सुप्रीम कोर्ट की टीम के सामने शिक्षकों ने रोया बजट का रोना, विद्यालयों की देखी सच्चाई, पूछताछ में शिक्षकों ने विवशता जताई, टीम 28 को सौंपेंगी अपनी रिपोर्ट - गंदगी के बीच बच्चे पढ़ रहे भविष्य का ककहरा
इलाहाबाद : सरकार स्वच्छता पर फोकस कर रही है। सरकारी स्कूल स्वच्छता से कोसो दूर हैं। बजट न होने से प्रधानाध्यापक शौचालय की सफाई नहीं करा रहे हैं। अगर करा भी रहे हैं तो प्रधानाध्यापक व्यक्तिगत स्तर से करा रहे हैं। शुक्रवार को शौचालय व पेयजल की हकीकत देखने निकली सुप्रीमकोर्ट द्वारा गठित टीम के समक्ष शिक्षकों ने बजट का रोना रोया। दो सदस्यीय टीम ने दो ब्लाक समेत नगर क्षेत्र के 20 स्कूलों का निरीक्षण किया। इस दौरान स्कूलों में मिड डे मील, पाठय पुस्तकों की उपलब्धता व शौचालय की साफ सफाई देखी। टीम को दिखाने के लिए शौचालय साफ सुथरे कराए गए थे।
टीम सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक गुप्ता व गौरव अग्रवाल ने नगर क्षेत्र के एलनगंज प्राथमिक व जूनियर स्कूल का निरीक्षण किया। टीम ने मिड डे मील रजिस्टर, शिक्षक व बच्चों की उपस्थिति रजिस्टर की पड़ताल की। स्कूल में बने शौचालय व पेयजल व्यवस्था देखी। इसके बाद टीम पुराना कटरा प्राथमिक व जूनियर स्कूल पहुंची। टीम सदस्य गौरव अग्रवाल ने सहायक शिक्षिका स्मिता श्रीवास्तव से पूछा कि शौचालय की सफाई कैसे कराती हैं। बताया कि शौचालय सफाई मद में बजट नहीं है। व्यक्तिगत धन से शौचालय सफाई कराई जाती है। पेयजल के संबंध में पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि हैंडपंप से बच्चे पानी पीते हैं। यहां पर टीम करीब पंद्रह मिनट शिक्षकों से मिड डे मील, पाठय पुस्तक समेत कई बिंदुओं पर बातचीत की।
इसके बाद टीम धूमनगंज स्थित प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हरवारा पहुंची। टीम को देखते ही कक्षाओं के बाहर गपशप करतीं शिक्षिकाएं अपनी-अपनी कक्षाओं में चली गईं। स्कूल में मच रहा बच्चों का कोलाहल शांत हो गया। टीम ने शौचालय व पेयजल व्यवस्था देखी। टीम के सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने प्रधानाध्यापिका गीता देवी त्यागी से पूछा कि शौचालय की सफाई कब - कब कराती हैं। उन्होंने तपाक से जवाब दिया कि सर प्रतिदिन सफाई कराई जाती है। उन्होंने टीम के सदस्य गौरव अग्रवाल से शौचालय की सफाई देखने को कहा। उन्होंने बताया कि शौचालय साफ नहीं है। इस पर सीनियर अधिवक्ता ने कहा कि मैडम आप तो कह रही थीं कि प्रतिदिन सफाई कराई जाती है। मैडम ने जवाब दिया कि सर इतने बच्चे हैं, गंदा हो जाता है। सीनियर अधिवक्ता ने पूछा कि किस मद से शौचालय सफाई कराती हैं। इस पर उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत पैसे से सफाई कराई जाती है। परिसर में खड़ी पांच महिलाओं के बारे में सीनियर अधिवक्ता ने पूछा तो उन्हें एडी बेसिक रमेश कुमार ने बताया कि यह रसोइया हैं। पूछताछ में प्रधानाध्यापिका ने बताया कि प्राथमिक में 133 बच्चे हैं और पूर्व माध्यमिक कन्या में 103 छात्रएं पंजीकृत हैं।
आपस में टीम ने बातचीत करते हुए कहा कि शौचालय की सफाई में सबसे बड़ी बाधा बजट है। इसके बाद टीम वहां से रवाना हो गई। टीम के जाने के बाद शिक्षिकाओं ने राहत की सांस ली। टीम ने फाफामऊ प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल का निरीक्षण कर शौचालय व पेयजल सुविधा की पड़ताल की। इधर, टीम ने मऊआइमा ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय बड़गांव प्रथम व द्वितीय और पूर्व उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बड़गांव की हकीकत देखी। मिड डे मील की परिवर्तन लागत और बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में शिक्षकों से बातचीत की। इसके बाद प्राइमरी जमुई पहुंचकर सुविधाओं की पड़ताल की।
प्राथमिक विद्यालय बड़गांव प्रथम के प्रधानाध्यापक कृष्ण कुमार गिरि, प्राइमरी द्वितीय की प्रधानाध्यापिका जय लक्ष्मी, बड़गांव जूनियर की प्रधानाध्यापिका ऊषा मौर्य और प्राथमिक विद्यालय जमुई की प्रधानाध्यापिका उर्मिला देवी व जूनियर की प्रधानाध्यापिका गौसिया सुल्ताना ने टीम को बताया कि शौचालय की साफ सफाई मद में कोई बजट नहीं होने से व्यक्तिगत खर्च से कराना पड़ता है। टीम ने कहा कि राजस्व गांवों में तैनात सफाई कर्मी यदि प्रतिदिन विद्यालयों में सफाई कर दें तो शौचालय सफाई की समस्या दूर हो सकती है। टीम ने इस समस्या को सुप्रीमकोर्ट के समक्ष रखने का शिक्षकों को आश्वासन दिया। टीम ने सोरांव ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय हरिरामपुर, प्राथमिक विद्यालय विशुनदास का पुरा, प्राथमिक विद्यालय थरवई व जूनियर और प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल मटियारा का निरीक्षण किया।
टीम के सदस्य और सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक गुप्ता ने बताया कि स्कूलों के शौचालय व पेयजल समेत कई बिंदुओं पर शिक्षकों से बातचीत की गई है। सुप्रीमकोर्ट को 28 नवंबर को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इस मौके पर एडी बेसिक रमेश तिवारी एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिकेश यादव सहित शिक्षा विभाग के कई अधिकारी मौजूद थे।
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