परिषदीय स्कूलों के बच्चे एक बार फिर पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशकों के हाथों ठगे गए, पाठ्यपुस्तकों में घटिया कागज का इस्तेमाल, जांच में कई कमियां उजागर

लखनऊ : परिषदीय स्कूलों के बच्चे एक बार फिर पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशकों के हाथों ठगे गए हैं। बच्चों को चालू शैक्षिक सत्र में बांटी गईं पाठ्यपुस्तकों में इस्तेमाल किया गया कागज मानकों की कसौटी पर खरा नहीं उतरा है। शासन की ओर से करायी गई जांच में पाठ्यपुस्तकों के कागज में कई तरह की कमियां उजागर हुई हैं। किताबों की छपाई के लिए इस्तेमाल किए गए कागज के नमूनों की जांच के बाद गाजियाबाद स्थित नेशनल टेस्ट हाउस ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।


रिपोर्ट में बताया गया है कि पाठ्यपुस्तकों की छपाई के लिए विभिन्न प्रकाशकों द्वारा इस्तेमाल किये गए कागज की चमक मानक से कम पायी गई है। कागज का कॉब (पानी सोखने की क्षमता) भी मानक से कम पाया गया है। जांच में कागज की ओपेसिटी (अपारदर्शिता) भी मानक के अनुरूप नहीं मिली। कागज की मोटाई भी जितनी होनी चाहिए, उतनी नहीं पायी गई। जांच में घटिया कागज का इस्तेमाल साबित होने पर भुगतान की जाने वाली कुल धनराशि के 30 प्रतिशत तक की कटौती की जा सकती है।


चालू शैक्षिक सत्र में परिषदीय स्कूलों के बच्चों को निश्शुल्क बांटने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रकाशकों से लगभग 13.5 करोड़ किताबें छपवायी थीं। इन किताबों की छपाई के लिए प्रकाशकों को तकरीबन 170 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है। नियमत: किताबों की आपूर्ति और उसके भौतिक सत्यापन के बाद प्रकाशकों को 50 फीसद धनराशि का भुगतान कर दिया जाता है। बांटी जा चुकीं किताबों में इस्तेमाल किए गए कागज के नमूने की जांच प्रयोगशाला में करायी जाती है। शेष 50 प्रतिशत धनराशि का भुगतान कागज की जांच के बाद किया जाता है।


वर्ष 2014 तक यह जांच सहारनपुर स्थित केंद्रीय लुगदी और कागज अनुसंधान संस्थान (सिपरी) में करायी जाती थी। पिछले साल साल सिपरी ने मिल वाटरमार्क कागज की जांच करने से मना कर दिया। परिषदीय स्कूलों में बांटी जाने वाली किताबों में मिल वाटरमार्क कागज का इस्तेमाल होता है। लिहाजा 2015 में बेसिक शिक्षा विभाग ने कागज की जांच नेशनल टेस्ट हाउस, गाजियाबाद से करायी थी।

परिषदीय स्कूलों के बच्चे एक बार फिर पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशकों के हाथों ठगे गए, पाठ्यपुस्तकों में घटिया कागज का इस्तेमाल, जांच में कई कमियां उजागर Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 7:56 AM Rating: 5

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