निजी स्कूलों में मनमानी फीस पर हाईकोर्ट गंभीर
- कहा, शिक्षा बच्चों का संवैधानिक अधिकार
इलाहाबाद।
प्रदेश के निजी माध्यमिक विद्यालयों में मनमाने तरीके से की जा रही शुल्क
वृद्धि पर हाईकोर्ट ने गंभीरता दिखाई है। सरकार से कहा है कि शिक्षा का
अधिकार बच्चों का संवैधानिक अधिकार है, इसे व्यापारियों के भरोसे नहीं
छोड़ा जा सकता है। प्रदेश सरकार से पूछा है कि क्या शुल्क वृद्धि पर
नियंत्रण करने का कोई तरीका है। सरकार इसके लिए क्या कदम उठा रही है। सरकार
को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। कानपुर के संतोष
कुमार गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति शिवकीर्ति
सिंह और न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की खंडपीठ ने दिया।
याचिका
पर बहस करते हुए अधिवक्ता एमए कदीर ने कहा कि प्राइवेट स्कूल हर साल शुल्क
में वृद्धि कर देते हैं। यदि अभिभावक मई माह में शुल्क जमा नहीं कर पाते
हैं तो बच्चे का नाम स्कूल से काट दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि यह एक
संवैधानिक अधिकार है, जिसे बाधित नहीं किया जा सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट के
आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि शिक्षा व्यवसायियों के भरोसे नहीं
छोड़ी जा सकती है। पूर्व में कोर्ट के आदेश पर एक निगरानी समिति का गठन
किया गया था। इस समिति का कार्य शुल्क वृद्धि निगरानी और नियंत्रण रखना है।
सरकार इस संबंध में क्या कदम उठा रही है। (साभार-अमर उजाला)
निजी स्कूलों में मनमानी फीस पर हाईकोर्ट गंभीर
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:32 PM
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