दो वर्षीय बीटीसी पाठ्यक्रम पर संकट के बादल : बीटीसी कॉलेजों के प्रबंधक पसोपेश में, सरकार अभी तक चुप्पी साधे
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निणय से प्रदेश के दो वषीय बीटीसी पाठ्यक्रम पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस निणय से जहां बीटीसी कॉलेजों के प्रबंधक पसोपेश में हैं, वहीं सरकार अभी तक चुप्पी साधे हुए है। प्रदेश में लागू व्यवस्था के मुताबिक अब विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध कॉलेजों में प्रस्तावित चार वषीय बीएलएड पाठ्यक्रम ही वैध होगा। दरअसल, एनसीटीई ने तो विद्याथियों को दो-दो विकल्प दिए हैं लेकिन प्रदेश सरकार के निणय से एक विकल्प बेमतलब साबित हो रहा है।
एनसीटीई ने बीटीसी की जगह पर डीएलएड (प्रारंभिक शिक्षा में डिप्लोमा) का जो दो वषीय पाठ्यक्रम तैयार किया है, उसमें प्रवेश की अहता इंटरमीडिएट है। इसी प्रकार चार वषीय बीएलएड (प्रारंभिक शिक्षा में स्नातक) का जो पाठ्यक्रम तैयार किया गया है, उसमें प्रवेश की योग्यता भी इंटरमीडिएट है। दोनों ही पाठ्यक्रमों का उद्देश्य एक से आठ तक की कक्षाओं के लिए शिक्षक तैयार करना है। इस तरह प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए विद्याथियों के सामने दो-दो विकल्प हैं।
समस्या यह है कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के लिए भी स्नातक की डिग्री अनिवाय है। इस तरह डीएलएड करने वाले विद्याथी को बाद में स्नातक की उपाधि भी लेनी होगी। जाहिर है कि प्राथमिक शिक्षक बनने की अहता हासिल करने के लिए उसे इंटरमीडिएट के बाद पांच साल लगाने होंगे। ऐसे में बीएलएड उपाधि उसके लिए ज्यादा मुफीद होगी। इससे चार साल में ही उसे आवश्यक अहता प्राप्त हो जाएगी। निजी बीटीसी कॉलेजों की एसोसिएशन यह मामला शासन के सामने उठाने की तैयारी में है।
खबर साभार : हिन्दुस्तान
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Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
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9:19 AM
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