अध्यापकी के इंतजार में गुजर गए दो दशक, 600 से अधिक सीपीएड बेरोजगारों की आंखें सरकारी टीचरी की आस देखते-देखते दो दशक में पथरा गईं

इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश के 600 से अधिक बेरोजगारों की आंखें सरकारी टीचरी की आस देखते-देखते दो दशक में पथरा गईं। यूपी में सरकारें आती-जाती रहीं और शारीरिक शिक्षा की ट्रेनिंग लेने वाले ये बेरोजगारों नौकरी की गुहार लगाते रहे लेकिन इन 20 वर्षों में सुनवाई नहीं हो सकी। फिलहाल चुनाव की ओर बढ़ रहे प्रदेश में सबकी झोली खुशियों से भर रहे युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से अब इन बेरोजगारों की उम्मीद बंधी हुई है।

1997 से पहले मोअल्लिम-ए-उर्दू की तरह सर्टिफिकेट इन फिजिकल एजुकेशन (सीपीएड) का कोर्स कराया जाता था। समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद मोअल्लिम-ए-उर्दू डिग्रीधारियों को 4280 उर्दू शिक्षक भर्ती में अवसर दिया गया। लेकिन सीपीएड करने के बावजूद नौकरी से वंचित 600 से अधिक बेरोजगारों का भला नहीं हुआ।पिछले दिनों उच्च प्राथमिक स्कूलों में 32,022 अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती शुरू होने के बाद इन बेरोजगारों ने ऑनलाइन आवेदन का प्रयास किया लेकिन वर्तमान नियमों के अनुसार उम्र अधिक होने व योग्यता कम होने के कारण आवेदन नहीं कर सके।

1997 से पूर्व के सीपीएड बेरोजगार शिक्षक संघ ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा से मुलाकात कर गुहार लगाई है। सचिव ने उनकी मांगें शासन के संज्ञान में लाने का भरोसा दिलाया है।

अध्यापकी के इंतजार में गुजर गए दो दशक, 600 से अधिक सीपीएड बेरोजगारों की आंखें सरकारी टीचरी की आस देखते-देखते दो दशक में पथरा गईं Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 1 on 9:35 AM Rating: 5

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