यूपी में बच्चों को नहीं लुभा पा रहा मिड डे मील : स्कूल न जाने वाले बच्चों का लगातार बढ़ रहा आंकड़ा
लखनऊ।
सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत इसी सोच
के साथ की गई थी कि इससे बच्चे स्कूल आएंगे। उन्हें पौष्टिक भोजन मिलेगा और
कुपोषण की समस्या दूर होगी, लेकिन यूपी के स्कूलों में ऐसा नहीं हुआ।
लगातार मध्याह्न भोजन दिए जाने के बावजूद यहां के स्कूल बच्चों को अपनी ओर
आकर्षित करने में सफल नहीं हुए हैं। इसके ठीक उलट स्कूल न जाने वाले बच्चों
का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिनके नाम
स्कूल में दर्ज हैं, वे भी पढ़ने नहीं जाते। उनकी उपस्थिति भी लगातार घट
रही है।
देश भर में छह से 14 साल तक के सभी
बच्चों को स्कूल लाने के मकसद से ही नई-नई योजनाएं लागू की जा रही हैं।
इसके लिए एक बड़ा सरकारी अमला लगा हुआ है। सभी बच्चों को स्कूल न ला पाने
के पीछे तर्क यही था कि जो भी अभिभावक थोड़ा सक्षम हैं वे निजी स्कूलों में
अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। स्कूल जाने से वंचित बच्चे कमजोर वर्ग से
ताल्लुक रखते हैं। इनके अभिभावक अपने भोजन का ही जुगाड़ नहीं कर पाते, तो
वे बच्चों को स्कूल कैसे भेजें। इसे देखते हुए ही मिड डे मील की शुरुआत की
गई कि भोजन मिलेगा तो बच्चे आएंगे।
यूपी
में भी मध्याह्न भोजन तो दिया जा रहा है, लेकिन हकीकत काफी निराशाजनक है।
शिक्षा की दशा और दिशा पर काम करने वाले संगठन असर की रिपोर्ट के अनुसार
यूपी में वर्ष 2009 में 4.9 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे जो स्कूल नहीं जाते थे।
2012 तक यह आंकड़ा 6.4 प्रतिशत पहुंच गया। वहीं पूरे देश में स्कूल न जाने
वाले बच्चों के आंकड़े में गिरावट आई है। वर्ष 2009 में देश में 4 प्रतिशत
बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। वहीं 2012 में 3.5 प्रतिशत बच्चे ही स्कूल नहीं
जा रहे थे। वहीं जिनका नाम स्कूल में दर्ज है उनकी उपस्थिति में भी गिरावट
आई है। यूपी में वर्ष 2009 में बच्चों की उपस्थिति 59.7 प्रतिशत थी जो 2012
में महज 54.9 प्रतिशत रह गई। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी वजह सरकारी
स्कूलों में शिक्षा का स्तर ठीक नहीं होना है। मध्याह्न भोजन मिलता तो है
लेकिन जिस पौष्टिक और अच्छे भोजन की बात कही गई थी, वैसा नहीं मिल रहा है।
किसी भी तरह का भोजन खिलाने भर की औपचारिकता पूरी करने से बच्चे स्कूल नहीं
आएंगे।
- हॉट कुक्ड फूड में इस्तेमाल होगी ब्रांडेड सामग्री
लखनऊ
(ब्यूरो )। बिहार में हुए मिड-डे-मील कांड के बाद सभी चौकन्ने हो गए हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की हॉट कुक्ड फूड
योजना के तहत बनने वाले खाने में ब्रांडेड सामान ही इस्तेमाल करने के
निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही कहा है कि बच्चों को खाना परोसने से पहले
वहां मौजूद संबंधित व्यक्ति खाने को चखेगा।
बाल
विकास एवं पुष्टाहार मंत्री रामगोविंद चौधरी ने अधिकारियों को निर्देश दिए
कि हॉट कुक्ड फूड को भलीभांति निरीक्षण करने के बाद ही बच्चों को परोसा
जाए। खाने में खुले तेल और मसालों के बजाए ब्रांडेड तेल, मसाला और
आयोडाइज्ड नमक इस्तेमाल किया जाए। मंत्री ने सभी बाल विकास परियोजना
अधिकारियों, मुख्य सेविकाओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों और सहायिकाओं को
स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर किसी भी तरह की लापरवाही मिली तो संबंधित के
खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। (साभार-:-अमर उजाला)
यूपी में बच्चों को नहीं लुभा पा रहा मिड डे मील : स्कूल न जाने वाले बच्चों का लगातार बढ़ रहा आंकड़ा
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
5:52 AM
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6 comments:
School ko school rahne de. Hotal na baye sarkar. Mdm me pradhan ko aur kotedar ko hissa chahiye. Sarkar ne aur court ne pratek school par 1 teacher ki bat kahi h. Wah 1 teacher mdm banaye ya padhaye.
ak hi shikshak 400bachcho ko dob sakta hai ..mdm banwa sakta hai...lekin padhaya nahi ja skta hai sarkar yahi chahti.
mdm ke naam pr sarkar teachers ka shoshan kr rhi h mdm band hona chahiye
yadi koi ghatna ghat jati h to gaaj shikshak ke hi uper girti h jabki jimme dari pradhan or kotedar ki bhi hoti h ek number ka chabal sarkar ne manjoor kr diya h lekin milta chaar number ka h
i say stop mdm
mdm band hone chahiye
Pardhan mukt MDM hone chaey
PADHAN KA MDM ME KOI ROL NAHI HONA CHAHIYE YEH LOG APNI MANMANI KARTE HEN. KARWAHI HOTI HE TEACHER PER .MDM KI GUDBATTA TO IN PADHANO KI ZEB ME JA RAHI.BEO SE KAHA JATA HE TO BAH KEHTE HE YE SAB DEKHNA TUMHARA KAM H.
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