शिक्षामित्रों को जगी वेतन की आस लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग को कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने का इंतजार
लखनऊ : सहायक अध्यापक पद पर शिक्षामित्रों के समायोजन को रद करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगाई गई अंतरिम रोक पर शिक्षामित्रों को ढांढ़स बंधा है। उन्हें लगता है कि यह अंतरिम रोक उनके रुके हुए वेतन के भुगतान का रास्ता साफ करेगी।
हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग के आला अधिकारी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने का इंतजार कर रहे हैं। सचिव बेसिक शिक्षा आशीष गोयल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने के बाद उसका विधिक अध्ययन कराया जाएगा। उसके आधार पर ही विभाग शिक्षामित्रों को वेतन का भुगतान करने के बारे में कोई निर्णय करने की स्थिति में होगा।
12 सितंबर को हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद से ही सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किये गए तकरीबन 1.36 लाख शिक्षामित्रों को वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। वे पिछले तीन महीने से वेतन से वेतन से वंचित हैं। हालांकि शिक्षामित्रों को वेतन का भुगतान हाई कोर्ट के आदेश के चलते अघोषित तौर पर रुका हुआ है। हाई कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में तत्कालीन प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा डिंपल वर्मा ने शिक्षामित्रों को वेतन का भुगतान रोकने का आदेश दिया था, लेकिन अगले ही दिन शासन ने अपने उस आदेश को वापस ले लिया था। इस बीच सरकार ने उन शिक्षामित्रों को मानदेय का भुगतान करने के लिए जरूर धनराशि जारी की जिनका सहायक अध्यापक के पद पर अब तक समायोजन नहीं हुआ है।
इलाहाबाद : शिक्षामित्रों के चेहरे सोमवार को खुशी से लाल हो गए। करीब तीन महीने के अंतराल पर उन्हें फिर से खुश होने का मौका सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मिला है। इस आदेश से शेष बचे 35 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन किए जाने के आसार बढ़ गए हैं। साथ ही स्कूलों में पढ़ाई का माहौल फिर से बनने की उम्मीद जगी है।
हाई कोर्ट के फैसले से निराश शिक्षामित्र अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फूले नहीं समा रहे हैं। वह इसे न्याय की जीत बता रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सबसे बड़ी राहत प्रदेश सरकार को हुई है। वह अब उनका करीब आठ माह से लंबित वेतन जारी कर सकेगी। कुछ ऐसे भी शिक्षामित्र हैं जिन्हें 15 महीने से वेतन का इंतजार है। साथ ही लगभग 35 हजार शिक्षामित्रों का अभी समायोजन होना शेष है। वह कार्य भी अब पूरा किए जाने के आसार है। ज्ञात हो कि प्रदेश के स्कूलों में एक लाख 72 हजार शिक्षा मित्र तैनात हैं उनमें से एक लाख 37 हजार का ही समायोजन हो पाया था, बाकी प्रक्रिया लंबित थी, तभी हाईकोर्ट के आदेश से वह रुक गई थी। इधर तीन महीनों में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सबसे ज्यादा असर पठन-पाठन पर पड़ा। शिक्षामित्र कोर्ट के निर्णय के बाद पूरे मन से पढ़ा नहीं पा रहे थे। शीर्ष कोर्ट ने परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई का माहौल फिर लौटा दिया है। साथ ही अब छात्र-शिक्षक अनुपात भी गड़बड़ाएगा नहीं। हालांकि स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अब भी काफी कम है।
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