आसान नहीं स्कूलों में मेज-कुर्सी का इंतजाम : 1650 करोड़ रुपये होंगे खर्च
लखनऊ : बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने अगले सत्र से
परिषदीय स्कूलों में बच्चों के लिए मेज-कुर्सी मुहैया कराने का निर्देश भले
ही जताया हो लेकिन संसाधनों की कमी के चलते इसे अमली जामा पहनाना आसान
नहीं होगा। कुर्सी की कौन कहे, परिषदीय स्कूलों में मेज और बेंच का इंतजाम
करने पर ही 1650 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
उत्तर प्रदेश में लगभग 1.59 लाख परिषदीय स्कूल हैं। इनमें से 113000 प्राथमिक व तकरीबन 46000 प्राथमिक विद्यालय हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत लगभग 11000 उच्च प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई के लिए फर्नीचर का बंदोबस्त किया गया है। बचे हुए 148000 स्कूलों में फर्नीचर का इंतजाम होना है। बेसिक शिक्षा मंत्री के निर्देश पर बेसिक शिक्षा निदेशालय ने इन स्कूलों में मेज और कुर्सी के स्थान पर बेंच उपलब्ध कराने का प्रस्ताव शासन को तैयार कर भेज दिया है। वजह यह है कि अधिकतर परिषदीय स्कूलों में क्लास रूम का आकार इतना कम है कि उनमें तीस कुर्सियां नहीं रखी जा सकती हैं। जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसके मुताबिक शेष परिषदीय स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई के लिए मेज और बेंच उपलब्ध कराने पर 1650 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
10 दिसंबर को बेसिक शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में चर्चा हुई थी कि विभाग द्वारा आयोजित अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) और शिक्षक भर्तियों से आवेदन शुल्क के तौर पर प्राप्त हुई धनराशि का इस्तेमाल स्कूलों में फर्नीचर के लिए किया जा सकता है। इस मद में लगभग 400 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या वित्त विभाग आवेदन शुल्क के तौर पर जमा की गई धनराशि को फर्नीचर मुहैया कराने के लिए खर्च करने की अनुमति देगा। दूसरा सवाल यह है कि यदि इस धनराशि को फर्नीचर उपलब्ध कराने के लिए खर्च करने की अनुमति मिल जाए तो भी शेष 1250 करोड़ रुपये का बंदोबस्त कहां से होगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में अगले सत्र से सभी परिषदीय स्कूलों में फर्नीचर उपलब्ध कराना दूर की कौड़ी होगी क्योंकि सरकार के लिए एकमुश्त इतनी बड़ी धनराशि का बजट प्रावधान करना मुश्किल है। यह काम चरणबद्ध तरीके से ही हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में लगभग 1.59 लाख परिषदीय स्कूल हैं। इनमें से 113000 प्राथमिक व तकरीबन 46000 प्राथमिक विद्यालय हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत लगभग 11000 उच्च प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई के लिए फर्नीचर का बंदोबस्त किया गया है। बचे हुए 148000 स्कूलों में फर्नीचर का इंतजाम होना है। बेसिक शिक्षा मंत्री के निर्देश पर बेसिक शिक्षा निदेशालय ने इन स्कूलों में मेज और कुर्सी के स्थान पर बेंच उपलब्ध कराने का प्रस्ताव शासन को तैयार कर भेज दिया है। वजह यह है कि अधिकतर परिषदीय स्कूलों में क्लास रूम का आकार इतना कम है कि उनमें तीस कुर्सियां नहीं रखी जा सकती हैं। जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसके मुताबिक शेष परिषदीय स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई के लिए मेज और बेंच उपलब्ध कराने पर 1650 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
10 दिसंबर को बेसिक शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में चर्चा हुई थी कि विभाग द्वारा आयोजित अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) और शिक्षक भर्तियों से आवेदन शुल्क के तौर पर प्राप्त हुई धनराशि का इस्तेमाल स्कूलों में फर्नीचर के लिए किया जा सकता है। इस मद में लगभग 400 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या वित्त विभाग आवेदन शुल्क के तौर पर जमा की गई धनराशि को फर्नीचर मुहैया कराने के लिए खर्च करने की अनुमति देगा। दूसरा सवाल यह है कि यदि इस धनराशि को फर्नीचर उपलब्ध कराने के लिए खर्च करने की अनुमति मिल जाए तो भी शेष 1250 करोड़ रुपये का बंदोबस्त कहां से होगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में अगले सत्र से सभी परिषदीय स्कूलों में फर्नीचर उपलब्ध कराना दूर की कौड़ी होगी क्योंकि सरकार के लिए एकमुश्त इतनी बड़ी धनराशि का बजट प्रावधान करना मुश्किल है। यह काम चरणबद्ध तरीके से ही हो सकता है।
आसान नहीं स्कूलों में मेज-कुर्सी का इंतजाम : 1650 करोड़ रुपये होंगे खर्च
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:03 AM
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