मदरसों को अनुदान देने की अंतिम बाधा भी दूर, छात्रवृत्ति से नहीं होगा छात्र संख्या का सत्यापन : सीएम ने हटाया छात्र संख्या सत्यापन का नियम
- मदरसों को अनुदान देने की अंतिम बाधा भी दूर
- छात्रवृत्ति से नहीं होगा छात्र संख्या का सत्यापन
- सीएम ने हटाया छात्र संख्या सत्यापन का नियम
- शीघ्र ही जारी हो सकता है शासनादेश
- बैनामा एक साल पुराना होना जरूरी
लखनऊ।
प्रदेश सरकार ने मदरसों को अनुदान देने में आ रही अंतिम बाधा भी दूर कर दी
है। छात्र संख्या के सत्यापन के लिए छात्रवृत्ति को आधार बनाने वाला नियम
अब खत्म कर दिया गया है। खुद मुख्यमंत्री ने इस नियम को हटाने के लिए
मंजूरी दे दी है। यानी अब जिला स्तरीय समिति की रिपोर्ट को ही आधार मानकर
छात्र संख्या का सत्यापन किया जाएगा। सोमवार या मंगलवार को इसका शासनादेश
जारी हो सकता है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
ने सरकार बनाते ही सूबे के 146 मदरसों को अनुदान देने की घोषणा की थी।
हालांकि मानक पर खरे न उतरने के कारण पौने तीन साल बाद भी इन्हें अनुदान
नहीं मिल सका है। इस नाते सरकार पहले से तय मानक लगातार घटा रही है। मदरसों
में होने वाले घपलों को देखते हुए इनमें छात्र संख्या के सत्यापन का आधार
छात्रवृत्ति रखा गया था। यानी कितने छात्रों को छात्रवृत्ति मिल रही है,
छात्र संख्या का असली पता इसी से लगाने की शर्त थी।
चूंकि
मदरसों को अनुदान देने की एक शर्त यह है कि उनके यहां छात्र संख्या 100 से
कम नहीं होनी चाहिए। ऐसे में मदरसा संचालक कागजों में अक्सर फर्जी छात्र
संख्या दिखा देते थे। इसलिए छात्रवृत्ति के जरिये छात्र संख्या के सत्यापन
का विरोध काफी समय से हो रहा था। मदरसा संचालकों को डर था कि इससे उनकी पोल
खुल जाएगी। इसी के बाद सरकार ने इस नियम को भी खत्म कर दिया है। अब जिला
स्तर पर बनी समिति ही छात्र संख्या का सत्यापन करेगी।
खुद
मुख्यमंत्री ने इस नियम को हटाने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले विभागीय
मंत्री आजम खां भी इस पर कड़ी नाराजगी जता चुके हैं। मुख्यमंत्री के
अनुमोदन के बाद यह फाइल अब वित्त विभाग में गई है। एक-दो दिनों में इसका
शासनादेश जारी हो सकता है। इसके बाद राज्य स्तरीय अनुदान समिति की बैठक
होगी। इसमें पात्र मदरसों की संस्तुति करने के बाद कैबिनेट की बैठक में
प्रस्ताव रखे जाएंगे। वहां से अनुदान के लिए हरी झंडी मिलेगी। पहले चरण में
75 मदरसों को अनुदान देने की संस्तुति की जाएगी। बचे हुए मदरसों को अगले
वित्तीय वर्ष में अनुदान दिया जाएगा।
सरकार
ने मदरसों को अनुदान के लिए जहां कई नियम शिथिल किए हैं वहीं एक शर्त भी
लगाई है। मदरसों की जमीन का बैनामा कम से कम एक साल पुराना होना चाहिए।
सरकार ने यह शर्त इसलिए लगाई है क्योंकि अक्सर मदरसों की जमीन झगड़े में
फंसी रहती है। कई बार ग्राम पंचायत या फिर किसी दूसरे की जमीन पर मदरसा तो
खुल जाता है लेकिन उसकी जमीन मदरसों के नाम नहीं होती। जब अनुदान का समय
आता है तो कई पार्टियां मदरसे पर अपना दावा करती हैं। इसलिए सरकार ने
मदरसों के नाम की जमीन के बगैर अनुदान देने से मना कर दिया था। हालांकि
ज्यादातर संचालक जमीन का बैनामा अपने नाम करवाकर अनुदान के लिए आवेदन कर
देते थे। इसलिए सरकार ने तय किया है कि अनुदान के लिए आवेदन करते समय एक
साल पुराना बैनामा जरूर होना चाहिए।
खबर साभार : अमर उजाला
मदरसों को अनुदान देने की अंतिम बाधा भी दूर, छात्रवृत्ति से नहीं होगा छात्र संख्या का सत्यापन : सीएम ने हटाया छात्र संख्या सत्यापन का नियम
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
8:32 AM
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