बीटीसी 2014 में प्रवेश का मामला, सवा लाख से ज्यादा अभ्यर्थी बीटीसी की शुरुआती दौड़ से ही बाहर हुए
सवा लाख से अधिक अभ्यर्थी शिक्षक बनने की दौड़ से शुरुआती दौर में ही बाहर हो गए हैं। इनमें एक लाख से अधिक अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्होंने बीटीसी 2014 के आवेदन की अर्हता ही पूरी नहीं की, वहीं करीब 28 हजार अभ्यर्थियों की दावेदारी इसलिए खारिज कर दी गई, क्योंकि उनका स्नातक में कम अंक व कम उम्र आदि आड़े आ रही थी। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने यह पूरी जानकारी अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड कर दी है।
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए युवा लालायित हैं। यही वजह है कि 2014 बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (बीटीसी) के लिए करीब छह लाख से अधिक युवाओं ने तय समय में ही ऑनलाइन आवेदन किया था, जबकि इसके सापेक्ष करीब पचास हजार सीटें हैं। राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआइसी) उत्तर प्रदेश से सारे आवेदन लेने के बाद सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने नीना श्रीवास्तव ने सारे आवेदनों की जांच कराई और फिर उन्हें अवरोही क्रम में करके प्रदेश भर के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) को सौंप दिया, ताकि वह जिला स्तर पर मेरिट निकाल कर प्रवेश की प्रक्रिया पूरी करें।
जांच में करीब एक लाख से अधिक अभ्यर्थी ऐसे मिले, जिन्होंने आवेदन ही पूरा नहीं भरा था। साथ ही फीस आदि भी जमा नहीं मिली। इसके अलावा नाम, पता आदि भी दुरुस्त नहीं था। ऐसे अभ्यर्थियों को सूची से हटा दिया गया, तब चार लाख 99 हजार आवेदक ही बचे थे। इसके बाद दुरुस्त आवेदनों की गहनता से पड़ताल हुई। तमाम आवेदनों में स्नातक का अंक प्रतिशत ठीक नहीं मिला। मसलन सामान्य अभ्यर्थी के 50 व आरक्षित के 45 फीसदी अंक स्नातक में होने चाहिए थे, लेकिन बड़ी तादात में ऐसे अभ्यर्थी सामने आए जिनके अंक इससे कम थे। इसके अलावा ऐसे अभ्यर्थी भी मिले जिनकी आयु अभी 18 वर्ष नहीं हो सकी थी और कुछ ने तो जिस आरक्षित श्रेणी के लिए दावेदारी की थी उसके पास संबंधित अभिलेख भी नहीं थे। जांच में ऐसी गड़बड़ियों वाले कुल 27 हजार 827 अभ्यर्थी पाए गए तो उनके आवेदन निरस्त कर दिए गए। ऐसे में अब चार लाख 71 हजार अभ्यर्थी ही प्रवेश पाने के लिए अर्ह रह गए हैं। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उप्र श्रीवास्तव ने यह सारी सूचनाएं अपनी वेबसाइट पर अपलोड करा दी हैं।
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