गुपचुप हुए हजारों तबादलों पर जागरण संपादकीय : देखने वाली बात होगी कि बेसिक शिक्षकों के गुपचुप तबादलों पर सरकार कैसी कार्रवाई करती है?
उत्तर प्रदेश के दो घटनाक्रम बुधवार को चर्चा में रहे। पहला तो यह कि राज्य सरकार की बगैर जानकारी के शिक्षकों और कर्मचारियों के बड़े पैमाने पर तबादले कर दिये गए। बेसिक शिक्षा अधिकारियों और बाबुओं ने आपस में मिलकर हजारों तबादले कर डाले। लाभ उन शिक्षकों को मिला जो विभिन्न कारणों से अधिकारियों के खास थे या फिर शिक्षा विभाग के गलियारों के रोज चक्कर लगाते। लेकिन, वे भले शिक्षक छूट गए जो तबादले का अनुरोध पत्र लगाने के बाद घर बैठकर सूची की प्रतीक्षा कर रहे थे।
अंतर्जनपदीय तबादलों की प्रक्रिया तो मंगलवार से आरंभ हुई किंतु ऐसे हजारों अंतरजिला तबादले सोमवार तक हो चुके थे। शासन को जब तक खबर लगती और तबादला प्रक्रिया रोकी जाती, जाने कितने लोग इधर से उधर हो चुके थे। चांदी बाबुओं, बिचौलियों और बेसिक शिक्षा अधिकारियों की हो गई। वे शिक्षक लाभ में रहे जो इस खामी को लाभ उठाकर उन्हीं विद्यालयों में तबादला करा चुके थे जहां वे अभी तक संबद्ध चल रहे थे।
बेसिक शिक्षा निदेशक भले ही अब साल भर में हुए तबादलों की सूची खंगाल रहे हों, प्रश्न यह है कि शासकीय अव्यवस्था का लाभ उठाकर जो शिक्षक लाभांवित हो चुके हैं, उनके तबादले क्या अब रद होंगे। उससे भी बड़ा सवाल है कि उन निर्दोष शिक्षकों का क्या होगा जो कानून के दायरे में रहते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे। आखिर एक साल में कितने तबादले किये जा सकेंगे।
यह जवाब भी आना चाहिए कि बेसिक शिक्षा विभाग के वे उच्चाधिकारी कौन थे जिन्होंने जिले से आये प्रस्तावों कों आंख मूंदकर पास कर दिया। क्या उनके इस अप्रत्याशित सहयोग की भी जांच नहीं होनी चाहिए।
लखनऊ की एक और घटना ने सबका ध्यान खींचा है। मंगलवार को गोमतीनगर में लोहिया पुल की सड़क का एक हिस्सा धंस गया। इस आठ लेन के पुल की सड़क टूटने का जिम्मेदार सिंचाई विभाग को माना जा रहा है। बुधवार शाम लखनऊ की एक पहचान रूमी दरवाजे के सामने की सड़क बेतरह टूट गई। बरसात अभी ठीक से आयी भी नहीं है और सड़कें धंसने लगीं, पुल टूटने लगे। ऐसी ही खबरें प्रदेश भर से आने लगी हैं।
देखने वाली बात यह होगी कि बेसिक शिक्षकों के आश्चर्यजनक तबादलों और पुल टूटने की घटनाओं पर राज्य सरकार अब कैसी कार्रवाई करती है। अच्छे प्रशासन के लिए दोनों ही मामलों में सख्ती का संदेश जाना चाहिए।
गुपचुप हुए हजारों तबादलों पर जागरण संपादकीय : देखने वाली बात होगी कि बेसिक शिक्षकों के गुपचुप तबादलों पर सरकार कैसी कार्रवाई करती है?
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
9:33 AM
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