एमडीएम का रोज देना होगा हिसाब-किताब : यूनीसेफ ने आवंटित किए विशेष रजिस्टर; बिंदुवार दर्ज करनी होगी जानकारी
अब मिड डे मील का संचालकों को रोजाना हिसाब देना होगा। यूनीसेफ के सहयोग से स्कूलों में बांटे जा रहे रजिस्टरों में बने सभी कालम भरने की अनिवार्यता है। निरीक्षण में अगर रोज के कालम पूरे न मिले तो बेसिक शिक्षा विभाग कार्रवाई करेगा। यह रजिस्टर मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण में बीआरसी पहुंचा दिए हैं। सभी स्कूल के टीचरों को चालू महीने में बीआरसी से रजिस्टर प्राप्त करके जनवरी के एमडीएम का लेखाजोखा इसी में अंकित करना अनिवार्य होगा।
मध्यान्ह भोजन योजना जिले में वर्ष 2004 से चल रही है। इसके लिए हर स्कूल में रफनुमा रजिस्टरों की व्यवस्था है, जिसे कभी टीचर बदलकर दूसरा तैयार कर सकते हैं। ऐसी हालत में संचालक भोजन करने वाले बच्चों की संख्या घटा बढ़ाकर सरकारी धन का बंदर बांट कर सकते हैं। एमडीएम के खाद्यान्न और कनवर्जन कास्ट की चोरी रोकने को मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण ने यूनीसेफ के सहयोग से हर स्कूल में मिड डे मील पंजिका हाईजीन माड्यूल सहित मुहैया कराने जा रहा है।
पंजिका में पहले कालम में तारीख, दूसरे में स्कूल आए बच्चों की संख्या, भोजन करने वाले बच्चों की संख्या के बाद क्रमागत जोड़ का कालम बनाया है। एक दिन की संख्या में फेरबदल करने पर पिछली सभी दिनों की संख्या गलत हो जाएगी। गेहूं और चावल प्रतिदिन खर्च किया और कितना शेष है। इसके कालम भी भरने होंगे। कनवर्जन कास्ट कितनी प्रतिदिन खर्च की गई है और कितनी शेष है।
एमडीएम के जिला समन्वयक आशीष दीक्षित ने कहा नगर समेत सभी ब्लाक मुख्यालयों में स्कूलों की संख्या के अनुरूप मिड डे मील पंजिका भेजी जा रही हैं। शिक्षक चालू महीने में पंजिका बीआरसी से प्राप्त कर लें। नए साल से एमडीएम का हिसाब किताब इसी रजिस्टर में मान्य होगा।
खबर साभार : अमर उजाला
- एमडीएम में हेराफेरी अब नहीं आसान
- यूनीसेफ की बनाई योजना को किया ग्रहण
- एक रजिस्टर में दर्ज होगा पांच साल का रिकार्ड
- बिंदुवार दर्ज करनी होगी एमडीएम की जानकारी
एमडीएम (मध्याह्न् भोजन) में होने वाली हेराफेरी आसान नहीं होगी। यूनीसेफ की बनाई गई योजना को एमडीएम परिषद ने कैच कर लिया है। अपनाए जाने वाले तिकड़मों का अंत करते हुए एक रजिस्टर बनाया है। जिसमें प्रतिदिन की गतिविधि दर्ज करानी होगी। कटिंग करके गतिविधि दर्ज करने की पूरी मनाही है। परिषदीय विद्यालयों के साथ माध्यमिक की जूनियर कक्षाओं के लिए बनने वाले एमडीएम में उच्च प्रशासनिक शिकंजा कस दिया गया है। एमडीएम में की जाने वाली हेराफेरी में लगाम लगाने के वास्ते यूनीसेफ ने योजना बनाई। जिसको एमडीएम परिषद स्वीकार कर लिया है।
- विद्यालय में बच्चों का पंजीकरण
- कितने बच्चों ने भोजन किया
- क्रमागत (अब तक) भोजन करने वाले छात्रों की संख्या
- कितने बच्चों ने हाथ धोकर खाना खाया
- कितनी कन्वर्जन कास्ट आई
- प्रतिदिन खर्च होने वाली कन्वर्जन कास्ट
- प्रतिदिन-माह के अंत में बची कन्वर्जन कास्ट
- किन दो अभिभावक, रसोइया, अध्यापक ने भोजन चखा
- स्टाक कितना आया, खर्च के बाद कितना बचा
- प्रधान और प्रधानाध्यापक के स्टाक रजिस्टर पर प्रतिदिन के हस्ताक्षर होंगे
एक रजिस्टर बनाकर सारी गतिविधियों को अंकित कर पारदर्शी माध्यम से योजना के क्रियान्वयन का खाका बनाया है। बीएसए ने सभी खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह यूनीसेफ से आए रजिस्टरों की उठान कराकर विद्यालयों में भेजे जाने की व्यवस्था करें।
रजिस्टर में एमडीएम को किस तरह पकाया जाए कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए। बच्चों में हाथ धोने की सही प्रक्रिया के दिशा निर्देश। खुले में शौच करने से होने वाली दिक्कतें उनसे बचाव सावधानियां, अभिभावकों और शिक्षकों के दायित्व निर्वहन जैसे नियमों का उल्लेख किया गया है। नई योजना का क्रियान्वयन एक जनवरी से किया जाएगा। यूनीसेफ और एमडीएम परिषद के निर्देशों का अक्षरश: पालन होगा। इसके लिए खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देशित किया गया है। ~ ओपी त्रिपाठी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।
खबर साभार : दैनिक जागरण
एमडीएम का रोज देना होगा हिसाब-किताब : यूनीसेफ ने आवंटित किए विशेष रजिस्टर; बिंदुवार दर्ज करनी होगी जानकारी
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
11:23 AM
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