राज्य शैक्षिक अधिकरण (EDUCATIONAL TRIBUNAL) के गठन में वित्त विभाग का अड़ंगा, विधेयक लाने की मंशा पर पानी फिरा, मण्डलवार के बजाय अब चार क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण गठित करने पर विचार
☀ वित्त विभाग ने मंडलों में क्षेत्रीय अधिकरण के गठन पर जताई आपत्ति
☀ विधानमंडल के मानसून सत्र में विधेयक लाने की मंशा पर पानी फिरा
लखनऊ : बेसिक व माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों व शिक्षणोतर कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों की सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश राज्य शैक्षिक अधिकरण गठित करने की राज्य सरकार की मंशा पर वित्त विभाग ने अड़ंगा लगा दिया है। यह कहते हुए कि राज्य शैक्षिक अधिकरण के तहत मंडल स्तर पर क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण के गठन से सरकारी खजाने पर काफी बोझ बढ़ेगा। वित्त विभाग के इस रोड़े की वजह से राज्य शैक्षिक अधिकरण की स्थापना के लिए विधानमंडल के मानसून सत्र में विधेयक लाने की राज्य सरकार की मंशा धरी रह गई।
अपनी सेवा संबंधी शिकायतों को लेकर बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक व शिक्षणोतर कर्मचारी अभी सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं क्योंकि उनके पास सुनवाई के लिए कोई वैकल्पिक फोरम उपलब्ध नहीं है। इस वजह से बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग हाई कोर्ट में विचाराधीन बीस हजार से ज्यादा मुकदमों से जूझ रहे हैं। हाई कोर्ट में बढ़ते मुकदमों की संख्या से चिंतित राज्य सरकार ने ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए उप्र राज्य शैक्षिक अधिकरण गठित करने का फैसला किया है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने उप्र राज्य शैक्षिक अधिकरण विधेयक का प्रारूप तैयार कर लिया था जिसे कैबिनेट से मंजूरी दिलाकर विधानमंडल के मानसून सत्र में पारित कराने का इरादा था।
प्रस्तावित विधेयक में राज्य शैक्षिक अधिकरण के तहत प्रत्येक मंडल स्तर पर रिटायर्ड जिला जज की अध्यक्षता में क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण गठित करने का प्रावधान है। इसमें यह भी व्यवस्था है कि शिक्षक व शिक्षणोतर कर्मचारी अपने सेवा संबंधी मामलों को लेकर सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बजाय पहले अपनी शिकायत मंडल स्तर पर गठित होने वाले क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण में दर्ज कराएंगे। क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में गठित राज्य शैक्षिक अधिकरण में अपील की जा सकेगी। वहीं अधिकरण के फैसले से असंतुष्ट शिक्षक व शिक्षणोतर कर्मचारी हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे।
विधेयक के प्रारूप को जब वित्त विभाग की मंजूरी के लिए भेजा गया तो उसने मंडल स्तर पर क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरणों के गठन से यह कहते हुए नाइत्तेफाकी जतायी कि इससे सरकारी खजाने पर बहुत बोझ बढ़ेगा। वित्त विभाग की आपत्ति के बाद अब माध्यमिक शिक्षा विभाग हर मंडल की बजाय पूरे प्रदेश में चार क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण गठित करने पर विचार कर रहा है।
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