72825 शिक्षक भर्ती : आवेदकों के करोड़ों रुपये 13 वर्ष बाद भी वापस नहीं मिले, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टीईटी मेरिट से हुई थी भर्ती, ज्यादातर की फीस वापस नहीं की

72825 शिक्षक भर्ती : आवेदकों के करोड़ों रुपये 13 वर्ष बाद भी वापस नहीं मिले

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टीईटी मेरिट से हुई थी भर्ती, ज्यादातर की फीस वापस नहीं की

शिक्षक भर्ती के आवेदनों से जमा हुए थे 290 करोड़ रुपये

हाईकोर्ट से लेकर अधिकारी तक शुल्क वापसी के निर्देश दे चुके हैं

6 जिलों के प्राचार्यों ने पैसे वापस किए, बाकी चुप


लखनऊ। सूबे में 72825 शिक्षक भर्ती के आवेदकों के करोड़ों रुपये 13 वर्ष बाद भी वापस नहीं मिले हैं। हाईकोर्ट से लेकर बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर आवेदकों के शुल्क वापसी के निर्देश दे चुके हैं लेकिन जिले के डायट प्रचार्य आवेदकों के करोड़ों रुपये दबाए बैठे हैं। फरवरी में सिर्फ छह जिलों के प्राचार्यों ने आवेदकों के खाते में पैसे लौटाए हैं। बाकी चुप्पी साधे हैं।


वर्ष 2012 में संशोधित शिक्षक भर्ती के विज्ञापन के तहत अभ्यर्थियों से हर जिले में 500-500 रुपये का शुल्क के साथ आवेदन लिये गए थे। प्रदेश भर से आवेदन के एवज में सरकारी खजाने में 2,89,98,54,400 जमा हुए थे। वर्ष 2011 में बसपा सरकार ने टीईटी मेरिट के आधार पर प्राइमरी स्कूलों में 72825 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन निकाला था। प्रत्येक अभ्यर्थी से पांच-पांच जिले में आवेदन मांगे गए थे। 


टीईटी में कथित तौर पर घोटाले का आरोप लगने पर वर्ष 2012 में सपा सरकार ने एकेडमिक आधार पर शिक्षक भर्ती का संशोधित विज्ञापन निकाला। इसमें अभ्यर्थियों को हर जिले में 500-500 रुपये शुल्क के साथ आवेदन का मौका दिया गया। कुछ अभ्यर्थी टीईटी के आधार पर भर्ती की मांग को लेकर हाईकोर्ट चले गए। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टीईटी के आधार पर शिक्षक भर्ती पूरी हुई। एकेडमिक मेरिट के आधार पर भर्ती नहीं हो पायी। एक व दो फरवरी को कुछ अभ्यर्थियों के खाते में डायटों की ओर से 500-500 रुपये भेजे गए। 


लखनऊ निवासी मधु ने बताया कि उनके खाते में चार जिलों से दो हजार और अभ्यर्थी राकेश ने बताया कि उनके खाते में तीन हजार रुपये आए हैं। उसके बाद किसी डायट ने भुगतान नहीं किया।

2018 में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने एकेडमिक आधार पर आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों के शुल्क वापसी का आदेश जारी किया। अभ्यर्थियों की श्रेणी, आवेदन शुल्क, खाता संख्या, आवेदन पत्र की प्रति रजिस्टर्ड डाक व स्पीड पोस्ट से मांगे गए। अभ्यर्थियों ने स्पीड पोस्ट और रजिस्ट्री की। फोटो कॉपी और डाक शुल्क में हजारों खर्च हो गए लेकिन शुल्क वापसी नहीं हुई।


चालान और स्पीडपोस्ट में भी खर्च
अधिकतर अभ्यर्थियों ने सभी 75 जिलों से फार्म भरा था। इस लिहाज से 37,500 रुपये सिर्फ आवेदन शुल्क दिया था। इसके अलावा जानकारी के अनुसार बता दें कि अभ्यर्थियों ने चालान और स्पीड पोस्ट आदि में हजारों रुपये खर्च किये थे।

30 से 40 हजार खर्च

दिसंबर 2012 में एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर 72,825 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में दोबारा आवेदन लिये गए थे। अभ्यर्थियों को 75 जिले में आवेदन की छूट थी। हर अभ्यर्थी ने आवेदन भरने में औसतन 30 से 40 हजार रुपये खर्च किए थे। सामान्य व ओबीसी वर्ग के लिए एक जिले से आवेदन फीस 500 रुपये थी।


शिक्षक भर्ती में आवेदन करने वाले जिन अभ्यर्थियों ने बैंक डिटेल और आवेदन का ब्योरा भेजा था। उनका मिलान कर आवेदन का शुल्क उनके खाते में वापस भेजा जा चुका है। - अजय कुमार सिंह डायट प्राचार्य, लखनऊ
72825 शिक्षक भर्ती : आवेदकों के करोड़ों रुपये 13 वर्ष बाद भी वापस नहीं मिले, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टीईटी मेरिट से हुई थी भर्ती, ज्यादातर की फीस वापस नहीं की Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 6:13 AM Rating: 5

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