हाईकोर्ट की फटकार के बाद जागा बेसिक शिक्षा महकमा, किताबें न देने के मामले में हाईकोर्ट ने विभाग को दिखाया था आइना, बेसिक शिक्षा निदेशक ने बीएसए पर डाली जिम्मेदारी
लखनऊ। शैक्षिक सत्र शुरू होने के छह महीने बीतने के बाद भी सरकारी विद्यालयों के बच्चों को पूरी किताबें न देने के मामले में हाईकोर्ट ने विभाग को जमकर फटकार लगाई है। इसके बाद ही बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों को किताब वितरण सुनिश्चित कराने की याद आई।
अब बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश बाबू शर्मा ने बीएसए को निर्देश जारी कर 22 अक्टूबर तक प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सभी बच्चों को किताबें मिल गईं या नहीं। उन्होंने इसकी रिपोर्ट पाठ्य पुस्तक अधिकारी को अपने हस्ताक्षर के साथ ई-मेल पर भेजने के निर्देश जारी किए हैं।सर्व शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय, राजकीय, सहायता प्राप्त विद्यालयों एवं मदरसों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को निशुल्क किताबें उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था।
इस बार शैक्षिक सत्र 2016-17 की शुरुआत अप्रैल से हुई थी और अब अक्टूबर खत्म होने वाला है। लेकिन शिक्षा विभाग के जिम्मेदार बच्चों को सभी किताबें उपलब्ध नहीं करा सके। यह स्थिति तब है जबकि परिषदीय विद्यालयों में छमाही परीक्षाएं भी शुरू हो गईं। किताबें न मिलने के मामले में उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने नाराजगी जताई और 27 अक्टूबर तक किताबों का विवरण सहित जिम्मेदारों को उपस्थित होने का आदेश दिया है।
शत-प्रतिशत वितरण नहीं हुआ तो बीएसए होंगे तलब : बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश बाबू शर्मा के मुताबिक पाठ्य-पुस्तक अधिकारी ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसमें स्पष्ट हो रहा कि किताबों का वितरण जनपद स्तर पर शत-प्रतिशत नहीं किया गया है। यह बीएसए की शिथिलता व गैर संवेदनशीलता का परिचायक है। इसे गंभीरता से लेते हुए 22 अक्टूबर तक किताबों का वितरण सुनिश्चित कराते हुए इसकी रिपोर्ट पाठ्य पुस्तक अधिकारी को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि यदि शत-प्रतिशत वितरण नहीं हुआ या पाठ्य-पुस्तक अधिकारी को रिपोर्ट नहीं भेजी तो बीएसए को 27 अक्टूबर को न्यायालय में तलब किया जा सकता है। इसकी जिम्मेदारी बीएसए की होगी।
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