शिक्षकों पर खर्च बढ़ा लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता नही, केंद्रीय बजट से पहले पेश आर्थिक सर्वेक्षण में देश में प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता प्रकट
नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा बजट से पहले पेश आर्थिक सर्वेक्षण में देश में प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता प्रकट की गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों के दौरान शिक्षकों पर ज्यादा खर्च हो रहा है। पर, योग्य एवं प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी बरकरार है। इसका नतीजा यह है कि प्राथमिक स्कूलों के बच्चों के सीखने की क्षमता में इजाफा नहीं हो पा रहा है।
सर्वेक्षण में स्कूली शिक्षा पर जारी ‘असर रिपोर्ट 2014’ का भी जिक्र किया गया है। सुझाव दिया कि शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमीट्रिक प्रणाली से उपस्थिति दर्ज कराई जाए। छह महीनों के भीतर हर राज्य के एक जिले में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाए और फिर तीन साल के भीतर इसे हर जिले में आरंभ किया जाए। हालांकि शिक्षकों की गुणवत्ता कैसे सुधरे, इसके लिए कोई सुझाव नहीं दिया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षो में सर्व शिक्षा अभियान पर खर्च होने वाली राशि का सबसे बड़ा हिस्सा शिक्षकों पर खर्च होता है। रिपोर्ट में माना गया है कि शिक्षकों पर व्यय बढ़ने से शिक्षकों की तो संख्या बढ़ी है। लेकिन योग्य शिक्षक भर्ती नहीं हुए हैं दूसरे उनकी उपस्थिति कम है। शिक्षकों में तीन कमियां-
⚫ शिक्षक स्कूलों में उपस्थिति नहीं होते-
⚫ शिक्षकों की कमी है-
⚫ पेशेवर दक्षता की कमी है
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