यूपीटीईटी - 2011 के साढ़े चार लाख सर्टिफिकेट हुए रद्दी के टुकड़े, प्रमाणपत्र की वैधता समाप्त होने के साथ इनके आधार पर भविष्य में भर्ती के सारे रास्ते बंद
इलाहाबाद : टीईटी-11 के साढ़े चार लाख सर्टिफिकेट गुरुवार की रात 12 बजे के बाद रद्दी के टुकड़े की तरह हो गए। अब 2011 में पहली बार आयोजित टीईटी के आधार पर कोई शिक्षक बनने के लिए दावेदारी नहीं कर सकेगा। यूपी में पहली बार 13 नवंबर 2011 को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) हुई थी। इसका रिजल्ट 25 नवंबर 2011 को घोषित किया गया। प्रमाणपत्र की वैधता पांच साल थी।
टीईटी-11 में प्राथमिक स्तर में 2.99 लाख और उच्च प्राथमिक स्तर में 2.73 लाख कुल तकरीबन पांच लाख 72 हजार अभ्यर्थी पास हुए थे। टीईटी-11 में सफल अभ्यर्थियों को पांच सालों में चार भर्ती 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक, प्राइमरी स्कूलों में 9770 व 10800 सहायक अध्यापक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान-गणित विषय के 29,334 सहायक अध्यापकों की भर्ती में अवसर मिला।
इस लिहाज से मान लिया जाए कि सवा लाख युवाओं को नौकरी मिल गई तो भी साढ़े चार लाख प्रमाणपत्र बेकार हो गए। अब प्रमाणपत्र की वैधता समाप्त होने के साथ इनके आधार पर भविष्य में भर्ती के सारे रास्ते बंद हो गए हैं।
इलाहाबाद। बारह लाख बीएड उत्थान जनमोर्चा की ओर से 30 नवंबर को शिक्षा निदेशालय का घेराव किया जाएगा। पहले बेरोजगार बालसन चौराहे पर धरना देंगे। वहां से जुलूस की शक्ल में शिक्षा निदेशालय पहुंचेंगे और घेराव करेंगे। प्रमुख मांगों में राजकीय कॉलेजों की एलटी भर्ती लिखित परीक्षा से कराने, उच्च प्राथमिक स्कूलों में 50 प्रतिशत भर्ती बीएड अभ्यर्थियों से करने और उर्दू की तरह अन्य विषयों की भर्ती करने की मांग शामिल है।
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