सवा दो लाख शिक्षकों की पेंशन पर संकट : शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कानों पर नहीं रेंग रही जूं

  • सूबे में अप्रैल 2005 से लागू की गई नई पेंशन व्यवस्था
  • नहीं शुरू हो पाई पेंशन की अंशदान की कटौती
  • नई व्यवस्था में बराबर का अंशदान है जरूरी
लखनऊ। सूबे के सवा दो लाख शिक्षकों की पेंशन पर खतरा मंडरा रहा है। कारण-इन शिक्षकों की जॉइनिंग के बरसों बाद भी पेंशन अंशदान की कटौती शुरू नहीं की गई। प्रदेश में नई पेंशन व्यवस्था अप्रैल 2005 में लागू की गई। इसमें व्यवस्था दी गई कि शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन से जितना पैसा कटेगा उतना ही संस्था उसके पेंशन अंशदान में जमा करेगी। प्रदेश में बेसिक शिक्षा का दायरा काफी बड़ा है। परिषदीय स्कूलों में हर साल हजारों की संख्या में शिक्षकों को नई तैनाती दी जा रही है। विभागीय आंकड़े पर नजर डालें तो प्राइमरी स्कूलों में अप्रैल 2005 से अब तक करीब सवा दो लाख शिक्षकों की जॉइनिंग हो चुकी है। मौजूदा समय 72,825 शिक्षकों के जॉइनिंग की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन विभाग की लापरवाही से इनके पेंशन अंशदान की कटौती अभी तक शुरू नहीं की गई है।
पुरानी पेंशन व्यवस्था समाप्त होने के बाद अप्रैल 2005 में नई पेंशन व्यवस्था लागू की गई। इसमें व्यवस्था दी गई कि शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन से पेंशन अंशदान के रूप में 10 फीसदी कटौती होगी और इतना ही विभाग भी उसमें जमा करेगा। शिक्षकों के पेंशन अंशदान में जमा होने वाला पैसा बाजार में लगाया जाएगा और इससे जो आय होगी उसके आधार पर पेंशन तय करते हुए उसे शिक्षकों को रिटायरमेंट के बाद दिया जाएगा। प्रदेश में नई पेंशन नीति लागू होने के बाद सबसे पहले विशिष्ट बीटीसी के तहत प्राइमरी स्कूलों में 46,189 शिक्षकों की नियुक्ति की गई।
इसके बाद दो वर्षीय बीटीसी पास करीब 12,000 शिक्षकों की नियुक्तियां हुईं। वर्ष 2007-08 के बीच 88,000 प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नियुक्तियां की गई हैं। इसके बाद 15,000 बीटीसी के अलावा 58,826 शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाया जा चुका है, लेकिन इसमें से किसी के पेंशन अंशदान की कटौती शुरू नहीं हो पाई है। मौजूदा समय 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों को रखने और करीब 92,000 शिक्षा मित्रों के समायोजन की प्रक्रिया चल रही है। वेतन मिलने के बाद पेंशन अंशदान की कटौती की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। मगर जानकारों की मानें तो बेसिक शिक्षा विभाग अभी पुराने शिक्षकों को ही परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर नहीं दे पाया है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेंशन अंशदान कटौती में कितना समय लगेगा।
  • नहीं होती सुनवाई
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह व महामंत्री आशुतोष मिश्र कहते हैं कि नई पेंशन योजना लागू होने के बाद सबसे पहले 46,189 शिक्षकों ने प्राइमरी स्कूलों में जॉइन किया।
नियमत: कुछ समय बाद ही पेंशन अंशदान की कटौती शुरू हो जानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तब से लेकर अब तक 59 शिक्षकों का निधन हो चुका है। पेंशन अंशदान की कटौती न होने से इनके परिवारीजन लाभ से वंचित हो गए।

  • विभाग की लापरवाही से पैदा हुई विकट स्थिति
प्राइमरी स्कूलों में अप्रैल 2005 के बाद से नियुक्ति होने वाले शिक्षकों के पेंशन अंशदान की कटौती के संबंध में शीघ्र ही आदेश जारी करने की तैयारी है। शिक्षकों के वेतन और अब तक मिले हुए एरियर का मिलान किया जा रहा है।
- अर्जुन सिंह, वित्त नियंत्रक, बेसिक शिक्षा परिषद
खबर साभार : अमर उजाला

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सवा दो लाख शिक्षकों की पेंशन पर संकट : शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कानों पर नहीं रेंग रही जूं Reviewed by Brijesh Shrivastava on 6:52 AM Rating: 5

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