शिक्षक भर्ती में भी वोट बैंक की सियासत

  • प्राथमिक शिक्षकों की भर्तियां लटकीं, उर्दू अध्यापकों की जारी
  • हाई कोर्ट जाने की तैयारी में विज्ञान व गणित के अभ्यर्थी
इलाहाबाद । सूबे में प्राथमिक शिक्षकों की भर्तियां आगे बढ़ाने में राज्य सरकार को भले ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन वोट बैंक की प्राथमिकताओं से समझौता करने को वह तैयार नहीं है। इसी वजह से टीईटी मेरिट का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद जहां सभी भर्तियां रोक दी गई हैं, वहीं उर्दू अध्यापकों की जारी हैं। बेसिक शिक्षा परिषद सचिव ने शासन को भेजी अपनी आख्या में भी यह स्वीकार किया है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि कोर्ट के आदेश से यह नियुक्तियां प्रभावित होंगी।
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वोटों के नजरिए से सरकार की हर कोशिश अल्पसंख्यकों पर मेहरबानी की रही है। इन्हीं वजहों से वह उर्दू अध्यापकों की भर्ती भी रोकने के पक्ष में नहीं है। 72825 भर्तियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले के बाद जहां उच्च प्राथमिक विद्यालयों में गणित और विज्ञान विषय के 29334 पदों की भर्ती और विशिष्ट बीटीसी और बीटीसी के 10000 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया रोक दी गई है, जबकि उर्दू अध्यापकों की काउंसलिंग के दो चरण पूरे हो चुके हैं और तीसरा चरण भी पूरा हो रहा है।
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उर्दू अध्यापकों के 4280 पदों पर नियुक्तियां की जानी हैं। जूनियर शिक्षक भर्ती के आवेदक दिव्य प्रकाश मिश्र आरोप लगाते हैं कि इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र भी दिया जा चुका है और काउंसिलिंग के दौरान भी दिया जाता रहा है। अभ्यर्थियों में इस बात से भी नाराजगी है कि मोअल्लिम शिक्षकों के पदों पर भी नियुक्तियां जारी हैं, लेकिन उच्च प्राथमिक विद्यालयों पर भर्ती रोक दी गई है। इस भर्ती के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 11 अक्टूबर रखी गई थी, लेकिन दो माह बाद भी काउंसिलिंग की तिथि नहीं घोषित हो सकी।
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अभी हाल ही में बेसिक शिक्षा के प्रमुख सचिव नीतीश्वर कुमार के समक्ष भी गणित एवं विज्ञान वर्ग के अभ्यर्थियों ने यह सवाल उठाया था, लेकिन वह भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। सिर्फ इतना ही जवाब दिया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 29 हजार पदों पर भर्ती शुरू की जाएगी। फिलहाल अभ्यर्थी सरकार की इस दोहरी नीति को लेकर हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। अरविंद कुमार शुक्ल और अतुल त्रिपाठी की ओर से इस संबंध में याचिका भी तैयार कराई जा चुकी है। तय है कि शिक्षकों की भर्ती में एक और अदालती पेच लगने वाला है।
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खबर साभार : दैनिक जागरण


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शिक्षक भर्ती में भी वोट बैंक की सियासत Reviewed by Brijesh Shrivastava on 9:17 AM Rating: 5

4 comments:

manoj said...

भ्रष्ट सरकार के भ्रष्ट नेता इनके समय में कोई भर्ती कभी पूरी नहीं हो सकती

manoj said...

भ्रष्ट सरकार के भ्रष्ट नेता इनके समय में कोई भर्ती कभी पूरी नहीं हो सकती

gumnam said...

Apno p rahem ........................gairo p sitam...... akhilesh bhaiya aisa julm na kr ye julm na kr .........ye urdu vali bi vacncy rukni chahiye jb 29000 ruk gyi 10000 niukti ruk gyi to ye kyo ni?????????

Suresh Kumar Sharma said...

जो सरकारें अपने नागरिक को सूचना तक का अधिकार देने में कतराती हैं सोचिए उस देश का शिक्षा तंत्र कितने षड्यंत्रकारी ढंग से काम कर रहा होगा?एक किसान जब फसल काटता है तो सबसे बढ़िया दाना छाँट कर बीज के रूप में अगली फसल के लिए संजो कर रख लेता है। भारत का शिक्षा तंत्र इस तरह की किसानी में बिलकुल फिस्सडी है। यहाँ हर वर्ष बाजार से सबसे घटिया बीज ( शिक्षक ) ढ़ूँढ कर लाया जाता है। हाथ की मजदूरी से भी सस्ती दर पर काम करने को राजी आदमी यहाँ के स्कूलों में देश का भविष्य निर्माण कर रहे हैं। विश्व विद्यालयों का काम विश्व नागरिक का निर्माण करना है क्या हमारे विश्वविद्यालय दावा कर सकते हैं कि उनके स्नातक वैश्विक सोच रखते हैं। एक फैक्टरी में कार या मोबाइल खराब हो जाता है तो वह अपनी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए उस बैच के सारे उत्पाद बाजार से रिपेयरिंग के लिए या रिप्लेस करने के लिए वापस बुला लेती है। आजादी के बाद आज तक किसी विश्वविद्यालय ने अपने दिये ग्रेजुएट्स पर कोई सवाल नही उठाया, किसी भी पेशेवर कॉंसिल ने कभी भी अपने अधीन काम कर रहे पेशेवर को कोई सजा नही दी। जिम्मेदारी स्वीकारने के मामले में एक उद्योगपति से गया गुजरा है हमारा शिक्षक समाज?
http://supportinghands.blogspot.in/2013/11/blog-post_9086.html

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