डेढ़ लाख शिक्षकों की पेंशन फंसी
- 8 साल बाद भी शुरू नहीं हुई कटौती
- परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर तक आवंटित नहीं
- शासन और निदेशालय के बीच समन्वय नहीं
लखनऊ।
प्रदेश के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में कार्यरत करीब डेढ़ लाख
शिक्षकों की पेंशन फंस गई है। इनको पुरानी पेंशन योजना से तो वंचित किया ही
गया पर नई पेंशन योजना का लाभ देने के लिए वेतन से कटौती तक नहीं शुरू की
गई। स्थिति यह है कि कुछ जिलों को छोड़ दें तो अधिकतर में शिक्षकों को
परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर तक आवंटित नहीं किया गया। इसके चलते
दुर्घटनावश मौत की काल में जाने वाले शिक्षकों के परिजनों को कोई लाभ तक
नहीं मिल पा रहा है।
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प्रदेश के बच्चों को
शिक्षित करने के लिए बेसिक व माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था की गई है। प्रदेश
में 1 अप्रैल, 2005 को पुरानी पेंशन व्यवस्था समाप्त करते हुए नई पेंशन
व्यवस्था बहाल की गई है। इस व्यवस्था में शिक्षकों के वेतन से होने वाली 10
फीसदी कटौती को मार्केट में लगाया जाएगा और इससे होने वाले लाभ के आधार पर
पेंशन दी जाएगी। नई पेंशन व्यवस्था के तहत प्रदेश के अन्य विभागों में
अप्रैल 2005 से नियुक्ति कर्मियों को तो परमानेंट रिटायर एकाउंट नंबर
आवंटित कर दिया गया है, लेकिन शिक्षा विभाग में सभी शिक्षकों को यह नंबर
आवंटित नहीं किया जा सका है।
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इसके लिए शासन
और निदेशालय के बीच समन्वय न होना भी बताया जा रहा है।
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शासन स्तर पर इस संबंध
में होने वाली बैठक में निदेशालय के अधिकारी और वित्त नियंत्रक नहीं पहुंच
रहे हैं। संयुक्त सचिव माध्यमिक शिक्षा डॉ. प्रभा मिश्रा ने इस पर खेद
व्यक्त करते हुए इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
20 साल की सेवा या फिर रिटायरमेंट में 10 साल शेष रहने पर वह 75 फीसदी एडवांस ले सकता था और इसे वापस करने की जरूरत नहीं थी। रिटायरमेंट पर शिक्षक को जीपीएफ का पैसा मय ब्याज के दिया जाता था।
इसके आधार पर रिटायरमेंट के 10 माह का आखिरी वेतन का औसत या आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन निर्धारित किया जाता था। इस हिसाब से रिटायर होने वाले शिक्षक को नवनियुक्त होने वाले शिक्षक के समान पेंशन मिलती थी।
यदि लाभ हुआ तो शिक्षक को फायदा मिलेगा। शिक्षक के कुल कटौती का 60 फीसदी उसे एक मुश्त दे दिया जाएगा और 40 फीसदी के आधार पर पेंशन का निर्धारण करने की व्यवस्था की गई है। यह पेंशन कितनी होगी यह उस समय तय किया जाएगा। इससे शिक्षकों को नुकसान है।
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- पुरानी पेंशन योजना
20 साल की सेवा या फिर रिटायरमेंट में 10 साल शेष रहने पर वह 75 फीसदी एडवांस ले सकता था और इसे वापस करने की जरूरत नहीं थी। रिटायरमेंट पर शिक्षक को जीपीएफ का पैसा मय ब्याज के दिया जाता था।
इसके आधार पर रिटायरमेंट के 10 माह का आखिरी वेतन का औसत या आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन निर्धारित किया जाता था। इस हिसाब से रिटायर होने वाले शिक्षक को नवनियुक्त होने वाले शिक्षक के समान पेंशन मिलती थी।
- नई पेंशन योजना
यदि लाभ हुआ तो शिक्षक को फायदा मिलेगा। शिक्षक के कुल कटौती का 60 फीसदी उसे एक मुश्त दे दिया जाएगा और 40 फीसदी के आधार पर पेंशन का निर्धारण करने की व्यवस्था की गई है। यह पेंशन कितनी होगी यह उस समय तय किया जाएगा। इससे शिक्षकों को नुकसान है।
प्रदेश
भर के डीआईओएस से पूछा गया है कि नई पेंशन योजना से सरकारी व सहायता
प्राप्त स्कूलों के कितने शिक्षक व कर्मचारी लाभांवित होंगे। कितनों को अब
तक परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर आवंटित किया जा चुका है और कितने शेष
हैं। पेंशन अंशदान के लिए कटौती शुरू न हो पाने के क्या कारण है, इसकी
स्थिति स्पष्ट की जाए।
- आरपी सिंह/वित्त नियंत्रक
- आरपी सिंह/वित्त नियंत्रक
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खबर साभार : अमर उजाला
डेढ़ लाख शिक्षकों की पेंशन फंसी
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
8:37 AM
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