नियुक्तियों की जांच में अफसर ही बन रहे बाधा, अशासकीय जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की मनमानी नियुक्ति का मामला, शिक्षा निदेशक बेसिक मंगा चुके रिपोर्ट, जांच व कार्रवाई पर साधी चुप्पी
इलाहाबाद : प्रदेश भर के अशासकीय जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में हुई गड़बड़ियों की जानकारी विभागीय वरिष्ठ अफसरों को भी है। इस संबंध में जिलों से रिपोर्ट भी मांगी जा चुकी है, लेकिन अफसर नियुक्तियों की जांच कराकर कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं। कई जिलों में भर्ती के दावेदार अब भी साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने की राह देख रहे हैं, जबकि वहां के बेसिक शिक्षा अधिकारी साठगांठ करके चहेतों को भर्ती कर चुके हैं।
सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में वर्षो से खाली प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक पदों को भरने का जतन इधर दो वर्षो से चल रहा है। तमाम प्रयास व बार-बार निर्देश दिए जाने के बाद किसी तरह से एक तिहाई रिक्त पदों को भरा जा सका है। इन पदों को भरने में सारे नियम-कानून किनारे कर दिए गए और उसे ही मौका मिला जिसने नियुक्ति अधिकारी तक पैठ बना ली। आवेदक कम होने का कारण भर्ती का तरीके से प्रचार-प्रसार न किया जाना है, कुछ अफसरों ने विज्ञापन की शर्त ही पूरी नहीं की तो कईयों ने ऐसे समाचारपत्र में विज्ञापन की खानापूरी करा दी जिसका आम आदमी से लेना-देना ही नहीं है। वह विज्ञापन फाइल का हिस्सा जरूर बन गया।
अपनों को नियुक्ति देने के लिए अनुभव प्रमाणपत्र में जमकर हेराफेरी की गई। अभ्यर्थी ने संबंधित कालेज/विद्यालय से प्रधानाचार्य एवं प्रबंधक से अनुभव का प्रमाणपत्र तो ले लिया, लेकिन उसके अभिलेखों में वह अब तक दर्ज नहीं है। नियुक्ति अधिकारी ने संबंधित कालेज से अभिलेख मंगाकर जांच करना उचित नहीं समझा। कुछ जिलों में अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया, लेकिन अंतिम समय में इंटरव्यू रद हो गया, कहा गया कि अगली तारीख तय होने पर सूचना दी जाएगी। अभ्यर्थी आज तक नई तारीख की सूचना आने की राह देख रहे हैं। कुछ जिलों में बिना निर्देश के ही शिक्षणोत्तर कर्मचारी यानी लिपिकों की तैनाती की गई है।
शिक्षा निदेशक बेसिक डीबी शर्मा ने एक अगस्त को बीएसए को पत्र भेजकर इस मामले में जवाब तलब किया है कि जिलों में लिपिकों की तैनाती क्यों की गई। वरिष्ठ अफसरों को भर्ती में नियमों की अनदेखी किए जाने की लगातार शिकायतें मिल रही थी, लेकिन इस ओर से सभी ने आंखें बंद रखी। अब विभाग की किरकिरी होने के डर से अफसर मौन हैं।
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