनाने मे अपनी महती भूमिका निभाई है। शिक्षकों के साथ बच्चे भी समय-समय पर रैलियां निकाल कर समाज में जागरूकता फैलाई है। सरकार के इस दोयम दर्जे के व्यवहार से शिक्षक व छात्र आहत हैं। शिक्षकों में रोष है कि सरकार ने उन्हें धन्यवाद के पात्र भी नहीं समझा है।
इस मुहिम में राज्य के लगभग हर जिले से शिक्षक सोशल मीडिया के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करा रहे है। इस मुद्दे को अमर उजाला ने भी प्राथमिक शिक्षकों का मन टटोलने की कोशिश की, तो प्रदेश के मुखिया द्वारा न याद किये जाने का दर्द उभर आया। पोलियो अभियान में चिकित्सकों के अलावा प्रत्येक रविवार को शिक्षकों ने नि:शुल्क समर्पण भाव से इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को सफल बनाने मे अपनी महती भूमिका निभाई है। शिक्षकों के साथ बच्चे भी समय-समय पर रैलियां निकाल कर समाज में जागरूकता फैलाई है। सरकार के इस दोयम दर्जे के व्यवहार से शिक्षक व छात्र आहत हैं। शिक्षकों में रोष है कि सरकार ने उन्हें धन्यवाद के पात्र भी नहीं समझा है।
प्रवीण त्रिवेदी कहते हैं कि अगर यह अभियान विफल हो गया होता तो मीडिया बड़ी सी हेडिंग में छापता है कि शिक्षकों के असहयोग से पल्स पोलियो का कार्यक्रम विफल हो गया। कहना है कि यह अन्याय शिक्षकों से ज्यादा बच्चों पर किया गया है जो भूखे पेट भरी दोपहर में बच्चों को घर से बुलाकर दो बूंद जिंदगी की पिलाते रहे हैं।
शिक्षक बृजेंद्र सिंह सेंगर कहते हैं कि नींव के पत्थर नींव में ही रह जाते हैं उनका सारा समर्पण व त्याग सब बेकार हो जाता है।
शिक्षक डा. विवेक शुक्ल कहते हैं कि निश्चित तौर पर यह उपलब्धि है, लेकिन शिक्षकों के प्रयासों का प्रतिफल उन्हें नहीं मिला है। ऐसे में शिक्षक हतोत्साहित हुआ है।
शिक्षक रश्मी श्रीवास्तव कहती हैं कि जब दुष्प्रचार का नाम आए, तो शिक्षक को सबसे पहले और जब श्रेय का मौका आया तो हम भुला दिए गए।
शिक्षक सुधांसु व गिरीश कहते है कि पिछले 15 सालों से हम सब पल्स पोलियो कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपने संडे बलिदान किए और विषम परिस्थिति में भी पूरी तन्मयता से शिक्षक और बच्चे इस कार्य में लगे रहे...लगता है शीर्ष नेतृत्व धृतराष्ट हो गए है।
दिल्ली की हुई है पुनरावृत्ति
फतेहपुर। करीब साल भर पहले कें द्र सरकार ने भी पोलियो उन्मूलन के लिए धन्यवाद विज्ञापन जारी किया था। जिसमें एनजीओ, स्वास्थ्य महकमा, धर्मगुरु आदि सभी का धन्यवाद के पात्र मानते हुए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया था। जिसमें शिक्षकों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था। मामले को देखते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दोबारा विज्ञापन छपवाया था, जिसमें शिक्षकों को शामिल किया गया था।
खबर साभार : अमर उजाला
पोलियो उन्मूलन में धन्यवाद उपेक्षा पर झलका शिक्षकों का दर्द : सोशल मीडिया/फेसबुक से मुख्यमंत्री को दर्ज करा रहे विरोध
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
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6:56 AM
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