शिक्षकों की नियुक्ति की रिपोर्ट एक माह से जिलों में अटकी, संविदा नियुक्ति में अफसर तेज, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बेसिक शिक्षा परिषद ने की तुरत-फुरत कार्रवाई
प्रदेश के महाधिवक्ता ने सात दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान कहा था कि 1100 शिक्षकों को संविदा पर रखा जाएगा। यह वही युवा हैं जिन्होंने हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं। सभी अधिवक्ताओं से याचियों की सूची मांगी गई। बेसिक शिक्षा परिषद मुख्यालय को अब तक आधे से अधिक याचियों की सूची अधिवक्ताओं से मिल गई है। शेष नाम भी जल्द मिलने की उम्मीद है। स्पष्ट है कि मूल नियुक्ति पाने वाले पीछे हैं और याचिका करने वाले आगे निकल गए हैं।
इलाहाबाद : प्रदेश भर के 12091 युवाओं के शिक्षक बनने में जिले से आने वाली रिपोर्टे रोड़ा बन गई हैं। देरी होने से जल्द नियुक्ति पाने की उम्मीदें टूट रही हैं। यह वही युवा हैं जो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 में उम्दा अंकों से पास हुए और तय कटऑफ से ऊपर रहने के बाद भी उनका चयन नहीं हो सका था। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद वह शिक्षक बनने के करीब हैं। विलंब होने के कारण अब अगले कुछ महीनों में उनकी नियुक्ति हो पाएगी।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में टीईटी 2011 की मेरिट के आधार पर 72825 शिक्षकों की भर्ती चल रही है। इसके तहत 43077 युवाओं को प्रशिक्षण देकर नियुक्त किया जा चुका है और दूसरे चरण में 15058 की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। इसके बाद भी घोषित भर्ती के सापेक्ष 14640 पद खाली हैं।
इन्हें भरे जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई। सुनवाई में कहा गया कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान जिलों में तमाम ऐसे युवा चयनित होने से छूट गए हैं, जिनके अंक कटऑफ से अधिक थे। कोर्ट ने दो नवंबर को ऐसे युवाओं की तलाश करके सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से रिपोर्ट मांगी। सचिव ने पांच नवंबर 2015 को बाकायदे विज्ञापन जारी करके प्रत्यावेदन मांगे।
सात दिसंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को 75 हजार प्रत्यावेदन मिले थे, उनमें प्रथम दृष्ट्या जांच के बाद यह सामने आया कि 12091 अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनके अंक संबंधित जिले के कटऑफ से अधिक हैं, इन्हें नियुक्ति दी जा सकती है।
परिषद ने संबंधित जिलों को पत्र भेजकर जवाब मांगा है कि आखिर कटऑफ से अधिक अंक होने पर भी यह कैसे छूट गए। राज्य सरकार ने कहा, जांच में यदि यह सही मिलते हैं तो उन्हें नियुक्ति दी जाएगी। कोर्ट ने इसके लिए छह सप्ताह का समय दिया है। इसमें से एक माह से अधिक का समय बीत चुका है अब तक सभी जिलों से जांच रिपोर्ट परिषद नहीं आ सकी हैं। ताज्जुब यह है कि परिषद ने कोर्ट के निर्देश पर एक माह में युवाओं से प्रत्यावेदन मंगाकर प्रथम दृष्ट्या पात्र अभ्यर्थियों को खोज लिया, लेकिन एक महीने में जिलों के अफसर उनकी जांच करके परिषद को हकीकत से अवगत नहीं करा पाए हैं। युवाओं को अभी नियुक्ति के लिए इंतजार करना होगा।
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