मदरसा नियमावली में देरी पर सीएम खफा : दो माह का वक्त दिया था, एक साल बीते



यह होंगे फायदे
नियमावली नहीं होने से चल रही मनमानियां
नियमों के अनुसार हो सकेंगी मदरसों में शिक्षकों की भर्तियां
शिक्षक भर्ती की शैक्षिक अर्हता हो सकेगी साफ
शिक्षकों की सेवा शर्तें साफ हो जाने से शोषण रुकेगा
अनुदानित मदरसों पर सरकार का भी रहेगा अधिकार
प्रबंधकों की मनमानी पर अंकुश लग सकेगा
छात्र संख्या को लेकर मदरसा गोलमाल नहीं कर सकेंगे
लखनऊ(ब्यूरो)। मदरसों के संचालन के लिए एक साल बीतने के बावजूद मदरसा नियमावली नहीं बन पाने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नाराजगी जताई है। जबकि इसके लिए दो माह का वक्त दिया गया था। मुख्यमंत्री कार्यालय ने अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग से इसके लिए अफसरों की जिम्मेदारी तय करने को कहा है।
मदरसा शिक्षा को लेकर नया एक्ट तो बना दिया लेकिन नियमावली अब तक नहीं बन पाई। वहीं नया एक्ट बनने के बाद पुरानी नियमावली प्रभावी नहीं रह गई। ऐसे में मदरसों पर सरकार का कोई अंकुश नहीं रह गया है। लिहाजा मदरसा संचालकों को मनमानी करने का मौका मिल गया।
इसको देखते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नई नियमावली लागू करने का ऐलान किया था। अफसरों को दो माह में नियमावली बनाने का वक्त दिया गया था। सचिव मुख्यमंत्री आमोद कुमार ने अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग से यह पूछा है कि अभी तक यह घोषणा पूरी क्यों नहीं हुई। साथ ही इस मामले में जो भी दोषी अधिकारी हैं उनकी जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं।

नियमावली न होने के कारण मदरसा शिक्षकों को प्रमोशन तक नहीं मिल पाता है। अनुदान में आने वाले मदरसों में प्रबंधक पैसा लेकर शिक्षकों की मनमानी नियुक्तियां तक कर देते हैं। कई बार ऐसे शिक्षकों को रख लिया जाता है जो पात्र नहीं होते हैं। कई प्रबंधक अपने रिश्तेदारों को ही शिक्षक के रूप में रख लेते हैं।
खबर साभार : अमर उजाला

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मदरसा नियमावली में देरी पर सीएम खफा : दो माह का वक्त दिया था, एक साल बीते Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 8:11 AM Rating: 5

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