कहीं बच्चे लगा रहे हैं गुरुजी की हाजिरी तो कहीं हेल्पलाइन हुई कारगर : अपने स्तर से कोई भी नये प्रयोग की मिली आजादी
गुरुजी पहुंचे? दयानंद मास्साब तो आए नहीं होंगे, आज छुट्टी पर हैं न? या कितनी देर से आईं रमा मैडम ? ये कुछ सवाल हैं। जिनके जवाब से दर्ज हो जाती है शिक्षकों की हाजिरी। जी हां.. जमाना बदल गया है! इतना कि बरसों से जहां स्कूलों में शिक्षकों द्वारा बच्चों की हाजिरी लेने की रवायत रही, अब बच्चे ही गुरुजी की हाजिरी लगा दे रहे हैं।
फरुखाबाद,औरैया,चित्रकूट, कन्नौज, इलाहाबाद समेत कुछ जिलों ने शिक्षकों की हाजिरी लेने के लिए यह तरीका अपनाया है। बेसिक या खण्ड शिक्षा अधिकारी के यहां से स्कूल के प्राचार्य, शिक्षक या रसोइये को फोन कर पहले शिक्षकों व बच्चों की संख्या पूछी जाती है और इसे चेक करने को बच्चों से पूछताछ की जाती है। कंट्रोल रूम में बैठा कर्मचारी बच्चे से घुमाफिरा कर सवाल पूछता है। ऐसे में शिक्षक और बच्चे की संख्या स्पष्ट हो जाती है।
बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन ने अपनी पहली बैठक में शिक्षकों की हाजिरी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। बेसिक शिक्षा निदेशालय इसकी व्यवस्था कर रहा है। पहले कदम के रूप में हर जिले में हेल्पलाइन बनाई जा रही है जहां कोई भी फोन कर शिक्षक की अनुपस्थिति के बारे में बता सकेगा पर निदेशक डीबी शर्मा ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने स्तर से कोई भी नया प्रयोग शिक्षकों की हाजिरी लेने के लिए कर सकते हैं।
लखनऊ मंडल में भी शिक्षकों की बगैर बताए गायब रहने से निपटने के लिए नायाब तरीका ढूंढ़ा गया है। यहां हर शिक्षक को 14 आकस्मिक अवकाश के लिए विशेष क्रमांक वाले आवेदन दिए गए हैं। अभी तक प्रार्थनापत्र लिख कर स्कूल में रख लिया जाता था जिसे निरीक्षण के समय दिखाया जाता था। लेकिन अब ये भर जाने के बाद ऐसा करना संभव नहीं होगा। फिरोजाबाद, अम्बेडकरनगर आदि में हेल्पलाइन ने कमाल दिखाना भी शुरू कर दिया। स्कूल नहीं खुला तो शिक्षकों को फोन लगाया गया। शिक्षक ने स्कूल में रहने की जानकारी दी तो उसे कसा गया।
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