250 से अधिक सहायक अध्यापकों को आदेश के बावजूद ज्वाइन कराकर ट्रेनिंग पर न भेजने के मामले में बेसिक शिक्षा प्रमुख सचिव तथा परिषद निदेशक व सचिव को 9 दिसंबर को व्याक्तिगत रूप से किये गए तलब
लखनऊ । इलहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 250 से अधिक सहायक अध्यापकों को आदेश के बावजूद ज्वाइन कराकर टे्रनिंग पर न भेजने के मामले में बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव तथा निदेशक व यूपी बोर्ड ऑफ बेसिक एजूकेशन के सचिव को 9 दिसंबर को व्याक्तिगत रूप से तलब किया है।
अदालत ने 9 को तीनों अफसरों को हाजिर होने का आदेश दिया था कि लेकिन गुरुवार को प्रमुख सचिव व सचिव हाजिर नहीं हुए जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें फिर से हाजिर होने का आदेश जारी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले के महत्व को देखते हुए तीनों अफसरों को समस्त रिकार्ड के साथ हाजिर होना आवश्यक है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा की पीठ ने निरंकार पाठक व अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका पर पारित किया। याचिका 22 दिसंबर 2015 को दायर की गई थी।याची के वकील रमेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक 2002 में बहराइच में 263 असिस्टेंट बेसिक टीचरों की नियुक्ति की गई थी। जिन्हें बाद में राज्य सरकार ने नियुक्तियों को गलत करार देकर रद्द कर दिया था। जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने पहले डिवीजन बेंच में स्प्ेाशल की जो कि 29 अप्रैल 2008 को खारिज हो गई। सरकर को निर्देश दिया गया कि सहायक अध्यापकों को स्पेशल बीटीसी ट्रेनिंग दिलाकार बहाल किया जाए।
सरकर ने बाद में सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की लेकिन यह याचिका भी 14 अक्टूबर 2015 को खारिज हो गई। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि लंबा समय बीत जाने के बावजूद भी नियुक्तियां नहीं दी गईं जबकि सरकार को सब जगह से केस हार चूकी है।
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