टीईटी : फर्जीवाड़े की भर्ती, घोटाले से हुई थी शुरुआत, अब भी लग रहे आरोप : वेरिफिकेशन में सामने आ रहे मामले, काउंसलिंग के दौरान ही आई थीं हजारों शिकायतें
- टीईटी : फर्जीवाड़े की भर्ती!
- वेरिफिकेशन में सामने आ रहे मामले
- काउंसलिंग के दौरान ही आई थीं हजारों शिकायतें
- घोटाले से हुई थी शुरुआत, अब भी लग रहे आरोप
- भर्ती के दौरान भी मिलती रहीं शिकायतें
टीईटी भर्ती की शुरुआत ही बड़े घोटाले के
साथ हुई थी। केंद्र के मानक के अनुसार टीईटी सिर्फ अर्हता परीक्षा है। इसके
बावजूद बीएसपी सरकार में इसे भर्ती परीक्षा मानते हुए विज्ञापन जारी कर
दिया गया। सरकार ने कहा कि टीईटी अंकों के आधार पर ही भर्तियां की जाएंगीं।
इसी में परीक्षा के बाद संशोधनों के नाम पर नंबर बढ़ाने का खेल हुआ। इसी
खेल में माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन तक को जेल जाना पड़ा। तब यह
भर्ती रोक दी गई। बाद में सरकार बदल गई और टीईटी के आधार पर भर्ती कराने
वाले कोर्ट गए। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने ही उस समय
तर्क दिया कि सरकार ने भर्ती परीक्षा मानकर विज्ञापन जारी किया। ऐसे में
अभ्यर्थियों का कोई दोष नहीं है और टीईटी के आधार पर ही भर्तियां की जाएं।
इसके लिए तारीखें भी तय कर दीं। ऐसे में सपा सरकार में इन भर्तियों की
प्रक्रिया दोबारा शुरू हुई।
भर्ती प्रक्रिया के दौरान भी टीईटी परीक्षा के अंकों का मूल ब्योरा नहीं
मिलने पर विवाद हुआ। परीक्षा कराने वाले यूपी बोर्ड ने पहले कहा कि उसने
उसी समय एससीईआरटी को ब्योरा दे दिया था। एससीईआरटी ने कहा कि मूल ब्योरा
ही नहीं मिला। शासन स्तर पर फटकार केबाद बोर्ड ने स्वीकार किया कि मूल
ब्योरा उपलब्ध है लेकिन वह ऑनलाइन नहीं किया गया। एससीईआरटी ने काउंसलिंग
करानी शुरू कर दीं। सूत्रों के अनुसार अभ्यर्थियों को जब यह भनक लगी कि मूल
ब्योरा नहीं है तो उसके बाद बोर्ड से और फर्जी मार्कशीट बनने लगीं।
इस बाबत शिकायतें भी आईं कि काफी संख्या में फर्जी मार्कशीट लगाई गई हैं।
कुछ साक्ष्य भी अभ्यर्थियों ने अफसरों को सौंपे। उसी दौरान एक हजार से
ज्यादा शिकायतें आ चुकी थीं। मथुरा, अलीगढ़, आगरा और पूर्वांचल के भी कई जिलों से शिकायतें आई थीं। उसके बावजूद भर्ती प्रक्रिया चलती रही और तब से लगातार शिकायतें आरही हैं।
अब नियुक्ति पत्र देने के बाद जिला स्तर पर बीएसए वेरीफिकेशन करवा रहे हैं तो वहां फर्जी मार्कशीट पकड़ी भी जा रही हैं। गुरुवार को कौशांबी में तीन फर्जी मार्कशीट पकड़ी गईं और वहां उनके खिलाफ एफआईआर हुई। इससे पहले लखीमपुर में भी कुछ मामले आए। अब तक करीब 54 हजार को नियुक्ति पत्र मिल चुका है। ऐसे में जिन्हें नौकरी नहीं मिलीं तो उन्होंने और शिकायतें कीं। कोई सुनवाई नहीं हुई तो कुछ अभ्यर्थी फिर सुप्रीम कोर्ट तक गए। अब इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरा ब्योरा ऑनलाइन करने को कहा है और प्रदेश सरकार को सख्ती से जांच के आदेश दिए हैं। उसके बाद ही सरकार ने तीन सदस्यों की जांच कमिटी बनाई है।
प्राइमरी के 72 हजार शिक्षकों की भर्ती की जांच में मार्कशीट के बड़े
फर्जीवाड़े का खुलासा हो सकता है। शिकायतें तो शुरुआत से ही आ रही थीं। जब
भर्ती चल रही थी, तभी शिक्षा विभाग के अफसरों को हजारों शिकायतें मिल चुकी
थीं। अब जिलों में जैसे ही दस्तावेज की जांच शुरू हुई तो मामले पकड़ में
आने लगे हैं और फर्जी मार्कशीट लगाने वालों के खिलाफ एफआईआर शुरू हो गई है।
नौकरी लगती है तो दस्तावेज का वेरिफिकेशन कराया जाता है। उसमें एफआईआर भी होती है। इसमें भी यही होना चाहिए, लेकिन भर्तियां रद नहीं होनी चाहिए। फर्जी मार्कशीट बनने की बात आ रही है तो संबंधित जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने मार्कशीट बनाईं। कोई गिरोह चल रहा है तो उसका भंडाफोड़ होना चाहिए। -विनय कुमार सिंह, अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन
खबर साभार : नवभारत टाइम्स
टीईटी : फर्जीवाड़े की भर्ती, घोटाले से हुई थी शुरुआत, अब भी लग रहे आरोप : वेरिफिकेशन में सामने आ रहे मामले, काउंसलिंग के दौरान ही आई थीं हजारों शिकायतें
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
8:28 AM
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