हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का रसोइयों के अकादमिक वर्ष के करार संबंधी नियम में हस्तक्षेप से इनकार, जिस स्कूल में रसोइया वहां उसका एक बच्चा भी पढ़े, हाईकोर्ट ने इस शर्त को माना सही

नियम को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक जनहित याचिका दाखिल करते हुए, रसोइयों के परिवार के कम से कम एक बच्चे का उसी संस्थान में पढ़ना अनिवार्य किए जाने के शर्त को चुनौती दी गई। जिसे न्यायालय ने सही करार देते हुए, याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही न्यायालय ने रसोईयों के एक अकादमिक वर्ष के करार सम्बंधी नियम में भी हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने रसोइया कल्याणकारी समिति के अध्यक्ष दया शंकर की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया। याचिका में 24 अप्रैल 2010 के शासनादेश के दो नियमों को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया कि उक्त शासनादेश द्वारा मिड-डे मील के लिए रसोईये की नियुक्ति के सम्बंध में इस शर्त को अनिवार्य किया गया कि सम्बंधित संस्थान में रसोइया का कम से कम एक रिश्तेदार बच्च पढता हो। याचिका में इस शर्त को असंवैधानिक बताया गया। याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि वर्ष 2010 में इसी विषय पर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करने के उपरांत न्यायालय ने पाया था कि इस शर्त को लगाने की वजह यह थी कि रसोईये स्वयं के बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए, बेहतर भोजन बनाएंगे और इससे स्कूल के सभी बच्चों को अच्छा व स्वस्थ भोजन प्राप्त होगा। वहीं याचिका में मिड-डे मील के रसोइयों का अनुबंध मात्र एक अकादमिक वर्ष तक किए जाने के नियम को भी चुनौती दी गई थी। इस पर विचार करते हुए न्यायालय ने कहा कि सालाना अनुबंध सरकारी योजना है। इसमें इस बात की भी व्यवस्था है कि यदि काम संतोषजनक पाया जाता है तो अनुबंध को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का रसोइयों के अकादमिक वर्ष के करार संबंधी नियम में हस्तक्षेप से इनकार, जिस स्कूल में रसोइया वहां उसका एक बच्चा भी पढ़े, हाईकोर्ट ने इस शर्त को माना सही Reviewed by ★★ on 6:46 AM Rating: 5

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