परिषदीय विद्यालयों में अध्यापकों की न्यूनतम आयु सीमा में परिवर्तन करने का आदेश देने से हाईकोर्ट का इन्कार
- अध्यापक नियुक्ति की न्यूनतम आयु सीमा बदलने की मांग खारिज
हाईकोर्ट ने परिषदीय विद्यालयों में अध्यापकों की न्यूनतम आयु सीमा में परिवर्तन करने का आदेश देने से इन्कार कर दिया है। इसे लेकर दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने कहा कि न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित करना सरकार का या नियोक्ता का कार्य है। अदालत ऐसे मामलों में आदेश नहीं दे सकती है। याचिका में कहा गया था कि अध्यापकों की भर्ती के लिए मौजूदा समय में न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष और अधिकतम 40 वर्ष है। इसे बदलकर न्यूनतम 21 वर्ष और अधिकतम 40 वर्ष किया जाए।
खबर साभार : अमर उजाला
उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों के टीचरों की भर्ती की उम्र 21 वर्ष
निर्धारित करने की मांग के लिए दायर जनहित याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने
खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि भर्ती की उम्र तय करने का अधिकार
सरकार अथवा नियोक्ता को है।यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड व
न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने देवरिया के सामाजिक कार्यकर्ता
राजेश्वर की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका दायर कर कहा गया था कि प्रदेश
के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के भर्ती की उम्र 21 वर्ष होनी
चाहिए। याचिका में कहा गया था कि वर्तमान में प्रदेश के प्राइमरी
विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती का उम्र 18 से 40 वर्ष है जो गलत है। इसे
बढ़ाकर 21 से 40 वर्ष किया जाना चाहिए।
खबर साभार : हिंदुस्तान |
- प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती उम्र 21 करने की याचिका खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों के टीचरों की भर्ती की उम्र 21 वर्ष निर्धारित करने की मांग वाली दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि भर्ती की उम्र तय करने का अधिकार सरकार अथवा नियोक्ता को है। कोर्ट भर्ती की उम्र तय नहीं कर सकती। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड व न्यायमूर्ति पुनीत कुमार की खण्डपीठ ने देवरिया के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश्वर की याचिका पर दिया है। याचिका दायर कर कहा गया था कि प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के भर्ती की उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए। इसमें यह भी कहा गया था कि शिक्षक की नियुक्ति पूर्ण वयस्क लोगों के बीच से ही होनी है। कहा यह भी गया था कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा जारी भर्ती की प्रक्रिया में अच्छे पदों के लिए 21 वर्ष भर्ती की उम्र रखी गयी है। याचिका में कहा गया था कि वर्तमान में प्रदेश के प्राइमरी विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती की उम्र 18 से 40 वर्ष है जो गलत है। इसे बढ़ाकर 21 से 40 वर्ष किया जाना चाहिए। न्यायालय ने याचिका को सभी पक्षों को सुनकर खारिज कर दिया।
परिषदीय विद्यालयों में अध्यापकों की न्यूनतम आयु सीमा में परिवर्तन करने का आदेश देने से हाईकोर्ट का इन्कार
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
9:10 AM
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