अध्यापकों से क्यों लिए जा रहे हैं दूसरे काम : हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से किया जवाब तलब; 27 फरवरी तक सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा
- शिक्षकों से क्यों ले रहे हैं गैर शैक्षिक कार्य
हाईकोर्ट ने जिले के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक
विद्यालयों के शिक्षकों से शिक्षणोत्तर कार्य लेने पर प्रदेश सरकार व डीएम
इलाहाबाद से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि इन शिक्षकों की डय़ूटी राशन
कार्ड की जांच में क्यों लगाई जा रही है?यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डॉ.
डीवाई चंद्रचूड एवं न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने अधिवक्ता सुनीता
शर्मा व पूर्व पार्षद कमलेश सिंह की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर विजय
चंद्र श्रीवास्तव को सुनकर दिया है।
याचिका में अपर जिलाधिकारी नागरिक आपूर्ति के गत दो फरवरी के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें उन्होंने प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत सहायक अध्यापकों की डय़ूटी राशन कार्ड के सत्यापन में लगा दी है। याचिका में कहा गया है कि ऐसा करके बच्चों को शिक्षा पाने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। सहायक अध्यापकों के शिक्षणोत्तर कार्य में लगाने से कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई बाधित हो रही है। इसके अलावा शिक्षकों को लोकसभा, विधानसभा, निकाय व पंचायत चुनाव, मतदाता सूची पुनरीक्षण, आर्थिक जनगणना और बीएलओ के तौर पर विभिन्न कार्य सौंपे जाते हैं। इन कार्यो में लगे रहने के कारण बच्चों की शिक्षा बाधित होती है। याचिका पर अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी।
याचिका में अपर जिलाधिकारी नागरिक आपूर्ति के गत दो फरवरी के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें उन्होंने प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत सहायक अध्यापकों की डय़ूटी राशन कार्ड के सत्यापन में लगा दी है। याचिका में कहा गया है कि ऐसा करके बच्चों को शिक्षा पाने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। सहायक अध्यापकों के शिक्षणोत्तर कार्य में लगाने से कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई बाधित हो रही है। इसके अलावा शिक्षकों को लोकसभा, विधानसभा, निकाय व पंचायत चुनाव, मतदाता सूची पुनरीक्षण, आर्थिक जनगणना और बीएलओ के तौर पर विभिन्न कार्य सौंपे जाते हैं। इन कार्यो में लगे रहने के कारण बच्चों की शिक्षा बाधित होती है। याचिका पर अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी।
खबर साभार : हिंदुस्तान |
- अध्यापकों से क्यों लिए जा रहे हैं दूसरे काम
इलाहाबाद (ब्यूरो)। प्राथमिक और परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों से जनगणना, आर्थिक गणना, स्थानीय निकाय चुनाव की ड्यूटी जैसे तमाम शिक्षणेतर कार्य लिए जाने पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड व न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने 27 फरवरी तक सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।
एडवोकेट सुनीता शर्मा द्वारा दाखिल याचिका पर बहस कर रहे अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में लागू किया गया। इसके अनुसार बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देना सरकार का दायित्व है मगर सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने के लिए नियुक्त अध्यापकों से तमाम प्रकार के शिक्षणेतर कार्य लिए जा रहे हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होता है। अध्यापकों से बीएलओ ड्यूटी, पंचायत चुनाव, नगर निगम चुनाव, राशन कार्ड की जांच, जनगणना जैसे कार्य लिए जाते हैं। अध्यापकों से बीएलओ ड्यूटी, पंचायत चुनाव, नगर निगम चुनाव, राशन कार्ड की जांच, जनगणना जैसे कार्य लिए जाते हैं। याची का कहना है कि इससे संविधान के अनुच्छेद 21 (क)(अ) में प्रदत्त शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है। खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह 27 फरवरी तक बताए कि सरकार की इस संबंध में क्या नीति है।
अध्यापकों से क्यों लिए जा रहे हैं दूसरे काम : हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से किया जवाब तलब; 27 फरवरी तक सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
8:30 AM
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