सूबे के परिषदीय स्कूलों में तैनात 59,000 हजार प्रशिक्षु शिक्षकों को पांच माह से आदेश के अभाव में फंसा मानदेय
इलाहाबाद: सूबे के परिषदीय स्कूलों में तैनात 59,000 हजार प्रशिक्षु शिक्षकों को पांच माह से मानदेय नहीं मिला है। जिससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। मांगों को लेकर शिक्षक संगठन भी कई बार आवाज उठा चुका है। अफसरों का कहना है कि शासन से आदेश नहीं आने यह समस्या खड़ी हुई है। इससे परेशान प्रशिक्षु शिक्षक कोर्ट की शरण में जा सकते हैं। प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011 के तहत प्रदेश भर में 59 हजार प्रशिक्षु शिक्षकों को जनवरी 2015 में नियुक्ति पत्र दिए गए थे।
जनवरी से जून माह तक प्रशिक्षु शिक्षकों को प्रति माह 7300 सौ रुपये मानदेय दिया गया। इसके बाद शासन से कोई आदेश नहीं आने से लेखा विभाग ने प्रशिक्षु शिक्षकों को मानदेय देने से हाथ खड़े कर दिए। मानदेय की मांग को लेकर प्रशिक्षु शिक्षकों ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा का घेराव किया तो उन्होंने आश्वासन दिया कि वह स्कूल निरंतर जाए और शिक्षण कार्य करें। अद्यतन मानदेय दिया जाएगा। आश्वासन मिलने के बाद प्रशिक्षु शिक्षक बच्चों को पढ़ाने में जुटे हैं। सुदूर ब्लाकों में तैनात शिक्षकों को मानदेय नहीं मिलने से उनमें आक्रोश पनप रहा है। प्रशिक्षु शिक्षकों का कहना है कि धैर्य की सीमा होती है। मानदेय नहीं मिलने से उनके सामने आर्थिक संकट गहरा गया है।
इधर, यूपी टीईटी उत्तीर्ण शिक्षक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग सिंह के मुताबिक मानदेय देने के संबंध में लेखाधिकारी व बीएसए से वार्ता की जा चुकी है। अधिकारी मानदेय देने के लिए तैयार हैं, उनका कहना है कि शासन से आदेश के अभाव में मानदेय नहीं दिया जा रहा है। आदेश प्राप्त होने के बाद भुगतान कराने की कार्रवाई होगी। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मानदेय भुगतान को जल्द ही कोर्ट की शरण में जाएंगे।
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