संसाधनों का रोना और टाट-पट्टी पर बैठना :   दो वर्ष पूर्व हुई थी परिषदीय स्कूलों में फर्नीचर मुहैया कराने की पहल, वित्त विभाग ने बजट आवंटित करने से खड़े कर दिए थे हाथ

लखनऊ : परिषदीय स्कूलों में बच्चों के टाट-पट्टी पर बैठने पर हाईकोर्ट ने यूं ही नहीं एतराज जताया है। बेसिक शिक्षा पर साल दर साल अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी सरकार परिषदीय स्कूलों में टाट-पट्टी पर बैठकर पढ़ने वाले बच्चों के लिए फर्नीचर की व्यवस्था नहीं कर पाई है।


दो साल पहले तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने इस दिशा में पहल की थी। उस वक्त प्रदेश के सिर्फ 11 हजार उच्च प्राथमिक स्कूलों में सर्व शिक्षा अभियान के तहत फर्नीचर मुहैया कराए गए थे। बचे हुए 35 हजार उच्च प्राथमिक स्कूलों और 1,13,000 प्राथमिक विद्यालयों में बच्चे टाट-पट्टी पर ही बैठकर पढ़ाई करते हैं। दिसंबर 2014 में विभाग के वरिष्ठ अफसरों के साथ बैठक करते हुए चौधरी ने निर्देश दिया था कि अगले यानी शैक्षिक सत्र 2015-16 से परिषदीय स्कूलों के बच्चे टाट-पट्टी पर नहीं, मेज-कुर्सी पर बैठकर पढ़ाई करेंगे।


बैठक में लिए गए इस फैसले के क्रम में बेसिक शिक्षा विभाग ने 1,48,000 परिषदीय स्कूलों में फर्नीचर मुहैया कराने के लिए वित्तीय वर्ष के बजट में 1700 करोड़ रुपये आवंटित करने की मांग की थी। बेसिक शिक्षा निदेशालय ने दिसंबर 2014 में ही इस आशय का प्रस्ताव शासन को भेजा था लेकिन वित्त विभाग ने संसाधनों का रोना रोते हुए यह रकम मुहैया कराने से हाथ खड़े कर दिए थे।


चुनाव के बहाने 45 हजार स्कूलों को मिलेगी बिजली : प्रदेश के 1.59 लाख परिषदीय स्कूलों में से 65 हजार अब भी बिजली की सुविधा से वंचित हैं। विधानसभा चुनाव के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के 80 हजार परिषदीय स्कूलों में मतदान केंद्र बनाने का फैसला किया है। जिन 80 हजार स्कूलों में मतदान केंद्र बनाये जाने हैं, उनमें से 45 हजार विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें बिजली कनेक्शन नहीं हैं। प्रत्येक स्कूल में बिजली कनेक्शन के लिए 7000 रुपये और वायरिंग के लिए 17 हजार रुपये खर्च होंगे। इस हिसाब से 45 हजार स्कूलों के लिए 108 करोड़ रुपये की दरकार है। लेकिन स्कूलों को बिजली मुहैया कराने के लिए अनुपूरक बजट में सिर्फ 60 करोड़ रुपये ही आवंटित किए गए हैं। ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग की प्राथमिकता पहले सभी 45 हजार स्कूलों में बिजली का कनेक्शन कराना है। बची धनराशि स्कूलों में वायरिंग के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।

संसाधनों का रोना और टाट-पट्टी पर बैठना :   दो वर्ष पूर्व हुई थी परिषदीय स्कूलों में फर्नीचर मुहैया कराने की पहल, वित्त विभाग ने बजट आवंटित करने से खड़े कर दिए थे हाथ Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 1 on 7:46 AM Rating: 5

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