पांचवीं और आठवीं में भी बोर्ड की तैयारी, बहुत से राज्यों के दबाव के साथ साथ केंद्र और राज्य की साझा समिति ने भी इसकी सिफारिश की, फेल होने पर अतिरिक्त क्लास करवाने और दोबारा परीक्षा का मिलेगा मौका
नई दिल्ली : सरकार अब एक बार फिर से 10वीं ही नहीं बल्कि पांचवीं और आठवीं क्लास में भी बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य करने की तैयारी में है। इसको लेकर बहुत से राज्यों का तो दबाव है ही केंद्र और राज्य की साझा समिति ने भी इसकी सिफारिश कर दी है। हालांकि ऐसे में छात्रों को फेल होने पर अतिरिक्त क्लास करवाने और दोबारा परीक्षा का मौका देने की व्यवस्था भी की जाएगी।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रलय के एक वरिष्ठ सूत्र कहते हैं, ‘पिछले कुछ समय से इस बात को लेकर व्यापक सहमति बन रही है कि पांचवीं और आठवीं में भी राज्य स्तर पर बोर्ड की परीक्षा आयोजित की जाए। इसको लेकर मंगलवार को होने वाली केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में चर्चा की जाएगी।’ केंद्रीय एचआरडी मंत्री के साथ ही कई अन्य मंत्री और राज्यों के शिक्षा मंत्री भी केब के सदस्य हैं।
फेल नहीं करने की नीति की समीक्षा के लिए बनाई गई केब की उप समिति ने इसी हफ्ते सौंपी अपनी रिपोर्ट में भी इसकी सिफारिश की है। उसने कहा है, ‘पांचवीं और आठवीं में राज्य स्तरीय परीक्षा व्यवस्था लागू की जाए। इससे छात्र लक्ष्य को ध्यान में रख कर पढ़ाई करेंगे और अध्ययन-अध्यापन प्रक्रिया में जरूरी गंभीरता आएगी। जो छात्र फेल हो जाएं या जिनका रिजल्ट अच्छा नहीं रहे, उनके लिए संबंधित विषय में अतिरिक्त क्लास आयोजित की जाए। साथ ही उन्हें दोबारा परीक्षा देने की छूट दी जाए।
’वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून को लागू करने के साथ ही आठवीं तक छात्रों को फेल नहीं करने की नीति अपनाई गई थी। अब अधिकांश राज्यों ने इसे पांचवीं तक ही सीमित करने को कहा है। केब में फेल नहीं करने की नीति पर भी चर्चा होनी है। साथ ही दसवीं बोर्ड को फिर से अनिवार्य करने पर भी विचार किया जाएगा। आठवीं तक फेल नहीं किए जाने की नीति को लागू करते समय सोचा गया था कि छात्रों के सिर से परीक्षा का भूत उतार दिया जाए ताकि उनके अवसाद में जाने या खुद को कमतर समझने की समस्या नहीं रह जाए। लेकिन अध्ययनों में पाया गया कि इसके बाद सरकारी स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन का स्तर बहुत घट गया। छात्रों और शिक्षकों की गंभीरता कम हो गई।
ऐसे में राज्य लगातार मांग करने लगे हैं कि परीक्षा को दोबारा अनिवार्य किया जाए। मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों ने खास तौर पर पांचवीं और आठवीं में भी दसवीं की ही तरह राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षा भी लागू करने की जोरदार वकालत की है। फरवरी में केब की एक दूसरी उप समिति की बैठक के दौरान भी कई राज्यों ने पांचवीं और आठवीं में बोर्ड परीक्षा की मांग की थी।
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