72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती : विवाद नहीं छोड़ रहे पीछा, टीईटी से लेकर भर्ती प्रक्रिया तक में विवाद
लखनऊ।
प्राइमरी स्कूलों में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी
होने का नाम ही नहीं ले रही। चार साल पहले शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया आए दिन
किसी न किसी विवाद में फंस जाती है। अब सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश आया है
जिसमें साफ कहा गया है कि प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में यदि बिना टीईटी पास
लोगों को रख लिया गया है, तो पूरी चयन प्रक्रिया रद्द कर दी जाएगी। सुप्रीम
कोर्ट का यह आदेश तब आया है, जब 54,146 प्रशिक्षु शिक्षकों को स्कूलों में
जॉइन कराया जा चुका है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में बिना टीईटी किए
करीब 20 हजार लोगों को रखे जाने की शिकायत की गई है।
शिक्षा
का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद
(एनसीटीई) ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास होना
अनिवार्य कर दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में पहली बार टीईटी
आयोजित कराया। हालांकि इससे पहले ही तत्कालीन बसपा सरकार ने प्राइमरी
स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट पर करने का निर्णय कर लिया था।
यहां बता दें कि इसके पहले प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की
भर्ती शैक्षिक मेरिट पर की जाती थी। टीईटी का रिजल्ट आने के बाद तत्कालीन
बसपा सरकार ने नवंबर 2011 में प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए पहली बार
आवेदन मांगे। भर्ती प्रक्रिया पूरी हो पाती, इससे पहले विधानसभा चुनाव की
अधिसूचना जारी हो गई और शिक्षकों का चयन नहीं किया जा सका।
- हफ्ते भर में पूरा ब्यौरा करें ऑनलाइन
लखनऊ
(ब्यूरो)। प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती का पूरा ब्यौरा एक सप्ताह में
ऑनलाइन होगा। रिक्त पदों के साथ अब तक जितने प्रशिक्षु शिक्षकों ने
कार्यभार ग्रहण किया है उनका विवरण डायट, एससीईआरटी के साथ एनआईसी वेबसाइट
पर एक सप्ताह में डाल दिया जाएगा।
सचिव
बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सख्ती से पालन करने
का निर्देश राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) निदेशक
व बेसिक शिक्षा निदेशक को बुधवार को दिया।
उन्होंने
कहा है कि 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट में
विचाराधीन है। सुनवाई के दौरान विपक्ष की ओर से कहा गया है कि भर्ती में
भारी संख्या में बिना टीईटी पास अभ्यर्थियों ने नियुक्ति प्राप्त कर ली है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इसकी जांच कराई जाए कि कितने लोगों
ने बिना टीईटी के नियुक्ति प्राप्त किया है। इसके साथ प्रशिक्षु शिक्षक के
पद पर जॉइन करने वालों का ब्यौरा ऑनलाइन करने को कहा गया है। इसलिए एक
सप्ताह के अंदर इसे ऑनलाइन कर दिया जाए और इस संबंध में जल्द ही वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग रखी जाए।
- हाईकोर्ट के आदेश ने पलटी बाजी
राज्य
सरकार के इस निर्णय को हाईकोर्ट ने 20 नवंबर 2013 को पलट दिया। उसने माया
सरकार के निर्णय को बहाल करते हुए उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा
नियमावली के 15वें संशोधन को खारिज कर दिया। इसके खिलाफ अखिलेश सरकार ने
सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो उसने 25 मार्च 2014 को हाईकोर्ट के
फैसले पर ही मुहर लगा दी। इसके बाद अगस्त 2014 में टीईटी मेरिट के आधार पर
प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई।
- आदेशों की हुई अनदेखी
भर्ती
प्रक्रिया शुरू होते ही राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने
टीईटी 2011 के रिजल्ट को ऑनलाइन कराने के साथ बेसिक शिक्षा अधिकारियों को
निर्देश दिया था कि नियुक्ति पत्र देने से पहले प्रमाण पत्रों का मिलान
अनिवार्य रूप से करा लिया जाए। इसके बाद भी बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने
इसकी अनदेखी की। इसके चलते कई जिलों में कुछ अभ्यर्थी फर्जी टीईटी प्रमाण
पत्र के सहारे नौकरी पाने में सफल रहे।
- सत्ता बदलते ही बदला मानक
वर्ष
2012 में सत्ता बदलने के साथ ही 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती का मानक
बदल दिया गया। अखिलेश सरकार ने माया सरकार के निर्णय को बदलते हुए पूर्व
में लागू व्यवस्था के आधार पर शैक्षिक मेरिट पर ही प्रशिक्षु शिक्षकों की
भर्ती कराने का निर्णय किया। इसके आधार पर इन्हीं पदों के लिए नए सिरे से
आवेदन मांगे गए।
72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती : विवाद नहीं छोड़ रहे पीछा, टीईटी से लेकर भर्ती प्रक्रिया तक में विवाद
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
6:50 AM
Rating:
No comments:
Post a Comment