प्री प्राइमरी नर्सरी कक्षाओं पर जावड़ेकर व मेनका में मतभेद, सरकारी स्कूलों में नर्सरी से ही पढ़ाई शुरू करने के प्रस्ताव पर असहमति, नर्सरी से 12वीं तक ‘कंपोजिट स्कूल व्यवस्था’ का था प्रस्ताव
नई दिल्ली: सरकारी स्कूलों में नर्सरी से ही पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव फिलहाल आगे नहीं बढ़ पाएगा। शिक्षा संबंधी मामलों के सबसे बड़े मंच केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में नर्सरी से लेकर 12वीं तक की कंपोजिट स्कूल व्यवस्था शुरू करने पर विचार होना था। ऐसा होने पर देशभर के आंगनवाड़ी केंद्रों को स्कूलों के साथ जोड़ना होता। इनका संचालन करने वाले महिला और बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रलय की मंत्री मेनका गांधी दिल्ली में होने के बावजूद केब की बैठक में ही नहीं पहुंचीं।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री प्रकाश जावड़ेकर मानते हैं कि यह प्रस्ताव आया, लेकिन इस पर कोई सहमति नहीं बन सकी। इस बारे में पूछे जाने पर वे कहते हैं, ‘दो साल की स्कूल-पूर्व शिक्षा बहुत अहम होती है। पहले वर्ष में प्ले स्कूल होता है और दूसरे साल उन्हें पढ़ाई से परिचित करवा कर अनुकूलित किया जाता है। देश में इसके लिए आंगनवाड़ी की व्यवस्था है जो डब्ल्यूसीडी मंत्रलय देखता है। अभी ये स्कूल से दूर हैं। बैठक यह सुझाव आया कि जो भी नए आंगनवाड़ी बनें, वे स्कूल के नजदीक लाए जा सकें तो स्कूल के माहौल में रहेंगे। इस पर चर्चा चल रही है।’
पिछले दिनों ही केब की उप समिति ने भी यह सिफारिश की है कि नर्सरी से 12वीं तक ‘कंपोजिट स्कूल व्यवस्था’ की जाए। उसने स्कूल व्यवस्था में ‘प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल और शिक्षा’ (ईसीसीई) को गंभीरता से शामिल करने पर जोर दिया है। मगर अभी ईसीसीई का काम लगभग पूरी तरह से महिला और बाल विकास मंत्रलय मंत्रलय ही देखता है। इसके तहत देशभर में 13 लाख से ज्यादा आंगनवाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं। इसके बावजूद जावड़ेकर ने मेनका गांधी से सहमति बनाने की अलग से कोई कोशिश नहीं की।
डब्ल्यूसीडी मंत्रलय के एक वरिष्ठ सूत्र कहते हैं, ‘बैठक में मंत्रलय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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